आस्था

कुल्लू दशहरा उत्सव में इस बार पहले जैसे दृश्य देखने को नहीं मिलेंगे। कोरोना काल के चलते कुल्लू दशहरा में न तो महिलाओं की नाटी और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।  इस बार 25 से 31 अक्तूबर तक होने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में अधिष्ठाता रघुनाथ जी की रथयात्रा सूक्ष्म तरीके से होगी। देव

चार धाम यात्रा भाग-3 गतांक से आगे… हिमालय का एक शिखर केदारनाथ पृथ्वी से हजारों फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं बाबा केदार शिव। गूगल पर यदि हम केदार का अर्थ तलाशें, तो एक अर्थ हिमालय का एक शिखर भी मिलता है। ऊंचा उठने के लिए हिमालय ने भी लाखों वर्ष पूर्व समुद्र यानी बहुत निचले

नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री  की  पूजा की जाती है। इस दिन को महानवमी भी कहते हैं। मान्‍यता है कि मां दुर्गा का यह स्‍वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है। कहते हैं कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही

विजय दशमी या विजयादशमी अथवा दशहरा आश्विन शुक्ल दशमी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह भारत का राष्ट्रीय त्योहार है। रामलीला में जगह-जगह रावण वध का प्रदर्शन होता है। क्षत्रियों के यहां शस्त्रों की पूजा होती है। ब्रज के मंदिरों में इस दिन विशेष दर्शन होते हैं। इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत

दुर्गाष्टमी का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी व्रत किया जाता है, इसे मासिक दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। इस दौरान श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी, जिसे महाष्टमी कहा जाता है, आश्विन

अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तकम्॥ 1 ॥ भक्तध्यानाय सेवायै नानारूपधरं वरम्। शुक्लरक्तपीतश्यामं युगानुक्रमणेन च॥ 2 ॥ शुक्लतेजःस्वरूपं च सत्ये सत्यस्वरूपिणम्। त्रेतायां कुंकमाकारं ज्वलन्तं ब्रह्मतेजसा॥ 3 ॥ द्वापारे पीतवर्णं च शोभितं पीतवाससा। कृष्णवर्णं कलौ कृष्णं परिपूर्णतमं प्रभूम्॥ 4 ॥ नवधाराधरोत्कृष्टश्यामसुन्दरविग्रहम्। नन्दैकनन्दनं वन्दे यशोदानन्दनं प्रभुम्॥ 5 ॥

यह मन की स्थिरता तब सिद्ध होती है जब जीव नित्य यज्ञ, हवन में बैठकर वेदमंत्रों से ईश्वर की स्तुति (गुणगान) करता है। तब वह परमेश्वर की महिमा, गुणों, सामर्थ्य, शक्ति, परमेश्वर के कर्म, स्वभाव को जान जाता है और यह समझ जाता है कि ईश्वर के अतिरिक्त अन्य कोई भी मेरी इस लोक एवं

यदि ध्यान से देखा जाए तो मनुष्य की पूरी जिंदगी शतरंज की बिसात बन कर रह गई है। जहां सब धोखाधड़ी चल रही है। हर व्यक्ति तर्कनिष्ठ दिखाई देता है। इसका कहना आज साधन और सुविधा जुटा ली जाए कल जी लेंगे। अब वास्तव में जो व्यक्ति किसी न किसी तरह केवल अपने जीने का

25 अक्तूबर रविवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, नवमी, पंचक प्रारंभ, दशहरा 26 अक्तूबर सोमवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, दशमी 27 अक्तूबर मंगलवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, एकादशी, पापांकुशा एकादशी 28 अक्तूबर बुधवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, द्वादशी, प्रदोष व्रत 29 अक्तूबर बृहस्पतिवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, त्रयोदशी 30 अक्तूबर शुक्रवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, चतुर्दशी, पंचक समाप्त 31 अक्तूबर शनिवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती