आस्था

आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ  के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों

भारत के अलावा कई देशों में हिंदू परंपरा के अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं, खासकर पूर्वी एशिया के देश इंडोनेशिया में हिंदू परंपराओं और मंदिरों का बहुत महत्त्व है। वहां पर कई भव्य और सुंदर मंदिर हैं। यहां बने देवी-देवताओं के मंदिर इतने सुंदर हैं कि उनकी गिनती दुनिया के सबसे सुंदर मंदिरों में भी की

  मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने तुलसी चौरा, हाथ जोड़े महावीर की विशाल मूर्ति, पीछे गोशाला है। इसके उत्तर की ओर पिंडीनुमा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर की दीवारों पर अनुपम चित्रकला दर्शनीय है… प्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक श्री राम गोपाल मंदिर पठानकोट से लगभग दस किमी.दूर चक्की खड्ड के बाएं किनारे पर डमटाल गांव में

सती के शरीर के विभिन्न अंश से 52 मुख्य शक्तिपीठ सामने आए और उनमें चार को मुख्य शक्तिपीठ के रूप में मान्यता मिली, जो बाद में प्रसिद्ध शक्तिपीठ के रूप में विख्यात हुए। इस मंदिर में दो देवियों की प्रतिमा है मां तारा और मां तारिणी… पुराणों में वर्णित स्तनपीठ तारा तारिणी भारत के मुख्य

फूल यूं तो खुशबू देते हैं, लेकिन इनके परागकण जब एलर्जिक होते हैं तो सांस लेना दूभर करते हैं। अकसर आपने देखा होगा कि हर इनसान को किसी न किसी चीज से एलर्जी होती है। पेड़ों पर लगे रंग-बिरंगे नए फूल देखने में बहुत सुंदर लगते हैं, लेकिन मन को लुभाने वाले इन फूलों में

स्वामी रामस्वरूप श्रीकृष्ण महाराज ने यहां ‘योगामाया’ कहा है। ‘योग’ का अर्थ है जुड़ना और ‘माया’ का अर्थ संसार की संपूर्ण रचना है। ईश्वरीय चेतन शक्ति एवं प्रकृति के रज, तम, सत्व इन तीन गुणों के योग के द्वारा जो संसार की रचना है, वह ‘योगमाया’ है, जिससे ईश्वर छिपा है। सृष्टि की रचना जब

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… ये सब ही केंद्र भगवान की ओर ले जाने वाले विभिन्न मार्ग हैं। वास्तव में, धर्म मतों की विभिन्नता लाभदायक है, क्योंकि मनुष्य को धार्मिक जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा वे सभी देते हैं और इस कारण सभी अच्छे हैं। जितने ही अधिक संप्रदाय होते हैं, मनुष्य की भगवदभावना को

विचार एवं योजनाएं ऋषियों की, प्रभाव राजसत्ता का, तथा सक्रिय सहयोग जन-सामान्य का होता था, तो यज्ञ भी श्रेष्ठफल देने वाले होते थे… साधना से व्यक्तित्व, संस्कारों से परिवार तथा पर्वों और यज्ञों से समाज और राष्ट्र का स्तर ऊंचा बनाने की प्रक्रिया, हजारों वर्षो से आजमाई गई विकास की एक प्रामाणिक प्रक्रिया है। प्राचीन

सरस्वती नदी पौराणिक हिदू ग्रंथों तथा ऋग्वेद में वर्णित मुख्य नदियों में से एक है। ऋग्वेद के नदी सूक्त के एक श्लोक (10.75) में सरस्वती नदी को यमुना के पूर्व और सतलुज के पश्चिम में बहते हुए बताया गया है। उत्तर वैदिक ग्रंथों जैसे तांडय और जैमिनिय ब्राह्मण में सरस्वती नदी को मरुस्थल में सूखा