कम्पीटीशन रिव्यू

ब्यास नदी के किनारे किसी समय औट दो-तीन घरों का और वैसा ही थलौट गांव बसा था। पंडोह क्षेत्र, ब्यास नदी , बाखली और जिऊणी खड्डों का संगम स्थल होने से काफी खुला स्थान है, अतः वहां काफी पुराने समय  से बस्ती रही है। उसके बाद  वर्तमान मंडी नगर वाला स्थान प्राचीन काल से आदमी

दो संस्थाओं के प्रमुख 32 वर्षीय वुजिकिक के दोनों हाथ और पैर नहीं हैं। जन्म से विकलांगता से जूझने वाले निक के पास हौसले की कोई कमी नहीं है। पूरी दुनिया में प्रेरणादायक वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध निक की कहानी एक मिसाल बन गई है। निक का जन्म आस्ट्रेलिया में मेलबोर्न में हुआ। जन्म

चल पड़ती तो चल जाती बिना सहारे ठहर न पाती ****  लगे मात्रा तो हूं खाक हटे मात्रा तो पक्षी सुरीला काला मेरा रूप कुरूप करे क्या काला मुझको धूप नाम बताओ हो न चूक ** चार पांव पर चल न पाए चलते को भी वह बैठाए। ****   कई कपड़ों के पार हुई एक

बरसात में मच्छरों का प्रकोप अचानक बढ़ जाता है जिससे शिशु को मलेरिया, डेंगू आदि बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों को मच्छरों के प्रकोप से बचाने के लिए उन्हें मच्छरदानी में सुलाएं। * इस मौसम में बच्चे को भीगने से बचाएं। अन्यथा उसे निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। * बच्चे

नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला जन्मदिवस 18 जुलाई विद्यार्थी जीवन में  नेल्सन मंडेला को यह रोज याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है और सिर्फ  इसी वजह से वह यह काम नहीं कर सकते। उन्हें रोज इस बात का एहसास करवाया जाता कि अगर वह सीना तान कर सड़क पर चलेंगे तो इस अपराध के लिए

हाटकोटी से थोड़ी दूर उत्तर की ओर ब्राड़ घाटी में चूहटा गांव का काला (कालीदास) नाम का एक व्यक्ति अपने लिए नया मकान बनाने के लिए जमीन खोद रहा था। ऐसा करने के लिए उसने उक्त भूमि से दूवा (स्थानीय बोली में दूब) घास को काट कर फेंक दिया। दूसरे दिन जब वह फिर खोदने

लार्ड डलहौजी ने 1849 में बघाट को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। यह सब हड़पने की नीति के अंतर्गत किया गया। उमेद सिंह ने दोबारा गद्दी के लिए अपना हक जताया और विलायत में एक वकील करके अपना दावा कोर्ट-आफ-डायरेक्टर के सामने प्रस्तुत किया। अंत में 1860 ई. में लार्ड कैनिंग ने उसकी यह अपील

कहानी कमल ब्रिगेड कंमाडर था। उसका ब्रिगेड कश्मीर में तैनात था। यह ब्रिगेड जिस इलाके में आंतकवादियों से झूम रहा था, कमल ने उसी इलाके में कुछ वर्ष पहले अपनी पलटन ेकंमाड की थी। उसे उस पूरे इलाके की अच्छी जानकारी थी। बहुत सारे गांव के वाशिंदे कमल को अच्छी  तरह जानते- पहचानते थे और 

हिमाचल प्रदेश भगवान शंकर की क्रीड़ा और पार्वती की जन्मस्थली है, इसलिए हिमाचल को देवभूमि कहा गया है। यहां की धरती के कण-कण से सैकड़ों धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाएं जुड़ी हैं। भोले-भाले लोगों की यह आस्थाएं यहां के मेलों, व्रतों, पूजनों व त्योहारों से प्रकट होती हैं। हिमाचल प्रदेश मेलों व उत्सवों का ही प्रदेश