विचार

हिमाचल में लोकसभा चुनाव से कहीं अधिक चिराग उपचुनावों में जल रहे हैं। नई रोशनी के समाधान में कांग्रेस की रणनीति सिद्धहस्त होने का जरिया खोजती-खोजती जहां पहुंच रही है, वहां भाजपा भी शह और मात के खेल में कई रहस्यों के साथ खड़ी है। जाहिर तौर पर लोकसभा चुनावों में विधायकों की भूमिका में चुनाव की उम्मीदवारी मंडी से शिमला तक कांग्रेस के पैमानों में ताजगी भर चुकी है और अगर यही आजमाइश कांगड़ा में भी विधायक को उतार दे, तो भाजपा के सामने अगली पारी की बारी मुश्किल परीक्षा पैदा कर सकती है। हिमाचल में राज्यसभा सांसद के चुनाव ने राजनीति का डीएनए बदला है। जो पहाड़ में पहले असंभव था, अब होने लगा है,

इन सब प्रयासों के मद्देनजर सरकार द्वारा प्रोत्साहित सभी क्षेत्रों में निवेश में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। इससे आयातों पर अंकुश लगेगा व निर्यातों को भी प्रोत्साहन मिलेगा...

लोकतंत्र की गंदली और दिन पर दिन सूख रही नदी की मौज़ों में घंटों मौज करने के बाद एक चट्टान पर लेटे झुन्नू लाल विटामिन डी का आनन्द उठा रहे थे। हफ़्ते के छ: दिन, एक कारख़ाने में बारह घंटे, आठ हजार रुपये की मज़दूरी करने वाले झुन्नू को आज रविवार की छुट्टी थी। देश में मौज पूरी तरह उतरी नहीं थी। लोकतंत्र की नदी में अभी कुछ जीवन शेष था। नहीं तो हो सकता था

भाजपा के ‘संकल्प-पत्र’ में कुछ भी नयापन नहीं है। योजनाओं का या तो विस्तार किया गया है अथवा राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई है। भाजपा पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के रिकॉर्ड और लोकप्रियता के भरोसे है। प्रत्यक्ष रेवडिय़ों अथवा मुफ्तखोरी का कोई भी संकल्प नहीं किया गया है। देश के 80 करोड़ से अधिक गरीबों के लिए 5 किलो ‘मुफ्त अनाज’ की योजना 2029 तक जारी रहेगी। यह देश आकलन करेगा कि वह इसे ‘मुफ्तखोरी’ की जमात में रखता है अथवा इसे सामाजिक-रा

बहुत वर्ष नहीं हुए जब तत्कालीन धूमल सरकार ने देश के पहले हिमालयी राज्य को पॉलिथीन मुक्त करने का बीड़ा उठाया और इस क्रांतिकारी कदम ने एक इतिहास लिख दिया, लेकिन इस व्यवस्था की बाद की सरकारें रक्षा न कर सकीं। पड़ोसी राज्यों की संगत में धीरे-धीरे लौट आया पॉलिथीन, क्योंकि पहाड़ के नियम तो सरकारें बदलते ही दफन हो जाते हैं। सर्वप्रथम जनता ही इनका शिकार करती है, जबकि प्रशासन को अब ऐसे कार्यों की फुसर्त ही कहां। आश्चर्य यह कि इस बीच स्वच्छता अभियान चले। गांव-गांव में

डिपाजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन एक्ट में सरकार ने जो बदलाव किया है, उसमें जमाकर्ता को बैंक डूबने की स्थिति में बहुत बड़ी राहत मिली है...

भारत सारी दुनिया में देवभूमि के लिए प्रसिद्ध है। हमारा देश ही मात्र एक ऐसा देश है, जहां पर नवरात्र मनाए जाते हैं और कन्या पूजन होता है। लेकिन जब इसी देश में कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक बुराई की खबरें सुनने को मिलती हैं, तो हर सभ्य और भारत की संस्कृति का अनुसरण करने वाला व्यक्ति यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या भारत वही है जहां पर नवरात्र में कन्या

अफस्पा रुखसत करने के बजाय आतंक के कारण चार दशकों से अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनकर तर्क-ए-वतन का दंश झेल रहे कश्मीर के मूल निवासियों की सुध लेनी चाहिए। कश्मीर में टारगेट कीलिंग का सिलसिला जारी है...

देश की नई पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक करियर के मौके जुटाने के लिए एक ओर सरकार के द्वारा डिजिटल शिक्षा के रास्ते में दिखाई दे रही कमियों को दूर करना होगा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी के द्वारा करियर में आगे बढऩे और रोजगार में आने के बाद भी काम करते हुए लगातार बदलती हुई रोजगार की दुनिया के अनुरूप नए स्किल्स सीखने होंगे...