आस्था

यूं तो संपूर्ण उज्जैन पौराणिक गाथाओं के पृष्ठों से अलंकृत है, किंतु इन पृष्ठों में भी कुछ ऐसे पृष्ठ हैं जो एक साथ श्रद्धा, कौतूहल और आनंद की अनुभूति कराते हैं। इन्हीं में से एक है श्री हरसिद्धि देवी का मंदिर। उज्जैन की इस प्राचीन शक्तिपीठ का वर्णन स्कंदपुराण में है। इसी स्थल पर दक्ष

हिमाचल प्रदेश विभिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य का प्रतीक है। मंडी से लगभग 24 किमी. दूर तथा समुद्रमल से 13500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रिवालसर झील के किनारे विभिन्न धर्मों के कुछ पूजनीय स्थल हैं। मुख्य रूप से यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी रहते हैं। यह स्थान हिंदुओं, बौद्धों और सिखों के लिए आस्था का

राजस्थान का धौलपुर जिला उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाओं से घिरा हुआ है। वैसे तो धौलपुर जिले में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण धौलपुर रियासत के राजा और महाराजाओं ने करवाया। उनमें से एक मंदिर है सैंपऊ महादेव मंदिर, जिसे राम रामेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। धौलपुर जिले से 26 किलोमीटर

प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है, इसलिए इसे वार के अनुसार पूजन करने का विधान शास्त्र सम्मत माना गया है। प्रत्येक वार के प्रदोष व्रत की पूजन विधि अलग-अलग मानी गई है। व्रती ब्रह्म मुहूर्त

8 अक्तूबर रविवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, नवमी 9 अक्तूबर सोमवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, दशमी, एकादशी का श्राद्ध 10 अक्तूबर मंगलवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, एकादशी, इंदिरा एकादशी 11 अक्तूबर बुधवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, द्वादशी 12 अक्तूबर गुरुवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, प्रदोष व्रत 13 अक्तूबर शुक्रवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी 14 अक्तूबर शनिवार, आश्विन, कृष्णपक्ष, अमावस, सर्वपितृ श्राद्ध

श्रीराम शर्मा अपने आपको बदल लेना, आपके हाथ की बात है। परिस्थितियों को बदलना आपके हाथ की बात नहीं, लोगों को अपनी मरजी से बदलना आपके हाथ की बात नहीं। जो आपके हाथ की बात नहीं है, उसके लिए आप प्रयत्न करेंगे, तो बेकार हैरान होते रहेंगे। आपके घर वालों को आपके आज्ञानुवर्ती बनना चाहिए,

* मंजिल पर पहुंचना है, तो कभी राह के कांटों से मत घबराना, क्योंकि कांटे ही बढ़ाते हैं, रफ्तार हमारे कदमों की * ज्ञान धन से उत्तम है, क्योंकि धन की तुम्हें रक्षा करनी पड़ती है, मगर ज्ञान तुम्हारी रक्षा करता है * मार्ग में बाधा आने का मतलब है कि आप सही मार्ग पर

ओशो क्यों आप साधकों को आचरण की एक निश्चित प्रणाली नहीं देते? क्या आध्यात्मिक जीवन के लिए नैतिक चरित्र आवश्यक नहीं है? मेरा पूरा प्रयास आपको चेतना प्रदान करना है न कि चरित्र। चरित्र की आवश्यकता उन्हें होती है, जिनके पास चेतना नहीं होती। यदि आपके पास आंखें हैं, तो आपको रास्ता ढूंढने के लिए

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… इस तरह दिन पर दिन बीतते गए लेकिन सत्य की तलाश और सत्य को जानने की नरेंद्र की इच्छा तृप्त तो नहीं हुई, अपितु अधिकाधिक बढऩे लगी। धीरे-धीरे उन्होंने समझ लिया कि अतींद्रिय सत्य को प्रत्यक्ष करने के लिए एक ऐसे व्यक्ति के चरणों के पास बैठकर शिक्षा लाभ करना