विचार

विशेषज्ञों के अनुसार देश-दुनिया में मोटापा बहुत से लोगों की जान का दुश्मन बना या बन सकता है, क्योंकि यह जानलेवा बीमारियों का एक कारण भी होता है। मोटापे के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है। आज हमने अपनी जीवनशैली और खानपान की आदतों को बिगाड़ कर अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है। मोटा

स्वारघाट, भाखड़ा व पौंग डैम के किनारे सिर्फ डेस्टिनेशन शादियों के लिए समर्पित रिजॉर्ट बनाए जाएं तो पर्यटन के इस क्षेत्र में क्रांति आ सकती है। प्रदेश की माली हालत को सुधारने के लिए सबसे ज्यादा जरूरत निवेश की है। इस निवेश के लिए विदेशों में जाने की जरूरत नहीं है। सरकार चुनिंदा 100 स्थानों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए समर्पित रिजॉर्ट के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध करवा दे तो निवेश के लिए प्रदेश के उद्यमी मौजूद हैं...

हम उम्मीद करें कि भारत की नई पीढ़ी अपने डिजिटल कौशल और अपनी प्रतिभा से रोजगार और स्वरोजगार के मौकों को अपनी मुठ्ठियों में लेते हुए आगामी तीन-चार वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक भारत को दुनिया का विकसित देश बनाने में अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगी...

पंचायत स्तर पर पंचायत प्रधान एवं पंचों को परंपरागत वाटर रिसोर्सेज के उचित रखरखाव के लिए जनभागीदारी से जल संरक्षण के लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। नौजवानों को आगे आकर जल संरक्षण के लिए सकारात्मक प्रयास करने चाहिएं... जल को जीवन का अमृत कहा ग

बुद्धिजीवी पहले जुबान का अधिकतम प्रयोग कुछ कहने के लिए करता था। उसे बातों-बातों में स्वाद आता था, हालांकि खुद हमेशा कड़वी बात ही करता था, लेकिन जैसे ही बुद्धि ने उसे कमाना सिखाया, वह जीभ पर खाने का स्वाद भी चखने लगा। आश्चर्य यह कि बुद्धिजीवी अब महंगाई के स्वाद का आदी हो गया है, बल्कि उसने बाजार के विपरीत अपना स्वाद विकसित कर लिया है। यानी टमाटर वह तब खाता है, जब किसान इसे खेत से बाहर निकालकर फेंक रहा होता है। आलू तब खाता है जब किसान इसे खेत में ही सडऩे के लिए दबा रहा होता है। नासिक की बारिश उसे प्याज के काबिल बनाती है या पंजाब के खेत की लाचारी उसे खाने की

एक-दो दिन पहले हिमाचल में बारिश और बर्फबारी ने फिर तबाही मचाई है। प्रदेश के कई स्थानों पर हिमस्खलन और भारी बारिश से संपत्ति का काफी नुकसान हुआ है। बरसात में पिछले साल हुई तबाही के जख्म अभी भरे भी नहीं थे, कि फिर से हिमाचल पर संकट आ गया है। केंद्र सरकार से बार

भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की है, उसमें निरंतरता के साथ-साथ परिवर्तन और नयापन भी है। सामाजिक न्याय का भी संदेश दिया गया है, क्योंकि ओबीसी के 57 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। अनुसूचित जाति के 27 और जनजाति के 18 नामों को भी स्थान दिया गया है, हालांकि उनकी निश्चित सीटें आरक्षित होती हैं। भाजपा ने अपने बुनियादी

हिमाचल की राजनीतिक अनिश्चितता के बीच कई ऐसे संबोधन भी हैं जो पूरी तरह प्रदेश के लिए हैं। इन्हीं में से एक जोगिंद्रनगर की शानन विद्युत परियोजना है जो कायदे से अब तक हिमाचल की हो जानी चाहिए थी और अब तो लीज भी खत्म हो गई, तो इस अधिकार पर

कहानी के प्रभाव क्षेत्र में उभरा हिमाचली सृजन, अब अपनी प्रासंगिकता और पुरुषार्थ के साथ परिवेश का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है। गद्य साहित्य के गंतव्य को छूते संदर्भों में हिमाचल के घटनाक्रम, जीवन शैली, सामाजिक विडंबनाओं, चीखते पहाड़ों का दर्द, विस्थापन की पीड़ा और आर्थिक अपराधों को समेटती कहानी की कथावस्तु, चरित्र चित्रण, भाषा शैली व उद्देश्यों की समीक्षा करती यह शृंखला। कहानी का यह संसार कल्पना-परिकल्पना और यथार्थ की मिट्टी को विविध सांचों में कितना ढाल पाया। कहानी की यात्रा के मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डाल रहे हैं वरिष्ठ समीक्षक एवं मर्मज्ञ साहित्यकार डा. हेमराज कौशिक, आरंभिक विवेचन के साथ किस्त-४5