हिमाचल फोरम

योग- अपने आपको जानने और जीने की कला। शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति का टॉनिक। योग की दीवानी हुई दुनिया का भारत गुरु है। पर क्या गुरु कहलाने वाले इस देश की देवभूमि हिमाचल में आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आम आदमी योग के लिए वक्त निकाल पा रहा है? विश्व योग दिवस के अवसर

योग- अपने आपको जानने और जीने की कला। शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति का टॉनिक। योग की दीवानी हुई दुनिया का भारत गुरु है। पर क्या गुरु  कहलाने वाले इस देश की देवभूमि हिमाचल में आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में आम आदमी योग के लिए वक्त निकाल पा रहा है? विश्व योग दिवस के अवसर

इंटरनेट के इस युग में हालांकि सबकुछ ऑनलाइन  है, लेकिन इस युग में भी युवाओं का अखबार पढ़ने का क्रेज कम नहीं हुआ है। कुछ युवा इंटरनेट के इस युग में अखबार खत्म होने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर युवा का अखबार पर बड़ा असर नहीं बता रहे हैं। आपराधिक घटनाओं की खबरों

इंटरनेट के इस युग में हालांकि सबकुछ ऑनलाइन  है, लेकिन इस युग में भी युवाओं का अखबार पढ़ने का क्रेज कम नहीं हुआ है। कुछ युवा इंटरनेट के इस युग में अखबार खत्म होने की भी बात कर रहे हैं, लेकिन अधिकतर युवा का अखबार पर बड़ा असर नहीं बता रहे हैं। आपराधिक घटनाओं की

भारतीय पत्रकारिता करीब दो सदी पुरानी है। समय में बदलाव के साथ ही पत्रकारिता का अंदाज भी बदला है और सोशल मीडिया भी सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम बना है, लेकिन आज भी लोग प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता को ही विश्वसनीय मानते हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रदेश काफी

आधुनिकता के इस दौर में जहां लोग हाईटेक होते जा रहे हैं। वहीं, इंटरनेट के माध्यम से सोशल मीडिया पर एकदम से अधिकतर जानकारियां लोगों तक आसानी से पहुंच रही हैं। इसके चलते वर्तमान में अखबार पढ़ने वाले लोगों का ग्राफ कम हुआ है। ऐसे नहीं है कि अखबारों का महत्त्व नहीं है। अभी भी

भारतीय पत्रकारिता करीब दो सदी पुरानी है। समय में बदलाव के साथ ही पत्रकारिता का अंदाज भी बदला है और सोशल मीडिया भी सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम बना है, लेकिन आज भी लोग प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता को ही विश्वसनीय मानते हैं। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रदेश काफी

भागदौड़ भरी जिंदगी में किताबें पीछे छूट गईं और मोबाइल सूचना और जानकारी का वो जरिया बन गया, जो आज की पीढ़ी की कसौटी पर खरा उतरा। हाल यह हो रहा है कि ऑप्शन ज्यादा होने से पाठक की नजरें और नजरिया दोनों ही बदल गए। न लेखक से मोह रहा और न ही रचना

भागदौड़ भरी जिंदगी में किताबें पीछे छूट गईं और मोबाइल सूचना और जानकारी का वो जरिया बन गया, जो आज की पीढ़ी की कसौटी पर खरा उतरा। हाल यह हो रहा है कि ऑप्शन ज्यादा होने से पाठक की नजरें और नजरिया दोनों ही बदल गए। न लेखक से मोह रहा और न ही रचना