विचार

 शेर सिंह, बिलिंग, लाहुल-स्पीति बहुत बड़ी चाल हुई है। इनसानियत हलाल हुई है। काबुलीवाला तो छुआरा लेकर आता था, लेकिन अपने लोग छुरा लेकर आते हैं। आम घर का गरीब बच्चा सिर्फ नया रंगरूट है, बम-धमाकों के बाद बचा सिर्फ उसका बूट है। माथे पर डर का पसीना, न जाने किन नसों में बह गया

श्रद्धांजलि नामवर सिंह (जन्म : 28 जुलाई 1926, निधन : 19 फरवरी 2019) हिंदी के शीर्षस्थ शोधकार-समालोचक, निबंधकार तथा मूर्धन्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक उपन्यास लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी के प्रिय शिष्य रहे। अत्यधिक अध्ययनशील तथा विचारक प्रकृति के नामवर सिंह हिंदी में अपभ्रंश साहित्य से आरंभ कर निरंतर समसामयिक साहित्य से जुड़े हुए आधुनिक अर्थ में विशुद्ध

शेर सिंह  साहित्यकार संस्मरण -गतांक से आगे… ऐसे ही हुलिए में उसने वॉशरूम को यूज किया। दुआ-सलाम के बाद मैं उसको ध्यान से देखने लगा। काला कुर्ता-काला पजामा। माथे पर सफेद चंदन का टीका और बढ़ी हुई दाढ़ी। लेकिन पैरों में कुछ नहीं! बिल्कुल नंगे! नंगे पैरों के साथ ही उसने यूरिनल का उपयोग किया

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   पुलवामा हमले के बाद महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान के पक्ष में बोल कर इन अलगाववादी समूहों में फिर से अपनी पैठ बना सकेंगी, निश्चित ही ऐसा आकलन पुलवामा हमले की योजना बनाने वालों का रहा होगा और सचमुच उसी आकलन के हिसाब से महबूबा मुफ्ती प्रतिक्रिया कर भी रही

एनआर ठाकुर कर्मचारी नेता नई पेंशन योजना कर्मचारी को विभिन्न लाभों से वंचित रखती है, जैसे इसमें न्यूनतम पेंशन की गारंटी नहीं है, इसमें महंगाई भत्ता नहीं जुड़ता, 80, 85, 90, 95 और 100 वर्ष की उम्र  पार करने पर जो अतिरिक्त पेंशन लाभ मिलता है, वह इस योजना में शामिल  नहीं है। यदि कोई

 डा. राजन मल्होत्रा, पालमपुर जम्मू-कश्मीर में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ आतंकी हमला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। इसकी मात्र निंदा ही काफी नहीं है, बल्कि खून का बदला खून से होना चाहिए, तभी शांति हो सकती है। जिस प्रकार मसूद अजहर और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, उससे लगता

रोशन चौहान सुंदरनगर, मंडी 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में हुआ आतंकी हमला दूसरा सबसे बड़ा हमला है। इस हमले से हमारे देश का माहौल अपने आप को दोहरा रहा है। उच्च स्तरीय बैठकें, सोशल साइट्स पर आम नागरिकों का आक्रोश, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के  प्रति नाममात्र विरोध और प्रतिबंध। चुनावी वर्ष होने के

 नीरज त्यागी, गाजियाबाद मन में ज्वाला धधक रही है, हर एक मन आज यह बोला है। आमने-सामने की लड़ाई करो कायरों, क्यों छिप कर आते हो। क्यों न रण  में हम दो-दो हाथ करें। अगर न फाड़ दी दुश्शासन की तरह तुम्हारी छाती, तो हम भारत मां के लाल नहीं। तुम्हारे खून में अगर कायरता

 नंद किशोर परिमल, गुलेर पाकिस्तान है कि मानता नहीं, अमन और शांति की बात वह जानता नहीं। ढीठ वह है बड़ा, प्यार-मोहब्बत की बोली कभी बोलता नहीं। बार-बार चेतावनी देने के बावजूद, सीजफायर है वह तोड़ता। कारस्तानियों के काम करता, इनसे कभी बाज वह आता नहीं। आतंकियों को है गले लगाता, उनको हिंदोस्तान में है