विचार

इन दिनों आम चुनाव में लगभग सभी राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणापत्र तैयार कर रहे हैं, लेकिन अपेक्षाओं के विपरीत भारत की 42 प्रतिशत जनसंख्या, यानी युवाओं और बच्चों के मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं है। कुछ दलों के घोषणापत्रों में टोटकों की तरह बच्चों के मुद्दे रखे तो गए हैं, लेकिन उन पर कोई सार्वजनिक बहस नहीं की जा रही। देश का संविधान कहता है कि लोकतंत्र सबका है और राज्य को सभी के लिए समान विचार अपनाना चाहिए, लेकिन हमारे राजनीतिक दलों और राजनेताओं

हम खुद ही परमात्मा हैं। मैं ही परमात्मा हूं, अहम् ब्रह्मास्मि! अब से हम जो कुछ भी करें, ऐसा करें कि अपनी नजरों में न गिरें। अब से हम जो कुछ करें, परमात्मा को साक्षी मान कर करें, क्योंकि हम उसके साक्षी हैं, और जब हमारा हर काम परमात्मा को साक्षी मान कर होगा तो उसमें से झूठ, फरेब, धोखा, अधूरी सूचना, गलत सूचना का अंश खुद ब खुद निकल जाएगा, सब कुछ सात्विक हो जाएगा और हम परमात्मा को पा लेंगे। यह समझ लिया तो फिर कुछ और समझने की जरूरत ही नहीं रहती है। सत्य के मार्ग पर चलकर ही भगवान को पाया जा सकता है। यही सच्चा अध्यात्म है, यही परमात्मा का मार्ग है। हर धर्म की तरह सहज संन्यास मिशन की भी यही मान्यता है कि परमात्मा सर्वव्यापी है, हर जगह है...

इन धरोहर स्थलों के निकट स्थानीय पकवानों को परोसने वाले स्टाल्स लगाकर पर्यटकों को क्षेत्र विशेष के खानपान से परिचित करवाने का प्रयास होना चाहिए। ऐसे महत्वपूर्ण धरोहर स्थलों के निकट पार्किंग स्टैंड बनाए जाने चाहिए और पर्यटकों को लूटने-झांसा

कम से कम हिमाचल में राजनीति यह सीख चुकी है कि चुनावी फासले में जीत सुनिश्चित करने के लिए नए उद्भव खोजने पड़ेंगे। भाजपा ने इसी खोज में मंडी संसदीय सीट से फिल्म कलाकार कंगना रनौत को अपना लिया तो कांग्रेस ने दुर्ग की सियासत में अपने विधायक एवं मंत्री विक्रमादित्य सिंह को लाव लश्कर के साथ उतार दिया। इसी तरह पार्टी ने आगे बढक़र अपने विधायक विनोद सुल्तानपुरी पर शिमला से दांव खेल दिया। अब अगर चर्चाओं का खलिहान फसल उगाने तक पहुंच जाए तो एक और विधायक या

हमें तलाश है रोटी की, रोजी की। दो जून पेट भर भोजन के बाद आत्मतोष के साथ अपने दिन बदल जाने की। बहुत दिन इन्तजार कर लिया, अब केवल अच्छे दिन का सपना देखने से ही पेट नहीं भरता। उन्होंने कहा था, ‘बहुत जल्दी मैं तुम्हारे लिए ऐसे दिन ले आऊंगा कि तुम्हारे हर खाते में पन्द्रह-पन्द्रह लाख रुयया होगा।’ उन्होंने पवित्र ग्रंथ की कसम खाकर कहा था, ‘मुझे वोटों की पालकी

मेरा लिखने का अपना स्टाइल है। जब भी मेरा मन कुछ भी लीक से हटकर लिखने को करता है तो मैं अपनी लाइब्रेरी में पड़े कवियों-गद्यकारों के संकलनों में से पांच सात कवियों, पांच सात गद्यकारों की रचनाएं मुस्कुराते हुए फाड़ उनके टुकड़े टुकड़े कर उन्हें अपने सृजनात्मक डिब्बे में डाल देता हूं। फिर अपने उस सृजनात्मक डिब्बे को तब तक हिलाता रहता हूं जब तक गद्य पद्य में तो पद्य गद्य में घुल मिल नहीं जाते, कबीर के कुंभ में जल जल में कुंभ की तरह। बाहर जो हो, सो होता रहे। इससे मुझे कोई लेना देना नहीं होता। जब मुझे पता नहीं लगता कि अब इसमें गद्य कौन तो पद्य कौन, उसके बाद मैं अपने सृजनात्मक डिब्बे का ढक्कन खोल डिब्बे में से दो चमच नूतन साहित्य के निकाल उसे कागज पर डाल खिली धूप में सूखने रख देता हूं ता

बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिमी उप्र को एक अलग, स्वायत्त राज्य बनाने का मुद्दा उछाला है। जब मायावती 2007-12 के दौरान उप्र की मुख्यमंत्री थीं, तब भी वह इस मुद्दे पर मुखर थीं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और उनके बाद भी इसी भूक्षेत्र को ‘हरित प्रदेश’ नामक राज्य बनाने को आंदोलन और अभियान छेड़े गए थे। ‘हरित प्रदेश’ राष्ट्रीय लोकदल के महत्व

हम भारतीयों को यह गौरव प्राप्त हुआ है कि भगवान श्रीराम ने भारत में ही अवतार लिया और उनके कारण ही भारत देश विश्व में एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत कर रहा है जो भावी असंख्य पीढिय़ों के लिए भी प्रेरणास्रोत और श्रद्धापुंज बना रहेगा... जब से भगवान श्रीरामचंद्र जी का मंदिर श्री अयोध्या में जी में बनकर तैयार हो गया, हमारे सांस्कृतिक और राष्ट्रीय गौरव की पुन: प्रतिष्ठा हो गई, उसी समय से यह प्रश्न ह

हम भगवान श्री राम जी का जन्मदिन राम नवमी के रूप में मनाते हैं। जब-जब भी सृष्टि पर पाप बढ़ा है, असुरों के अत्याचार से प्राणी जाति संकट में आई है और सत्य, इनसानियत का पतन होने लगा है, तब-तब भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में आए हैं। कभी राम बनके, तो कभी कृष्ण के रूप में। भगवान श्री राम जी ने सृष्टि को रावण के जुल्मों और अत्याचारों से मुक्त करवाया था