वैचारिक लेख

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए कि सैनिकों में इस तरह की असहमतियों को लेकर सोशल मीडिया पर विडीयो पोस्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, उसे खत्म करने के लिए सेनाध्यक्ष को सख्ती के साथ आगे आना पड़ा है। इस प्रचलन पर

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं धर्मशाला खेल छात्रावास में कई प्रतिभावान धाविकाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो भविष्य में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। आने वाले वर्षों में ये धाविकाएं ईमानदारी से अपना प्रशिक्षण जारी रखती हैं, तो अगले ओलंपिक, राष्ट्रमंडल व एशियाई खेलों में ये भारत

पीके खुराना ( पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं ) अखिलेश सत्ता में हैं। पार्टी पर उनका वर्चस्व बन गया है। वह परिपक्व राजनीतिज्ञ की छवि में आ चुके हैं और पार्टी ने उन्हें सफलतापूर्वक विकास के प्रतीक के रूप में पेश किया है जो अपराधियों और बाहुबलियों से घृणा करता है

( कर्म सिंह ठाकुर  लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) टूरिज्म को बढ़ावा देना तो दूर की बात, जो विरासत में मिला है, यह उसके दोहन में भी नाकाम साबित हुआ है। विभाग वर्ष भर कंगणा रणौत की ब्रांड एंबेसेडर बनने की मिन्नतें करता रहा, लेकिन पर्यटन को ब्रांड एंबेसेडर से ज्यादा जरूरत सहूलियतों की

( डा. लाखा राम लेखक, चंडीगढ़ में लेखापरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं ) वर्तमान में नेतृत्व के लिए मानक चारित्रिक व्यवस्था का निर्धारण नहीं है और निर्धारित मानकों में भी तमाम छिद्र हैं। राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के कारगर उपाय नहीं हो सके हैं। कहने को तो राजनीतिक दलों के कुछ सिद्धांत

( सतपाल लेखक, एचपीयू में शोधार्थी हैं ) हिमाचल के लगभग सभी जिलों में पर्यटन के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं, परंतु सही मायनों में पर्यटन विकास कुछ क्षेत्रों तक सिमित रहा है,  फिर चाहे चंबा का खजियार हो, डलहौजी, शिमला, कांगड़ा का धर्मशाला या कुल्लू का मनाली क्षेत्र। आज हम अंग्रेजों द्वारा स्थापित इन्हीं

डा. भरत झुनझुनवाला ( डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) सरकार द्वारा केवल वही सार्वजनिक माल उपलब्ध कराए जाते हैं, जिन्हें अमीर व्यक्तिगत स्तर पर हासिल नहीं कर सकता है, जैसे कानून व्यवस्था एवं करंसी। सरकार द्वारा उन सार्वजनिक माल को हासिल कराने में रुचि नहीं ली जाती है, जिन्हें अमीर

( बीरबल शर्मा लेखक, मंडी से हैं ) शिकारी क्षेत्र में पिछले कई सालों से लोग फंसते आ रहे हैं, जिन्हें बचाव दलों ने जान पर खेल कर बचाया है। इसके बावजूद ऐसा कोई उपाय नहीं किया गया कि ऐसी स्थिति में कोई आगे न जा पाए। पहले तो सौभाग्य से जानें बचाई जाती रहीं,

( अनुज आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं ) भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद नियमित पेंशन पाना किसी भी सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। केवल गंभीर कदाचार के आरोपों के चलते ही किसी सरकारी कर्मचारी को पेंशन देने से इनकार किया जा सकता है अथवा पेंशन को जब्त किया