आस्था

फटी एडिय़ों से निजात पाने के लिए शहद को गर्म पानी में डालकर फुट स्क्रब या फुट मास्क के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 आजकल देखने में आ रहा है कि स्त्री-पुरुष संबंधों का स्तर निम्नतम मर्यादा तक आ पहुंचा है। विवाह सरीख पवित्र गठबंधन लिव इन रिलेशनशिप तक जा पहुंचा है। यदि शादी भी हो गई हो, तो विवाहोत्तर नाजायज संबंधों की बाढ़ सी आ गई है। पति-पत्नी के

पालक का पौधा अपने देश के प्राय: सभी प्रांतों में सुलभता व सस्ते में मिल जाता है। इस में जो गुण है वैसा और किसी शाक में नहीं होता है। ज्यादातर यह शीत ऋतु में पाया जाता है।

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… उसकी परीक्षा करके देखनी होगी, नरेंद्र ने सोचा। रात का एक पहर बीत चुका था। नरेंद्र काली के मंदिर की तरफ चल पड़े। आज श्री रामकृष्ण की कृपा से मेरे परिवार के दु:खों का अंत होगा। यह सोचकर वह खुशी से झूम उठे। उन्होंने देखा, जगदंबा के भुवन मोहन रूप

श्रीराम शर्मा आज के मनुष्य का एक प्रधान शत्रु आलस्य है तनिक सा कार्य करने पर ही वह ऐसी मनोभावना बना लेता है कि अब मैं थक गया हंू, मैंने बहुत काम कर लिया है। अब थोड़ी देर विश्राम या मनोरंजन कर लूं। ऐसी मानसिक निर्बलता का विचार मन में आते ही वह शैय्या पर

10 दिसंबर रविवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, त्रयोदशी, प्रदोष व्रत 11 दिसंबर सोमवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी, मासिक शिवरात्रि 12 दिसंबर मंगलवार, मार्गशीर्ष, कृष्णपक्ष, अमावस, भौमवती अमावस 13 दिसंबर बुधवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, प्रथमा 14 दिसंबर गुरुवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, द्वितीया 15 दिसंबर शुक्रवार, मार्गशीर्ष, शुक्लपक्ष, तृतीया 16 दिसंबर शनिवार, पौष, शुक्लपक्ष, चतुर्थी

* फूलों की सुगंध केवल वायु की दिशा में फैलती है, पर एक व्यक्ति की अच्छाई हर दिशा में फैलती है * गलती भूल जाओ मगर, उस गलती से सीखा हुआ सबक हमेशा याद रखो * प्रशंसा से बचो यह आपके व्यक्तित्व की अच्छाइयों को घुन की तरह चाट जाती है * इनसान दुखी इसलिए

सद्गुरु जग्गी वासुदेव इस याद्दाश्त को हम कर्मगत छाप कहते हैं। एक ऐसा समय था जब भारत में, समाज आपकी कर्मगत छाप को संभालने की कोशिश कर रहा था। इसी मकसद से जातियां और गोत्र और दूसरी चीजें शुरू की गई थीं। लेकिन वो अब पूरा खत्म हो गया है… मेरे विचार और भावनाएं वाकई

स्वामी रामस्वरूप यह ज्ञान सदा अविनाशी परमेश्वर में रहता है और परमेश्वर हम पर दया करके प्रत्येक सृष्टि रचना के आरंभ में अपनी सामथ्र्य से चार ऋषियों के अंदर प्रकट करता है और आज तक यह ज्ञान हम परंपरागत ऋषि-मुनियों से लेते आए हैं… गतांक से आगे… ऋग्वेद के मंत्र 1/164/39 में अक्षर शब्द से