आस्था

श्रीश्री रवि शंकर यदि देखा जाए कि आखिर क्यों धन के साथ लोग घमंडी हो जाते हैं, तो हम पाएंगे कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धन स्वतंत्रता की भावना जाग्रत करता है। दूसरी तरफ निर्भरता की जानकारी व्यक्ति को विनम्र बनाती है। स्वतंत्रता की झूठी भावना द्वारा मानवता के आधारभूत गुण को दूर कर

स्वामी रामस्वरूप इस अध्याय के ग्यारह के 13वें एवं 14वें शोक के भाव यहां स्पष्ट हैं कि श्रीकृष्ण का जो पंच भौतिक शरीर है उसमें वह निराकार परमेश्वर प्रकट हुआ था। अत: अपने पंच भौतिक शरीर में ही महायोगेश्वर श्रीकृष्ण महाराज ने अपने योगबल से अर्जुन को निराकार परमेश्वर का वह विराट स्वरूप दिखलाया था…

ह्लरोजाना हींग का पानी पीने से ब्लड शुगर की मात्रा को कंट्रोल किया जा सकता है। हींग के पानी में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो शरीर में ब्लड शुगर कम करने में मदद करता है। ह्ल आक का दूध और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रूई के फाहे में लगाकर दांत पर रखें। दांत दर्द

बाबा हरदेव गतांक से आगे… मुझे अपनी ओर अग्रसर करने के लिए कह देते हो कि आप ने अच्छी बात कही मेरा समाधान हो गया। यह आप की बड़ाई है। मैं तो नादान हूं, अनजान हूं। आप की कृपा दयालुता सदा मेरे साथ है। यही तो आप का वात्सल्य प्यार है। वक्त के पैगंबर बाबा

श्राद्ध पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है। पितरों के निमित्त विधिपूर्वक जो कर्म श्रद्धा से किया जाता है, उसी को श्राद्ध कहते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्ध की परिभाषा है, जो कुछ उचित काल, पात्र एवं स्थान के अनुसार उचित (शास्त्रानुमोदित) विधि द्वारा पितरों को लक्ष्य करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मणों को दिया जाता है, श्राद्ध कहलाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारंभ में मा

विश्वकर्मा जयंती सनातन परंपरा में पूरी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। इस दिन औद्योगिक क्षेत्रों, फैक्ट्रियों, लोहे, मशीनों तथा औजारों से संबंधित कार्य करने वाले, वाहन शोरूम आदि में विश्वकर्मा की पूजा होती है। इस अवसर पर मशीनों और औजारों की साफ-सफाई आदि की जाती है और उन पर रंग किया जाता है। विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर ज्यादातर कल-कारखाने बंद रहते हैं और लोग हर्षोल्लास के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते है। विश्वकर्मा हिंदू मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों

कालाष्टमी अथवा काला अष्टमी का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है। कालभैरव के भक्त वर्ष की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। सबसे मुख्य कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है, उत्तरी भारतीय पूर्णीमांत पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष के महीने में पड़ती है

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में देवी-देवताओं का व्रत उपवास रखकर पूजा-अर्चना करने की धार्मिक व पौराणिक मान्यता है। इसी क्रम में भाद्रपद शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से भगवती मां लक्ष्मी की उपासना का विशेष पर्व प्रारंभ हो जाता है, जो कि आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी पर्यंत प्रतिदिन 16 दिनों तक चलता है। भगवती लक्ष्मीजी

ऐसे तो देश के हरिद्वार, गंगासागर, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर सहित कई स्थानों में भगवान पितरों के श्रद्धापूर्वक किए गए श्राद्ध से मोक्ष प्रदान कर देते हैं, लेकिन गया में किए गए श्राद्ध की महिमा का गुणगान तो भगवान राम ने भी किया है। कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था