आस्था

मुकदमे में उलझना कोई भी नहीं चाहता, लेकिन एक बार यदि इसमंे उलझना पड़ जाए तो बहुत कुछ दांव पर लग जाता है। ऐसी स्थिति में सभी की चाहत होती है कि विजय उसी की हो। मुकदमा जीतने के लिए जोड़-तोड़ के साथ प्रभावकारी मंत्र और उपायों का भी सहारा लिया जाता है। एक बार

भिन्न-भिन्न वस्त्र तथा उनके रंगों का भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। रेशमी कपड़े खास तौर पर पीतांबर और टसर, ऊनी वस्त्र तथा लाल रंग के कपड़े वात, पित्त और कफ दूर करने वाले हैं, इसलिए जाड़ों में ये वस्त्र पहनें। जोगिया रंग के कपड़ों से चित्त पवित्र और शीतल होता है, पित्त दूर

बच्चा जन्म से कायर नहीं होता। उसकी नैसर्गिक प्रकृति इतनी निर्भीक होती है कि वह सांप, चूहे, बिल्ली, बंदर जो भी पास आए, पकड़ने को ही दौड़ता है। उसे प्रत्येक वस्तु खेल की, विनोद की वस्तु लगती है और संभवतः वह इसीलिए बिना हिचक के प्रत्येक वस्तु की ओर दौड़ पड़ता है। बच्चे के मस्तिष्क

काला जादू से ग्रसित मनुष्य मौन रहता है और किसी के काबू में नहीं आता है। वह ऐसे कामों को करता है, जिनमें जान जाने का खतरा रहता है। वह व्यक्ति अपने जीवन की परवाह नहीं करता… काला जादू और उसके प्रभाव को लेकर समाज में सदैव चर्चा होती रही है। उसके प्रभावों को लेकर

गहरे नीले रंग की बोतल का पानी खांसी के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे सूखा हुआ कफ गीला होकर निकलने लगता है, जिससे रोगी को शांति मिलती है। यदि कफ सूखकर फेफड़ों में जमा हो गया हो या पसली से चिपक कर दर्द कर रहा हो, तो नारंगी रंग देना चाहिए। खांसी देर में अच्छा

यह देखकर भोले अपनी समाधि में से चलायमान हुए तथा दैत्यों के ऊपर स्वयं प्रसन्न होकर उनको वरदान देने को तत्पर हुए शंकर जी के चरणों में गिर पड़े तथा अनेक प्रकार से भगवान की स्तुति करने लगे… कच के ऊपर आई यह आपत्ति देखकर बृहस्पति गुरु भी घबराकर बोले हे देव! इसके बाद मैंने

आत्मा साक्षी विभुः पूर्ण एको मुक्तश्चिद्क्रियः। असङ्गो निस्पृहः शांतो भ्रमात्संसारवानिव।। सूत्र का अर्थ आत्मा साक्षी, विभु (व्यापक), पूर्ण एक, मुक्त, चैतन्य, अक्रिय (क्रियारहित), असंग (अकेला), निस्पृह (कामनारहित), शांत है। भ्रमवश ही यह संसारी प्रतीत होता है। जिन्हें बोध (ज्ञान) नहीं होता, वही इस पंच भौतिक शरीर को सब कुछ मानते हैं। उनकी दृष्टि में आत्मा

12 मार्च रविवार, फाल्गुन, शुक्लपक्ष, पूर्णिमा, होली 13 मार्च सोमवार, फाल्गुन, कृष्णपक्ष प्रतिपदा, वसंतोत्सव, होला-मेला 14  मार्च मंगलवार, चैत्र, कृष्णपक्ष, द्वितीया चैत्र संक्रांति 15 मार्च बुधवार, चैत्र, कृष्णपक्ष, तृतीया 16 मार्च बृहस्पतिवार, चैत्र, कृष्णपक्ष चतुर्थी, श्रीगणेश चतुर्थी व्रत 17 मार्च शुक्रवार, चैत्र, कृष्णपक्ष, पंचमी, श्रीरंग पंचमी 18 मार्च शनिवार, चैत्र, कृष्णपक्ष, षष्ठी, एकनाथ षष्ठी

चौदह हजार से भी अधिक असुर तथा खर और दूषण जैसे वीरों का राम ने अकेले ही काम तमाम कर दिया है। राम ने ऋषियों को सुरक्षा प्रदान करने का वादा कर दिया है और उनके लिए सारा क्षेत्र भी तैयार कर दिया है… यहां तक कि उसके अपने लोग भी ऐसे शासक का, जो