संपादकीय

हिमाचल कर्मचारियों के हितों का मक्का है और इसीलिए प्रदेश के संसाधन इस वर्ग को पूजनीय-वंदनीय बना देते हैं। कमोबेश हर सरकार को अपने संसाधनों से इसी प्रक्रिया में खुद को अव्वल साबित करने के लिए सामग्री जुटानी पड़ती है। राज्य ने कर्मचारी मुद्दों को इतनी तरजीह दे डाली है कि अब राजनीति के डाली-डाली इनके प्रति झुकी रहती है। ओल्ड पेंशन की गोल्ड माइन खोल कर सत्ता में आई कांग्रेस अब प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के रास्ते कर्मचारी वर्ग के अधिकारों को

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सिफारिश की है कि पाठ्यक्रमों में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया जाए। फिलहाल यह एक समिति की सोच और अनुशंसा तक ही सीमित है। संविधान के अनुच्छेद एक में ‘इंडिया, जो भारत है’ का उल्लेख है। अर्थात हमारे संविधान-निर्माताओं को दोनों ही शब्द स्वीकार्य थे और उन्हें परस्पर पूरक माना गया था। आजादी के 76 साल बाद भी एक व

सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और देश की सीमाओं के प्रहरी सैनिक अब ‘रथ-प्रभारी’ भी बनेंगे। वे मोदी सरकार, अर्थात भारत सरकार, के नौ साल की उपलब्धियों, सरकारी परियोजनाओं, का बखान करेंगे तथा जन-जन तक पहुंचाने के लिए गुणगान करेंगे। अब सरकार के ‘लोकसेवक’ भी मोदी सरकार के प्रवक्ता बनेंगे। वे ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के रथी होंगे और सरकारी कार्यक्रमों का ग्रासरूट तक प्रचार करने के प्रयास करेंगे। भारत सरकार के स्तर पर कदाचित यह पहली बार कराया जा रहा है। इस संदर्भ में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग और रक्षा मंत्रालय ने सर्कुलर जारी कर सरकारी कर्मचारियों और नौकरशाहों को निर्देश दिए हैं। मोदी सरकार का यह फैसला राजनीतिक विवाद बन

आसान धन कमाने की चाहत ने क्रिप्टो करेंसी के अवतार में जिस तरह के अपराध को जन्म दिया है, उसके अनुमान-अनुपात में हिमाचल का दलदल देखा जा सकता है। ठगों के गिरोह अपने हैं या अपराध की गिरफ्त में युवाओं का नेटवर्क इतना प्रभावशाली हो गया कि राज्य में करोड़ों की लूट की तहें शर्मिंदा हैं। आमदनी का जरिया और न•ारिया साबित करता है कि क्रिप्टो करेंसी को धन की महबूबा बनाने वालों ने, हिमाचल के खास वर्ग को अपने मोहपाश में लपेट लिया। धन है तो नए निवेश की तलाश में, हिमाचली भी तत्पर हैं कि दिल की आरजू में सोने के महल बना लिए जाएं। निवेश का कतरा-कतरा

चारों ओर मार-काट मची है। बम, मिसाइलों और बारूद की अन्य किस्मों से विध्वंस किए जा रहे हैं। हररोज, हर पल अनेक नरसंहार भी किए जा रहे हैं। दुनिया का एक हिस्सा खंडहर और मलबा हो चुका है। ये किसी बुराई के खिलाफ अच्छाई अथवा असत्य पर सत्य की जीत के युद्ध नहीं हैं। साबित किया जा रहा है कि मानव विभिन्न हथियारों के सामने कितना बौना, असहाय और असमर्थ है! मानवता और इनसानियत के मूल्य गायब हैं। ल

क्योंकि यह हिमाचल के धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम में हुआ, इसलिए प्रकृति के विहंगम दृश्यों का समावेश वल्र्ड मैचों की शृंखला का शृंगार बढ़ा गया। खास तौर पर जब बादलों की एक टोली स्टेडियम में आई और मैच की निगाहों में वो फलसफा बन गए जो जानते नहीं थे कि यहां तो कृत्रिम प्रकाश में भी खलल पड़ जाएगा। एक अच्छी क्रिकेट रविवार की दोपहरी में उगी और शाम से रात आते-आते पर्यटन की नजरों में समा गई। बेशक अच्छी क्रिकेट

20 सालों की लगातार पराजयों के अभिशाप, अंतत:, धुल गए। आईसीसी विश्व कप में टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड को आखिरी बार 2003 में पराजित किया था। उसके बाद पराजय के सिलसिले ऐसे बंधे कि हम न्यूजीलैंड को हराने में असमर्थ होते रहे। 2019 के विश्व कप के सेमीफाइनल की वह कसक आज भी पीड़ा देती है। टीम इंडिया जीत के मुहाने पर थी, लेकिन कप्तान धोनी के अचानक रन आउट होते ही मुकाबले का परिदृश्य ही बदल गया। टीम इंडिया पराजित होकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई और न्यूजीलैंड फाइनल में पहुंच कर ‘उपविजेता’ बनी। मौजूदा एकदिनी क्रिकेट के विश्व कप में हमने न केवल पराजयों के प्रतिशोध लिए हैं, बल्कि टीम इंडिया को अभी तक ‘अपराजेय’ रखने में भी सफल रहे हैं। न्यूजी

मिठाई के सीजन में मिल्कफेड की मिठास और एक कवायद साल के जश्न में कुछ दिखाने की। मिठाई को हाथों में थामे मिल्कफेड इस बार गिफ्ट पैक में बाजार की मोहब्बत दिखा रहा है, जहां खरीददार के लिए एक ब्रांड है हिमाचल। इसमें दो राय नहीं कि दिवाली की मिठाई और लोहड़ी की गज़क के बहाने मिल्क फेडरेशन अपनी उपस्थिति के साथ स्वाद लेकर आती है। यह भी सही है कि गुणवत्ता के आधार पर ये उत्पाद अपनी खासियत

जब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे, तब 11 सांसद आरोपित हुए थे कि वे नकद कबूल कर संसद में सवाल पूछते थे। प्रथमद्रष्ट्या सांसद भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए गए, नतीजतन स्पीकर ने उनकी सांसदी खारिज कर दी थी। उनमें भाजपा के सांसद भी थे। केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार थी और डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। इस मामले पर संसद के भीतर और बाहर खूब हंगामा मचा था। दरअसल वह एक मीडिया ऑपरेशन था, जिसमें छिपे कैमरे से वह भ्रष्टाचार रिकॉर्ड किया गया था। मामला सर्वोच्च अदालत तक पहुंचा, लेकिन उसने स्पीकर के सं