वैचारिक लेख

अशोक गौतम साहित्यकार उन सुनहरी दिनों को रोते-रोते प्याज के सूखे छिलके काट रहा था जब सलाद में प्याज ही प्याज होता था कि तभी कहीं से आते फोन की घंटी बजी तो सोचा शायद पड़ोसी का फोन होगा यह बताने के लिए कि बाजार में प्याज सस्ता हो गया है। आंसू पोंछते-पोंछते फोन उठाया

डा. वरिंदर भाटिया स्वतंत्र लेखक ऑटो सेक्टर की हालत तो पिछले एक साल से काफी खराब है। इसकी वजह से मई से जुलाई 2019 में ऑटो सेक्टर की दो लाख नौकरियों पर कैंची चली है। यही नहीं, अभी भी इस सेक्टर की 10 लाख नौकरियों पर तलवार लटक रही है। आल इंडिया मैन्युफेक्चरर्स आर्गेनाइजेशन के

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक विद्यार्थियों की रुचि पढ़ने की नहीं है क्योंकि उनकी दृष्टि केवल हाई स्कूल का सर्टिफिकेट हासिल करने की होती है जिससे वे सरकारी नौकरी का आवेदन भर सकें। अध्यापकों की भी पढ़ाने की रुचि नहीं होती है क्योंकि उनकी सेवाएं सुरक्षित रहती हैं और उनके संगठनों के राजनीतिक दबाव में कोई

कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से हैं   अभी हाल ही में हिमाचल में हुए राजदेई नामक 83 वर्षीया वृद्ध महिला के साथ अमानवीय व्यवहार ने  समाज को अंदर तक झिंझोड़ कर रख दिया।  एक ऐसी महिला जिसका पति नहीं, बेटा नहीं और उसे अशक्त मान देव प्रकरण का पाखंड कर जो बर्बरता की गई वह

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं चाय की चुस्कियों के मध्य पंडित जॉन अली ने अचानक हवा में प्रश्न उछाला, ‘‘अमां यार! दुनिया में सच्चा अवसरवादी कौन है?’’ इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता, वह स्वयं ही बोल उठे, ‘‘वैसे तो अवसरवाद ही इस दुनिया का सबसे बेहतर वाद है। लेकिन हमारा प्रश्न है

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं पुरातन काल से ही देश में कृषि के साथ पशुपालन किसानों का पुश्तैनी व परंपरागत व्यवसाय रहा है। वर्तमान में देश के 70 प्रतिशत कृषक पशुपालन व्यवसाय से जुड़े हैं। दुग्ध उत्पादन व्यवसाय देश की कृषि अर्थ-व्यवस्था का मुख्य आधार स्तंभ तथा सकल कृषि उत्पाद का महत्त्वपूर्ण भागीदार

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री गौरतलब है कि 15 नवंबर को 11वें ब्रिक्स सम्मेलन में दुनिया की पांच उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने जारी संयुक्त घोषणा पत्र में संरक्षणवाद के खिलाफ कमर कसते हुए बहुपक्षीयता का संदेश बुलंद किया है। कहा गया कि व्यापार में तनाव और नीतिगत अनिश्चितता का वैश्विक अर्थव्यवस्था में आपसी विकास,

चंद्रशेखर लेखक, मंडी से हैं हिमाचल प्रदेश में ये योजनाएं यहां की पांच प्रमुख नदियों में ही विकसित हुई हैं। सरकार 2006 तक 23,000 मेगावाट के लक्ष्य पर केंद्रित थी परंतु 2017 तक आते-आते यह लक्ष्य 27,000 मेगावाट पाने की हुंकार भरी जाने लगी है। हालांकि अभी तक 10,580 मेगावाट की मात्र क्षमता ही राज्य

नवेंदु उन्मेष स्वतंत्र लेखक मुझे देर रात राज्यपाल महोदय का फोन आया। उन्होंने कहा कि तुम फौरन राजभवन में चले आओ। मैं सोचने लगा कि आखिर राज्यपाल महोदय ने आधी रात के वक्त मुझे क्यों तलब किया है। गोया कि मैं एक साधारण आदमी ठहरा। दौड़ा-दौड़ा मैं अपने आवास के नीचे सीढि़यों से उतरा और