पाठकों के पत्र

( रूप सिंह नेगी, सोलन ) केंद्र सरकार की कालेधन पर नकेल कसने की मुहिम क्या रंग लाती है, यह फिलहाल समय पर छोड़ते हैं, लेकिन बीएसपी के खाते में 104 करोड़ रुपए जमा होने पर सियासत क्यों गरमा गई है? जब दूसरे दलों के खातों में करोड़ों की राशि जमा होती है, तो फिर

( अर्पिता पाठक ) तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को सारधा, रोजवैली जैसे चिटफंड घोटाले के संदर्भ में गिरफ्तार करने पर उस पक्ष के समर्थक क्रोधित हो गए हैं। नेता चाहे किसी भी दल का हो, वह किसी भी घोटाले में शामिल होने के सबूत होने के बाद भी उसका समर्थन करना गलत है। देश

( डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर ) सांसद अनुराग ठाकुर को उस समय गहरा आघात लगा, जब माननीय उच्चतम न्यायालय ने अनुराग को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया। गौरतलब है कि आईपीएल में मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग का मामला उजागर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में पसरी सफाई का बीड़ा

( प्रेमराज भावटा, टिक्कर, शिमला ) संकल्प यदि जनहित के लिए हो, तो उसे साकार करने में प्रकृति भी साथ देती है। इतिहास गवाह है, जब-जब राष्ट्र नायकों ने राष्ट्रहित में जनता को अपनी सुख-सुविधाएं त्याग देने का आह्वान किया, तो देशवासियों ने इसे पवित्र व्रत के समान श्रद्धा से आत्मसात किया। गत वर्ष भारत-पाक

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) सिंहासन वजनी बना, रिश्ते फेंके भाड़, परिजन ही परिवार के, जड़ से रहे उखाड़। दोनों खेमे सामने,  बाजू रहे हैं तान, अमरू, शिव, गोपाल ने, ऐसा डाला जाल। नेताजी यह क्या किया, इज्जत मटियामेट, क्यों इतना अब गिर गया, राजनीति का खेल। रोज निकाले जा रहे, रोज आ

( जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र ) धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने की परंपरा के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सख्ती दिखाई है। देश के हर चुनाव में धर्म और जाति के सहारे वोट मांगने की पुरानी प्रथा रही है। इसमें अंतर इतना ही रहता है कि कोई सीधे तौर पर, तो कोई

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) बेनामी सौदों वाले, रगड़े में श्रीमान, नमो-नमो की बात पर, अब तो दे लें ध्यान। अब तो दे लें ध्यान, कान से रुई निकालें, गलती से भी अब, आटे में नमक न डालें। करेगा वह हिसाब, नाम बाहर आएगा, बेशक हो तिल, खाने वाला पछताएगा। बेनामी का मतलब,

( एसएस सिपहिया, ढलियारा ) माननीय उच्च न्यायालय ने सितंबर, 2015 में हिमाचल सरकार को आदेश दिए थे कि वह सरकारी भूमि पर वैध कब्जाधारियों को मालिकाना हक देने के लिए तीन महीने में पूर्ण स्वामित्व योजना लाने पर विचार करे। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि आने वाली योजना में कोई तय सीमा नहीं

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल ) सरकारी स्कूलों में बच्चों को निःशुल्क वर्दी मिलती है। जूता-जुराब और टाई बच्चे अपने पैसे से बाजार से खरीदते हैं। हिमाचल सरीखे ठंडे प्रदेश में सर्दियों के मौसम में बच्चों को गर्म कपड़ों की भी जरूरत पड़ती है, लेकिन कई गरीब मां-बाप स्कूली बच्चों के लिए गर्म