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27 अक्तूबर, 1947 ई. को सोम की कंपनी को श्रीनगर घाटी में बडगाम गांव को फाइटिंग पैट्रोल का आदेश मिला। वह अपने लक्ष्य पर तीन नवंबर, 1947 को पहुंच गए और बडगाम गांव के दक्षिण में स्थिति ली। 11 बजे अनुमान में 700 की संख्या में दुश्मन सेना ने 3 इंच की भारी तोपों और

* सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कोयले के कारोबार में निजी कंपनयों को भी शामिल कर लिया है। अब प्राइवेट कंपनियां भी कोयला निकाल कर उसका व्यापार कर सकेंगी। कोयला क्षेत्र के 1973 में राष्ट्रीकरण के बाद यह एक बड़ा रिफॉर्म माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल भारत- तिब्बत  सीमा पुलिस बल द्वारा निम्न पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। पद – कांस्टेबल (ड्राइवर) रिक्तियां – 134. शैक्षणिक योग्यता – 10वीं पास, ड्राइविंग में न्यूनतम 2 वर्ष का अनुभव और वैध ड्राइविंग लाइसेंस। आयु  सीमा – न्यूनतम 21 वर्ष और अधिकतम 27 वर्ष। आवेदन की अंतिम तिथि

इस साल होलिका दहन 1 मार्च और रंग महोत्सव 2 मार्च को है। मथुरा, गोकुल, बरसाना, ब्रज  की होली विश्वभर में लोकप्रिय है। उत्तर प्रदेश में होली का जश्न हफ्ते भर पहले से शुरू हो जाता है… होली फाल्गुन मास का सबसे खास और हिंदू वर्ष का सबसे अंतिम त्योहार होता है। अंतिम इसलिए क्योंकि

होली पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में) मनाया जाता है। इस त्योहार में पहले दिन होली जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं और दूसरे दिन होली खेली जाती है… पारंपरिक रूप से दो दिनों तक मनाए जाने वाले रंगों के त्योहार

होली की बात हो और रंगों की चर्चा न हो तो सब कुछ फीका-फीका सा लगेगा। वास्तव में सभी रंगों का अपना एक अलग गुण,  एक अलग स्वभाव होता है… नीला रंग यह रंग त्याग, संयम, तपस्या, साधुत्व और क्रिया का रंग है। नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि

मैं आपको एक बात समझाना चाहता हूं। आप खुद को जितना अकेला समझेंगे, खुद को जितना निराश महसूस करेंगे, उतना ही आपको लोगों के साथ की जरूरत महसूस होगी। लेकिन आप जितना खुश होंगे, आप भीतर से जितना उल्लासित और उत्साहित महसूस करेंगे, आपको लोगों के साथ की जरूरत उतनी ही कम महसूस होगी। इसलिए

उपमंडल अंब के धार्मिक स्थल मैड़ी में लगने वाला दस दिवसीय होला मोहल्ला मेला भी बुरी आत्माओं से छुटकारा दिलाने वाला मेला माना जाता है। किंवदंती के अनुसार बाबा बड़भाग सिंह मुगल हमलावर अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण से क्षुब्ध होकर इस क्षेत्र में आ बसे थे। उस समय यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ

-गतांक से आगे… रथिनी समर-प्रीता च वेगिनी रण-पंडिता। जटिनी वङ्किणी नीला लावण्या बुधि-चंद्रिका।। 46।। बलि-प्रिया महा-पूज्या पूर्णा दैत्येंद्र-मंथिनी। महिषासुर-संहंत्री वासिनी रक्त-दंतिका।। 47।। रक्तपा रुधिराक्ताङ्गी रक्त-खर्पर-हस्तिनी। रक्त-प्रिया मांस-रुधिरासवासक्त-मानसा।। 48।। गलच्छोणित-मुंडालि-कंठ-माला-विभूषणा। शवासना चितांतःस्था माहेशी वृष-वाहिनी।। 49।। व्याघ्र-त्वग बरा चीर-चेलिनी सिंह-वाहिनी। वाम-देवी महा-देवी गौरी सर्वज्ञ-भाविनी।। 50।।