विचार

आपदा प्रबंधन के भयावह संघर्ष में किन्नौर की त्रासदी तमाम व्यवस्था को बौना कर देती है। मौसम की बर्फानी अदा के बीच जिंदगी के सुराख ढांपने की कोशिश में, बेशकीमती जीवन के चिन्हों को सुरक्षित रखने की जंग। बर्फ की चपेट में आधा दर्जन सैनिक और आपदा प्रबंधन की तस्वीर में बगलें झांकने की मशक्कत

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार मेरा मानना है कि यह उचित समय है जब इस तरह की भ्रांतियों को एकदम खत्म करना होगा। राज्यों की व्यवस्था का जहां तक सवाल है, या तो केंद्र द्वारा शासित केंद्र शासित प्रदेश होने चाहिएं अथवा संपूर्ण अधिकारों व व्यवस्थाओं वाले संपूर्ण राज्य होने चाहिए। ऐसे मामलों में

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश से पहली बार एवरेस्ट फतह करने वालों में डिकी डोलमा, बलदेव कंवर व राधा देवी आदि पर्वतारोहियों के लिए उस समय पूरा खर्चा भारतीय पर्वतारोहण संस्थान ने उठाया था। इस समय हिमाचल प्रदेश में कई बड़े घराने अपने व्यवसाय चला रहे हैं, जिनमें  करोड़ों रुपए का लाभ होता

– राजीव डोगरा, कांगड़ा उठो देश के वीर जवानों, अब तुम्हारी बारी है। मर-मिट कर नहीं, मार-मिटा कर जंग जीतने की बारी है। मत भूल जाना तुम, यह देश है रण चंडी का, जिसने बन काली दुश्मन के रक्त से अपनी प्यास बुझाई है। मत भूल जाना तुम यह देश है गुरु गोविंद सिंह जी

क्रिकेट इंडिया के पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन और प्रख्यात स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह ने एक नई बहस छेड़ दी है कि विश्व कप के दौरान पाकिस्तान के साथ मैच नहीं खेलना चाहिए। बेशक टीम इंडिया को दो अंक गंवाने पड़ें, बेशक भारत विश्व कप जीत पाए या नहीं, लेकिन पाकिस्तान की क्रिकेट टीम का बहिष्कार

– देवेंद्रराज सुथार, राजस्थान पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के लिए श्रद्धांजलि कार्यक्रम कर सकते हैं और कुछ घिसे-पिटे बयान दे सकते हैं, जिन्हें सुन-सुनकर कान पक चुके हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक हम अपने सैनिकों को आतंक की भेंट चढ़ाते रहेंगे? कब तक सैनिकों के परिवार बेसहारा और

ऐसी कार्रवाई जिसका जनसमर्थन, सुशासन की काबिलीयत में दर्ज होगा। ड्यूटी से नदारद छह कर्मचारियों को संस्पेंड करके भरमौर के उपमंडलाधिकारी ने साबित कर दिया कि बर्फबारी के आगोश में सुशासन की धड़कनें बंद नहीं हो सकती। तीन पंचायत सचिव, दो तकनीकी सहायक और एक ग्राम रोजगार सेवक पर गिरी गाज की प्रशंसा इसलिए कि

– मेवरिक रोशन चौहान, सुकेत रियासत सरहदों से आई आज खबर है, लिपटा तिरंगे में फिर आया मां का जिगर है। उठी सियासत में बात, छलकी हैं मां की आंखें, रौशनी हुई फिर कम है। नामुमकिन नहीं है फैसला सरहदों का, उजड़ रहा आंचल फिर मां का क्यों है? खौला है खून आज फिर हर

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अब आवश्यकता है कि पाकिस्तान से हर तरह का संबंध खत्म किया जाए, स्थानीय अलगाववादियों और उनकी संस्थाओं के साथ-साथ देवबंद द्वारा संचालित मदरसों पर प्रतिबंध लगाया जाए, धारा 35-ए और धारा 370 को समाप्त किया जाए, उद्योग को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं और पेशेवर ढंग से भारत