संपूर्ण क्रांति के जनक लोकनायक जय प्रकाश नारायण (जेपी) ने रामविलास पासवान को वर्ष 1977 में हाजीपुर से चुनाव लडऩे के लिए 10 हजार रुपए दिए थे। दलितों के करिश्माई नेता रामविलास पासवान ने अपने संसदीय सफर की शुरुआत वर्ष 1977 में हाजीपुर सीट से की थी। हालांकि इससे पहले ही वह वर्ष 1969 में अलौली से विधायक बन गए थे। आपातकाल के समय वह आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) कानून के तहत जेल में बंद थे। जेल से छूटने के बाद जेपी ने उनसे हाजीपुर से चुनाव लडऩे को कहा था। रामविलास के पास उस समय पैसे नहीं थे।

‘तारीफ अपनी करना फिजूल है, खुशबू खुद बता देती है कौन सा फूल है’ पैराडाइज ट्रेनिंग स्कूल के प्रबंधक सुरेंद्र पाल भी एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने आर्टिस्टों को तराशने की जिद्द को अपना सपना बनाया है। एक सपना लेकर साल 2000 से बच्चों को तराशना शुरू किया और 2016 में पैराडाइज ट्रेनिंग स्कूल घुरकड़ी को स्थापित किया। आज इस स्कूल से सैकड़ों युवा प्रशिक्षित होकर कामयाब हो रहे हैं। मंगलवार को पैराडाइज ट्रेनिंग स्कूल द्वारा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया । इस समारोह में पैरा

जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विस टैक्स के लागू होने के बाद केवल बाजार का ही दृष्य नहीं बदला है, रोजगार के मौकों पर भी इसका असर है। जीएसटी ने जॉब के मौके बढ़ाए हैं। नए परिदृश्य में टैक्स और टेक्नोलॉजी से संबंधित...

मैं वीरभूमि हमीरपुर से हूं। यहां का सैनिक देश की सीमा पर सीना तानकर गोली खाता है। मैं भी योद्धा हूं, खनन माफिया के आगे हथियार नहीं डालूंगा। 40 साल संघर्ष करने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचा हूं, लेकिन मेरे कदम कभी डगमगाए नहीं। यह कहना था मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का। मंगलवार को बड़सर में कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष डटवालिया के नामांकन के उपरांत आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि दोनों वोट मुख्यमंत्री को जाने चाहिए। य

हिमाचल का सबसे बड़ा चुनाव (उपचुनाव) धर्मशाला में प्रदेश की सियासत से मुखातिब है। यह भौगोलिक अपेक्षाओं, हिमाचल के पुनर्गठन, ऊपरी-निचले हिमाचल के संतुलन, विकास के मॉडल, नए नेतृत्व की डगर और कांगड़ा के भंवर पर खड़ा पुकार रहा है। विडंबना यह है कि करीब डेढ़ साल बाद ही सुक्खू सरकार को धर्मशाला के मंच पर अपना पक्ष, सफाई और वचनबद्धता को प्रमाणित करने की चुनौती मिली है। ऐेसे में मंगलवार के दिन नामांकन पत्र पेश नहीं हुए, बल्कि सियासत का स्रोत, मतदाता का होश और नेताओं का कोष भी देखा गया। जाहिर तौर पर यहां सुधीर शर्मा का मुकाबला, देवेंद्र सिंह जग्गी से नहीं, बल्कि सीधे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के

हर क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय संबंध बढ़ रहे हैं। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। उच्च शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण एक ऐसा व्यापक बदलाव है, जो देशों की सीमाओं को पार करके शिक्षा जगत को समृद्ध बना रहा है और छात्रों को वैश्विक दुनिया के लिए तैयार कर रहा है। भारत की नई शिक्षा नीति (एनईपी) देश की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने की कोशिश है और उच्च शिक्षा के फैलाव में मददगार है। एनईपी का लक्ष्य बच्चों का सर्वांगीण विकास, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा

यहां तक कि वह विक्रमादित्य की निजी जिंदगी को भी सार्वजनिक मंचों पर उछाल रही हैं। विक्रमादित्य भी मंजे खिलाड़ी की तरह बड़ी संयत भाषा में प्रचार कर रहे हैं...

हे मेरे कर्मठ कार्यकर्ताओ! आखिर वह चुनाव की आखिरी रात आ ही पहुंची जिसका हमें बड़े दिनों से बड़ी बेकरारी से इंतजार था। हर जुझारू नेता चुनाव की इस रात का बेसब्री से इंतजार करता है। यह रात कयामत की रात से भी अधिक कयामत की रात होती है। कयामत की रात में जैसे मुर्दे जाग उठते हैं उसी तरह चुनाव की इस आखिरी रात में मेहनती नेता के सोए भाग जाग उठते हैं। यह रात धुआंधार प्रचार की रात होती है। यह रात वोटर का दिमाग सन्न करने की रात होती है। इस रात जो अपने विरोधी नेता के प्र

रोजी-रोटी और रोजगार की करे जो बात, उसके लिए करना अपने कीमती मताधिकार का प्रयोग। वोट बैंक की खातिर जो देते हैं प्रलोभन, लालच या अन्य कोई झांसा, ऐसे प्रत्याशियों से रहना दूर। समझदारी से करेंगे हम अपने मताधिकार का प्रयोग, तो हमारा ही नहीं, बल्कि हमारी भावी पीढ़ी का भविष्य भी होगा उज्ज्वल। राष्ट्रधर्म सबसे बड़ा, यह भी रखना हमेशा याद। लोकतन्त्र