वैचारिक लेख

सुधीर कुमार सुथार स्वतंत्र लेखक दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे किसान आंदोलन के पीछे भी यही सच्चाई है। किसान लगातार आरोप लगा रहे हैं कि नए कानूनों की घोषणा से पहले ही कुछ कंपनियों ने अपने वेयरहाउस बना लिए थे, नए कानूनों से लाभ उठाने की पूरी तैयारी कुछ कंपनियों ने कर ली थी।

सिद्धांत ढडवाल लेखक गंगथ से हैं पिछले चार-पांच महीनों से जब से नए कृषि कानून आए हैं, किसान पहले अपने प्रदेश में और अब दिल्ली में उनके खिलाफ  प्रदर्शन कर रहे हैं। चाहे विपक्ष की मांग के बावजूद संसद में बिना बहस के बिल पारित करने की बात हो अथवा किसान आंदोलन को कुचलने के

सीटों की बात रहने भी दें तो उसे वोट प्रतिशत में भी ऐतिहासिक गिरावट आई है। लोगों को ग़ुलाम नबी की पार्टी ही ख़ुश रख सकती है। यदि सचमुच ऐसा होता तो जम्मू वाले उनकी पार्टी को गोधूली न चटाते। जहां तक कश्मीर संभाग का सवाल है, वहां कुछ गिनी-चुनी पार्टियों को छोड़ कर, कांग्रेस

भारतीय खेल प्राधिकरण खेलो इंडिया के अंतर्गत प्रदेश में उच्च खेल परिणाम दिलाने वाली अकादमियां स्थापित कर रहा है। अच्छा होगा, वहां भी अच्छे स्तर वाले प्रशिक्षकों को  सम्मानजनक वेतनमान पर रखा जाए ताकि प्रदेश के खिलाडि़यों को उच्च स्तर के प्रशिक्षक मिल सकें… राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर  खेल परिणामों में पिछले कई दशकों

पूरन सरमा स्वतंत्र लेखक मौजानंद जी महाकवि को आज कौन नहीं जानता। साहित्य की गोष्ठी हो या कविता पाठ का कार्यक्रम, मौजानंद जी अपनी-अपनी मौज में गुल-गुल गाते मिल जाएंगे। कम समय में ही उन्होंने जो ख्याति पायी है, वह बिरलों के भाग्य में ही होती है। साठ साल की आयु से शुरू हुआ लेखन

पी. के. खुराना राजनीतिक रणनीतिकार भारतीय संस्कृति में गणेश जी की बड़ी महत्ता है। हर कार्य की शुरुआत से पहले गणेश वंदना द्वारा कार्य की सफलता की प्रार्थना की जाती है। गणेश जी सफलता की शुरुआत हैं। आज हम सफल जीवन के रहस्यों की जानकारी की शुरुआत भी गणेश जी से ही करेंगे। घबराइए मत,

यह तथ्य अब किसी से छिपा नहीं है कि गत वर्ष जून में गलवान घाटी में हुआ सैनिक टकराव कोई आकस्मिक घटनाक्रम नहीं, बल्कि चीन की सोची-समझी साजिश का परिणाम था। एक यूएस कांग्रगेशन पैनल की दिसंबर 2020 की रिपोर्ट के अनुसार गलवान घाटी की घटना चीन की सोची-समझी योजना थी जिसमें वह संभावित नुकसान

वित्त आयोग की यह अनुशंसाएं  प्रदेश के लिए कितनी महत्त्वपूर्ण हैं, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि प्रदेश  की वित्तीय व्यवस्था का 67 फीसदी केंद्र सरकार की आर्थिक सहायता और अनुदान पर निर्भर है। वित्त आयोग ने  प्रदेश को उदार मन से धन अवश्य उपलब्ध करवाया है, पर साथ में कुछ चिंताएं

सुरेश सेठ sethsuresh25U@gmail.com देश के सामने आजकल बड़ी समस्या यह पैदा हो गई है कि इसका चौकीदार कौन है? देश में आधी रात को क्या, दिन-दहाड़े ही ‘जागते रहो’ चिल्लाने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि ये चौकीदार ही कहीं आपका जमा जत्था और माल असबाब लेकर चंपत न हो जाएं, डर लग