विचार

भारत में ही चीन का मुकाबला करने की काबीलियत है। इसके अलावा अमरीका और भारत के व्यापारिक रिश्ते लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में घरेलू मामलों में अमरीका या किसी दूसरे पश्चिमी देशों की किसी तरह की टीका-टिप्पणी को भारत बर्दाश्त नहीं करेगा...

कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर व शिमला, चारों लोकसभा क्षेत्रों में 1 जून 2024 को चुनाव होंगे। शायद यह तिथि हिमाचल में दूरगामी क्षेत्रों के मौसम को ध्यान में रखकर तय की गई है। बहरहाल, मंडी संसदीय सीट पर प्रतिभा सिंह के चुनाव लडऩे की ताजा घोषणा के कारण अब यहां कांटे की टक्कर होगी...

जांच होनी ही चाहिए महाराज। मेरा पड़ोसी नई आलीशान कार खरीद कर ले आया है। उसकी तनख्वाह तो मेरी तनख्वाह से भी आधी है। मैं तो सेकंड हैंड गाड़ी भी नहीं खरीद पा रहा हूं, जबकि वह इतनी महंगी कार खरीद लाया है। उसके पास इतने पैसे कहां से आए, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए। जांच एजेंसियों को उसे पूछताछ के लिए तलब किया जाना चाहिए। इससे जांच एजेंसी को भी काम मिल जाएगा और यह भी पता चल जाएगा कि पड़ोसी की आमदनी के सोर्स तनख्वाह के अलावा और क्या-क्या हैं। सबसे बड़ी बात यह होगी कि मेरे कलेजे को ठंड पड़ जाएगी। अभी उसकी चमचमाती कार उसके घर के आगे खड़ी देखकर मेरे कलेजे में जलन हो रही है। मैं तो वैसे भी जांच का जन्मजात हिमायती रहा हूं। जब देश में किसी न किसी की जांच चलती रहेगी

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का मानना है कि सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती। जब बेरोजगारी की बात उठती है, तो समाधान की तुलना में अंदाजा लगाना आसान होता है। वह अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान की ‘भारत रोजगार रपट 2024’ को पेश किए जाने के अवसर पर बोल रहे थे। यदि बेरोजगारी सरकार का कोई सरोकार नहीं है, तो देश के जीडीपी के आंकड़े और आर्थिक विकास दर कैसे तय की जाती है। क्या जीडीपी भारत के हवा-पानी का ही कोई संकलन है? जीडीपी देश के नागरिकों के रोजगार, उनके संसाधन और अंश

तीनों हुए बदनाम, गुरु, शिष्य और शिक्षण परिसर। केंद्रीय विश्वविद्यालय के शाहपुर परिसर की अस्थायी हुकूमत में एक प्रोफेसर ने अपने चरित्र की चाबुक से बहुत कुछ घायल कर दिया। अध्ययन व अनुसंधान के बीच छात्रा से हुए दुष्कर्म की परिभाषा में सारा माहौल आक्रोशित है, तो निलंबन की कार्रवाई से अनुशासन की गवाही दी जा रही है। आज भी बिखरा है तेरे अध्ययन का मिजाज, तूने इमारतों में केवल अस्त व्यस्तता भर ली। क्या पीएचडी के नए फार्मूले से ईजाज हो रही हैं शरारतें या केंद्रीय विश्वविद्या

जब तक अन्ना हजारे या दूसरे लोग कुछ समझ पाते, तब तक खेला हो चुका था। आम आदमी पार्टी बन गई थी। उसने लोकसभा के चुनावों में प्राय: हर सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया था। खुद वाराणसी में नरेंद्र मोदी के खिलाफ खड़े हो गए और उसके दूसरे साथी कुमार विश्वास अमेठी में ताल ठोकने लगे। लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ... दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद

भवन निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण कहीं भी हो सकता है तो फिर मैदान के लिए दुर्लभ समतल जगह को क्यों बरबाद कर रहे हो। हर शिक्षा संस्थान को अपना खेल मैदान चाहिए। नए खेल मैदानों का निर्माण व पुरानों का संरक्षण जरूरी है...

देश के वर्तमान हालात को देखकर ‘भारतीय अवसरवादी पार्टी’ नाम से एक राजनीतिक दल बनाए जाने की आवश्यकता है। वैसे तो हमारे यहां सभी दल अवसरवादी हैं, परंतु अब जो दल बने, वह खुले रूप से ही अवसरवाद का नारा देकर सत्तारूढ़ हो तो भारतीय जनता को किसी प्रकार का मुगालता भी नहीं रहेगा तथा अफसोस भी नहीं होगा। अवसरवाद का भारतीय राजनीति में सदैव ही बड़ा बोलबाला

देश में आम चुनाव का मौसम है। राजनीतिक दल मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन कुछ राजनेता अभद्र, बेतुकी बयानबाजी भी इस दौरान करते हैं। हाल ही में कंगना रनौत और ममता बनर्जी के लिए अभद्र भाषा का प्रयो