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ईश्वर के अस्तित्व को संसार के प्राय: सभी धर्मों में स्वीकार किया गया है और उसकी शक्तियां एक जैसी मानी गईं हंै। उपासना, पूजा विधि और मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है और समाज की विकृत अवस्था का उन मान्यताओं पर बुरा असर भी हो सकता है, जिससे किसी भी धर्म के लोग नास्तिक जैसे जान पडं़े पर सामाजिक एकता, संगठन, सहयोग, सहानुभूति आदि अनेक सद्प्रवृत्तियां तो उन जातियों में भी स्पष्ट देखी जा सकती हैं। जो जातियां ईश्वर के प्रति अधिक निष्ठावान होती हैं उनमें आत्मविश्वास, कत्र्तव्यपरायणता, त्याग, उदारता आदि

गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु थे। उनका जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि संवत् 1723 विक्रमी यानी कि 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना में हुआ। इस बार यह तिथि नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक 17 जनवरी को है।

आंखों के एक्सपट्र्स का कहना है कि ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें, लेकिन हीटर या ब्लोअर का इस्तेमाल ज्यादा न करें, क्योंकि इससे आंखों का पानी सूख जाता है और आंखों में खुजली, लालपन या पानी आने की समस्या बढ़ जाती है...

भोजन के साथ कच्चा प्याज खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। इससे बंद नसें खोलने में भी मदद मिलती है, जो दिल के रोगों का खतरा कम करता है।

विवाह एक ऐसी पावन परंपरा है, जो सदियों से पूरे विश्व में प्रचलित है। बेशक अलग -अलग देशों में अलग-अलग धर्मों में एवं जातियों में शादी के रीति-रिवाजों में भिन्नताएं हैं, परंतु इस पवित्र गठबंधन में समाहित भावना एक समान है।

सर्दियों के मौसम में ठंडक और तेज हवाओं की वजह से हमारे बालों को भी विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। ठंडी हवा, बर्फबारी, और सुखी हवा के कारण हमारे बाल रूखे और बेजान हो सकते हैं।

नीति 2020 के तहत लाए जा रहे कोर्स में इंटर्नशिप और रिसर्च को भी कोर्स का हिस्सा बनाया जा रहा है। चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स भी अब लागू हो गया है। यूजीसी ने शिक्षा संस्थानों और यूनिवर्सिटीज के बीच टाईअप ...

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायबरेली ने विभिन्न विभागों में डायरेक्ट भर्ती के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, एडिशनल प्रोफेसर के पदों पर भर्ती निकाली है। एम्स रायबरेली ने प्रोफेसर, एसोसिएट ...

भारत में यह फसल पकने का मौसम है। यह मौसम किसानों के परिश्रम का लाभ मिलने का समय होता है और हम ऋतु की पहली फसल को सभी के साथ बांट कर उत्सव मनाते हैं। प्राचीन समय में यह अनुष्ठान था कि जब लोग पहले गन्ने की कटाई करते थे अथवा धान की पहली बोरी की कटाई करते थे, तो इसे समाज में सभी लोगों के साथ साझा करते थे। संक्रांति ईश्वरीय विधान और मनुष्य के रूप में हमारे दायित्व की याद दिलाती है कि हमारे पास जो कुछ है उसे साझा करें। साझा करने की संस्कृति, संक्रांति का सबसे सुंदर तत्व है और इसे केवल वस्तु या फसल तक ही सीमित नहीं रहना चा