भरत झुनझुनवाला

दूसरा, देश के उद्यमी अपना देश छोड़कर जो बांग्लादेश, वियतनाम, चीन आदि देशों में जाकर फैक्टरी लगा रहे हैं, उसके पीछे सामाजिक विवादों में वृद्धि दिखती है। अपने देश का सामाजिक ढांचा थरथरा रहा है। उद्यमी नहीं चाहता कि वह अपने परिवार या अपने स्वयं के जीवन को इस प्रकार के वातावरण में रखें। इसलिए

पांचवां उदाहरण 5जी इंटरनेट का लें। आम आदमी के लिए 4जी पर्याप्त है। उसके बच्चे को ऑनलाइन क्लास में सम्मिलित होना होता है अथवा उसे बगल के शहर में फसल के मूल्य की जानकारी की जरूरत होती है। लेकिन 5जी इंटरनेट से भारी मात्रा में सूचना का आदान-प्रदान आसान हो जाता है। जैसे डाटा एनालिसिस

सरकार को चाहिए कि आलोचक मीडिया को अपना विरोधी मानने के स्थान पर अपने सहयोगी के रूप में देखे। अंत में एक और कदम सरकार को उठाना चाहिए। जो शिक्षित एवं अमीर देश छोड़कर पलायन करना चाहते हैं, उनसे भारत की नागरिकता छोड़ने के लिए विशेष टैक्स लगाकर भारी रकम वसूल करनी चाहिए। मेरे संज्ञान

तीसरा कदम यह कि अनावश्यक तारीख न दी जाए। जजों और वकीलों का एक अपवित्र गठबंधन बन गया है। अधिकतर वादों में वकीलों द्वारा हर सुनवाई की अलग फीस ली जाती है, इसलिए जितनी बार सुनवाई स्थगित हो और जितनी देर से कोर्ट द्वारा निर्णय लिया जाए, उतना ही वकीलों के लिए हितकर होता है।

इसलिए सरकार को कठोर कदम उठाते हुए स्टेट बैंक को छोड़ कर अन्य सरकारी बैंकों, एयर इंडिया, तेल कंपनियों आदि का निजीकरण कर देना चाहिए और मिली हुई रकम को नई तकनीकों के आविष्कार में निवेश करना चाहिए। इस सुझाव के विपरीत कहा जा सकता है कि जो सार्वजनिक इकाई के समीप हैं, उनके हितों

इस विभाजन का लाभ होगा कि इन कंपनियों के बीच में प्रतिस्पर्धा बनेगी और देश की स्वदेशी सोशल मीडिया कंपनी को बाजार में प्रवेश करने का अवसर मिल जाएगा। इनकी आपसी प्रतिस्पर्धा से इनके ऊपर स्वयं दबाव बनेगा कि यह जनता को गलत सूचना न परोसे। यदि किसी एक सोशल मीडिया कंपनी ने गलत सूचना

बिटकॉइन का लाभ शून्य है और हानि पर्यावरण, अपराध और रिस्क की, तीनों की है। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने दो वर्ष पहले अपने देश में बिटकॉइन पर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के उस प्रतिबंध को गैर कानूनी घोषित कर दिया। इसलिए वर्तमान

इसलिए यह कहना तर्कसंगत नहीं लगता कि चीन अपनी जनता के मानव अधिकारों  का उल्लंघन कर रहा है क्योंकि किसी भी अधिकार या कानून का अंतिम उद्देश्य  जनता का सुख है। यदि चीन की जनता अपनी सरकार के प्रति सकारात्मक एवं  आशान्वित है तो चीन की सरकार द्वारा अपनी जनता के मानव अधिकारों के उल्लंघन 

चौथा कदम सरकार को भारतीय कंपनियों को निवेश के लिए रकम सस्ते ब्याज दर पर ऋण अथवा सबसिडी के रूप में देनी चाहिए। अमरीकी सरकार ने ईस्टमैन कोडक कंपनी को 5700 करोड़ रुपए की विशाल रकम 25 वर्ष की मियाद पर दवाओं के कच्चे माल यानी एपीआई बनाने के लिए दी है। विशेष यह कि