विचार

भजन-कीर्तन करते हों तो करें। माला जपते हों तो जपें। उसमें कुछ भी बदलने की आवश्यकता नहीं है। समझना सिर्फ ये है कि ये सब अध्यात्म की शुरुआती सीढिय़ां हैं। अध्यात्म में आगे तब बढ़ेंगे जब हम खुद भगवान हो जाएंगे, तो हमारा हर काम खुद-ब-खुद परमात्मा को समर्पित होता चला जाएगा। जीवन सिर्फ स्वस्थ ही नहीं होगा, खुशनुमा भी होगा और खुशहाल भी होगा। स्पिरिचुअल हीलिंग, यानी आध्यात्मिक उपचार इस मामले में हमारे लिए सबसे उपयुक्त साधन है, जो हमें हमारी मानसिकता

हिमाचल सरकार गर्मियों के सीजन में यदि चार महीनों के लिए ही सही, ऑनलाइन बुकिंग द्वारा हेलीकाप्टर सेवा और बड़ा भंगाल में पर्यटकों के रहने-खाने की व्यवस्था एक पैकेज के तहत व्यवस्थित तरीके से करे, तो निश्चित तौर पर बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आना और ठहरना चाहेंगे, जिससे न केवल बड़ा भंगाल क्षेत्र में पर्यटक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, अपितु राज्य की आर्थिकी को भी

अभी हमने सिर उठाया भी नहीं, कि उससे पहले ही उन्हें खतरा पैदा हो गया, कि ये लोग सिर उठाएंगे तो जीने की राह मांगेंगे। पीठ भरने का वसीला मांगेंगे। खोई हुई जानों का हिसाब मांगेंगे। इसलिए इससे क्या बेहतर नहीं कि ये सिर उसी प्रकार झुके रहें, और अपनी जान और माल की खैर खैरियत हमसे मांगते रहें। आप पूछ सकते हैं, कौनसी जान और कौनसा माल? क्या वह जान जो संक्रमित होकर इसलिए द

हाल ही में स्विस ग्रुप आईक्यू एयर ने विश्व भर के उन देशों की सूची जारी की है जिनमें सबसे ज्यादा प्रदूषण है। इस सूची में हमारे देश की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को सबसे ज्यादा प्रदूषित बताया गया है। इस सूची के अनुसार पिछले साल 134 देशों में बांग्लादे

पौधे फिर से जमीन से, उखड़े अपनी जमीर पर। कौन किसको झटका दे गया, कौन दे रहा और कौन दे पाएगा, इसको लेकर हिमाचल की राजनीति को खुद पर संशय है। भाजपा लगातार कांग्रेस को हैरान करने के सामथ्र्य में, अधिकांश भाजपाइयों को परेशान करने की

पाकिस्तान में दो वारदातें ऐसी हुई हैं, जिनका निशाना चीनी नागरिकों की तरफ लगता है। पाकिस्तान की सुरक्षा समस्याएं एक बार फिर बदतर होती जा रही हैं। एक घटना बीते सोमवार को हुई, जब ‘बलोच मुक्ति सेना’ के चरमपंथियों ने पाकिस्तान के नौसेना बेस ‘पीएनएस सिद्धिक’ में घुसने की कोशिश की। यह खबर जानबूझ कर छिपा दी गई, अलबत्ता इसके फलितार्थ बेहद गंभीर हो सकते थे। यह हमलानुमा प्रयास ग्वादर बंदरगाह क्षेत्र पर किए गए हमले के करीब एक सप्ताह बाद किया गया। हालांकि सुरक्षा बलों ने ह

पानी आवश्यकता ही नहीं, हमारे प्राणों से जुड़ा है। इसके लिए हम सबकी पहल जरूरी है, अन्यथा आने वाले समय में क्या देश और क्या दुनिया, सभी को प्यासे ही गुजर-बसर करना होगा। जल ही जीवन है। जल के बिना कल की कल्पना नहीं की जा सकती। जल संरक्षण, वॉटर रिजार्च और जन जागरूकता ही विकल्प हैं। लोगों की भागीदारी के बिना यह संभव नहीं है...

देश-प्रदेश की तस्वीर में हम चंद नेताओं पर अपनी तकदीर का फैसला करना चाहते हैं और यही हमारी लोकतांत्रिक आस्था के स्वरूप को निर्धारित कर रहा है। सवाल जनता के विश्वास से परे हालात पर टिके हैं, इसलिए राजनीतिक सर्कस में भी हम प्रतिभा देखने की गुस्ताखी कर बैठते हैं। जनता राष्ट्रीय स्तर से हिमाचल तक केवल चलाई जा रही है और उम्मीदों तथा संभावनाओं के प्रश्न चुनाव दर चुनाव आगे सरकाए जा रहे हैं। ऐसे में जनता या अपने मतदान के भरोसे पर देश की सुनहरी तस्वीर के प्रति आशावान है या विकल्पों की कमी उसे मजबूरीवश आगे धकेल रही है। इस बीच दिव्य हिमाचल के साप्ताहिक प्रश्न के जवा

लोकसभा के चुनाव सिर पर हैं। राजनीतिक दल अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार मतदाताओं से वादे कर रहे हैं, किंतु ज्यादातर वादे लोकलुभावन किस्म के ही होते हैं जिनमें दीर्घकालीन जनहित का अभाव देखने को मिलता है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में विशेषकर हिमालय और आम तौर पर पूरा देश ही संकटग्रस्त होने की स्थिति में आ गया है। बाढ़, सूखा, असमय बारिश, बर्फ बारी का कम होते जाना, ग्लेशियरों का तेज गति से पिघलना जैसे लक्षण तेज गति से फैलते जा रहे हैं। परिणामस्वरू