पीके खुराना

हमें अपने जीवन में ऐसे बहुत से लोगों से पाला पड़ता है जो मामूली सी बात पर भी झगडऩा शुरू कर देते हैं। कभी स्थितियां विकट होती हैं और हमें समझ नहीं आता कि क्या करें या कभी हमारे पास कई ऐसे विकल्प होते हैं जिनमें से सबसे लाभदायक विकल्प चुनना आसान नहीं होता, और

अचेतन मस्तिष्क हमारे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क की तरह है जहां सभी जन्मों की याद छुपी है। एक स्पिरिचुअल हीलर के रूप में जब मैं अपने पास आए लोगों की काउंसिलिंग करता हूं तो मैं उनके लिए उनके अर्धचेतन मस्तिष्क और अचेतन मस्तिष्क के द्वार खोल देता हूं। वहां उनकी हर समस्या का समाधान मौजूद

रास्ते की कठिनाइयां दूर करने के लिए नए-नए विचार आने शुरू हो जाते हैं। योजना को अमलीजामा पहनाने में देर तो हो सकती है, साधन इक_े करने में भी अड़चनें आ सकती हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनके समाधान निकल आते हैं, संयोग बनते चलते हैं, चमत्कार होते चलते हैं और काम बन जाता है। ठान लेने

प्राणायाम और योग के साथ ब्रेन-वेव ऐक्टीवेशन से मनोविकारों का निराकरण सर्वाधिक उपयोगी प्रतीत होता है। ब्रेन-वेव ऐक्टीवेशन पद्धति से मनोविकारों के निराकरण के कारण बहुत सी शारीरिक बीमारियों से भी बचा जा सकता है और ब्रेन-वेव ऐक्टीवेशन इसमें सर्वाधिक प्रभावी और उपयोगी विधि है। यदि हम अपने देश को सचमुच एक स्वस्थ राष्ट्र के

भारतवर्ष में प्रतिभा की कमी नहीं है, प्रतिभा की प्रशंसा की कमी है, प्रेरणादायक प्रतिभाशाली लोगों के प्रचार की कमी है। हम उन नायकों को जानते ही नहीं जिन्होंने इतिहास रचा है। जीतोदुनियाग्लोबल.कॉम इसी कमी को पूरा करना चाह रही है। हमारे पूर्वजों ने हमें विश्वगुरू का खिताब दिलवाया था, अपनी कमज़ोरियों के कारण हमने

ऐसे समय में जब कोरोना वायरस ने दुनिया को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, भारत सरकार ने साहस से काम लिया और फाइजर सरीखी विदेशी कंपनियों को ब्लैकमेल करने का अवसर नहीं दिया। भारत में ही निर्मित वैक्सीन ने करोड़ों भारतीयों की रक्षा की। यही नहीं, सरकार ने प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग पर

मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? मैं भाग्य की भूमिका की वकालत क्यों किए जा रहा हूं? इसके पीछे एक स्पष्ट और सुविचारित उद्देश्य है और वह उद्देश्य यह है कि हम समझ लें कि किसी सफल आदमी की हूबहू नकल के बावजूद हम असफल हो सकते हैं क्योंकि कोई जरूरी नहीं कि हमारे साथ

आज हमारा जीवन बहुत व्यस्त है और करिअर की दौड़ में सरपट भागते हुए हम सोच ही नहीं पा रहे कि हम जीवन में क्या खो रहे हैं। एकल परिवार में कामकाजी दंपत्ति के बच्चे अकेलापन महसूस करने पर टीवी और प्ले स्टेशन में व्यस्त होने की कोशिश करते हैं। भावनात्मक परेशानियों से जूझ रहा

असफलता तो सफलता की सीढ़ी है, बशर्ते कि हम अपनी असफलता से सबक लें, गलती न दोहराएं और काम को नए सिरे से दोबारा शुरू कर दें। सफलता के तीसरे नियम धैर्य और संवेदनशीलता का मतलब है कि टीम के बाकी लोग हमें पसंद करें, हमारे साथ मिलकर काम करना चाहें। इसके लिए आवश्यक है

इन कंपनियों के सहयोग से बहुत से क्रांतिकारी आविष्कार हुए हैं जो शायद अन्यथा संभव ही न हुए होते। अत: औद्योगीकरण का विरोध करने के बजाय हमें ऐसे नियम बनाने होंगे कि बड़ी कंपनियां हमारे समाज के लिए ज्यादा लाभदायक साबित हों तथा उनके कारण आने वाली समृद्धि सिर्फ एक छोटे से तबके तक ही