वैचारिक लेख

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ( डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं ) सरदार पटेल की भी 1950 में ही मृत्यु हो गई थी, अन्यथा वह नेहरू को इस भारतघाती रास्ते पर आगे बढ़ने से रोक सकते थे। समय पाकर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने भी राग अलापना शुरू कर दिया कि रक्षा, संचार और

( डा. मनोहर शास्त्री ‘अनमोल’ लेखक, मंडी से हैं ) रिश्तों-नातों का व्यापारीकरण रोकना होगा अन्यथा भविष्य का समाज निर्जीव व संवेदनहीन समाज होगा, जहां केवल अंधी दौड़ होगी। गांव तथा शहर में यही स्थिति रही तो भविष्य में निरंकुश समाज का निर्माण होगा, जिसमें एक ही छत के नीचे अनेक समाज होंगे, जिनकी शुरुआत

प्रो. एनके सिंह (लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं) हाल ही में एक और मुद्दाविहीन खबर मीडिया चैनलों पर पूरी तरह से हावी रही, जिसमें एक लड़की हाथ में तख्ती लहराते हुए एक लड़की बताती है, ‘पाकिस्तान ने मेरे पिताजी को नहीं मारा, बल्कि जंग ने मारा।’ प्रथमदृष्टया इसमें गंभीरता वाली कोई

भूपिंदर सिंह (लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं) हिमाचल में अगर खेलों को सम्मानजनक स्तर तक ऊपर ले जाना है तो हमें हरियाणा की तरह इनामी राशि पंजाब की तरह खेल संस्थान का प्रबंधन हो तो इस बजट से ही शुरू करना होगा। प्रदेश में अच्छा खेल ढांचा खड़ा कर खेल पर्यटन को भी बढ़ावा मिल

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) सफल महिलाओं का उदाहरण दे-देकर शेष समाज को बार-बार यह बताया जाता है कि महिलाएं पुरुषों से कम नहीं हैं, जबकि होना यह चाहिए कि महिलाओं को पुरुषों के सोचने के ढंग और पुरुषों को महिलाओं के सोचने के ढंग के बारे

( भारत डोगरा  लेखक, प्रबुद्ध एवं अध्ययनशील लेखक हैं ) हमारे देश में सबसे महत्त्वपूर्ण अनाज और भोजन है। यही स्थिति पूरे एशिया महाद्वीप के स्तर पर भी है। अतः धान की फसल की उत्पादकता को बेहतर करना होगा। इसके लिए जरूरी सवाल है कि धान की उत्पादकता को बेहतर करने के लिए जो तकनीक

( डीआर सकलानी  लेखक, सरकाघाट, मंडी से हैं ) पर्यटन विकास हेतु  हमें गांवों में को मूलभूत सुविधाओं का नेटवर्क खड़ा करना होगा। इन गांवों में मनोरंजन पार्क, पार्किंग सुविधा, व्यवस्थित बाजार, सड़क मार्ग, मेले, उत्सव, समारोह, स्केटिंग रिंग, सिनेमा हाल जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, तो पर्यटक खुशी-खुशी वहां जाना चाहेगा… हिमाचल की सांस्कृतिक,

( कंचन शर्मा लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) कचरा प्रबंधन के लिए जगह-जगह रिसाइकिलिंग स्टेशन बनाना, जैविक कचरे को खाद में परिवर्तित करने के लिए आधुनिक संयंत्रों का बंदोबस्त, नई डंपिंग साइट तैयार करना, सफाई व्यवस्था हेतु कर्मचारियों की तैनाती की पहल बजट से हो। साथ ही नए शौचालयों, स्नानागारों व सीवरेज व्यवस्था के लिए

( ललित गर्ग लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं ) कब तक नारी के अस्तित्व एवं अस्मिता को नौचा जाता रहेगा? कब तक खाप पंचायतें नारी को दोयम दर्जे का मानते हुए तरह-तरह के फरमान जारी करती रहेगी? भरी राजसभा में द्रौपदी को बाल पकड़कर खींचते हुए अंधे सम्राट धृतराष्ट्र के समक्ष उसकी विद्वत मंडली के सामने