वैचारिक लेख

सुरेश कुमार लेखक, ‘दिव्य हिमाचल’ से संबद्ध हैं कांग्रेस सरकार ने इसी कवायद में धर्मशाला में हिमाचल भवन को भी बनाया, पर धूमल की भाजपा सरकार ने इसे कश्मीर हाउस में तबदील कर दिया। ऐसा भी नहीं है कि भाजपा ने धर्मशाला को तरजीह नहीं दी। प्रेम कुमार धूमल ने धर्मशाला को खेल नगरी घोषित

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे की सीमा को 20000 हजार रुपए से घटाकर 2000 रुपए करके वित्त मंत्री ने देश के विभिन्न राजनीतिक दलों, खास कर वाम दलों के चिढ़ने का जोखिम मोल लिया है। लेकिन उन्होंने देश के समक्ष एक संतुलित तस्वीर पेश करने की कोशिश

डा. मामराज पुंडीर लेखक, सिरमौर कल्याण समिति के अध्यक्ष हैं सिरमौर के हाटी समुदाय से संबंधित जो रिपोर्ट 1979 में केंद्र को भेजी गई थी, उसमें साफ-साफ लिखा था कि इस समुदाय और क्षेत्र को कबायली क्षेत्र घोषित करने के लिए जो शर्तें जरूरी हैं, हाटी समुदाय उन्हें पूरा करता है। देश को आजाद हुए

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं आम जनता की नजर से इन स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों को गिराने के लिए अंततः सिनेमा का सहारा लिया गया। सिनेमा की पहुंच दूर-दूर तक है और प्रत्यक्ष दिखाई गई चीज का आम जनता पर गहरा असर होता है। संजय लीला भंसाली

( कर्म सिंह ठाकुर लेखक, सुंदरनगर, मंडी से हैं ) हिमाचल भारत में छोटे राज्यों की श्रेणी में आता है। शायद इसी कारण केंद्र के बजट में इस पहाड़ी राज्य को कोई बड़ा स्थान नहीं मिल पाता। ऐतिहासिक दृष्टि से हिमाचल कभी भी केंद्रीय बजट का आकर्षण नहीं बना है। इस वर्ष कौन सी नई

प्रो. एनके सिंह ( लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं ) कई समीक्षक सवाल करते हैं कि क्या इस तरह से ट्रंप सफल हो पाएंगे, लेकिन अब वह सत्ता में हैं और वही करेंगे जो उन्होंने कहा था। ट्रंपवाद के उदय से समूचा वैश्विक परिदृश्य बदल रहा है। यह तो आने वाला

भूपिंदर सिंह ( लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं ) करोड़ों की अंतरराष्ट्रीय खेल सुविधा के रखरखाव के लिए आज कोई भी कर्मचारी दिखाई नहीं देता है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने सत्ता में आते ही घोषणा की थी कि राज्य में खेल प्राधिकरण बनाया जाएगा, मगर अब इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस पर

भानु धमीजा ( भानु धमीजा सीएमडी, ‘दिव्य हिमाचल’ ) लेखक, चर्चित किताब ‘व्हाई इंडिया नीड्ज दि प्रेजिडेंशियल सिस्टम’ के रचनाकार हैं चुनावों पर आधारित एक देश में चुनावों की संख्या कम करना कुछ विचित्र है। क्या भारत के लोकतंत्र से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कुछ और है? अकसर चुनाव होना हमारी ताकत होनी चाहिए। हमने केंद्र

( हेमांशु मिश्रा लेखक, पालमपुर से अधिवक्ता हैं ) हिमाचल के लोगों को सभी प्रलोभनों से दूर रह कर प्रदेश को सुरक्षित बनाना होगा। ये आतंकी आहटें हमें आज झकझोर रही हैं। समय रहते अगर हम न संभले तो एक दिन देश की सीमाएं सिकुड़ती हुईं हमारे ही दरवाजे तक आ पहुंचेंगी और तब हम