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डा. ओपी शर्मा पूर्व निदेशक, शिक्षा छात्रों को शारीरिक क्षमता बनाए रखने के लिए शारीरिक कार्यकलाप करने होंगे। बच्चों को हॉबीज सीखनी चाहिए। इसमें संगीत, प्रश्नोत्तरी, नृत्य, नाटी, नाटक, भजन-कीर्तन, योग, अंताक्षरी, क्विज, सामान्य ज्ञान लेख-लेखन, कहानी, कविता, गीत, गजल, लोककथाएं, लोकोक्तियां, मुहावरे, लोरी, देवी-देवताओं की किंवदंतियां, हरीशचंद्र, प्रह्लाद, शिवाजी, महाराणा प्रताप, रानी झांसी, विवेकानंद

वरिंदर भाटिया पूर्व कालेज प्रिंसिपल यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस लिहाज से भी काबिले-नजर है कि जितना राय-मशविरा इसे लाने से पहले किया गया है, वह पहले कभी नहीं हुआ। लाखों की तादाद में ग्राम पंचायतों, हजारों की तादाद में ब्लॉक स्तर और सैकड़ों की तादाद में जिला स्तर पर इस पूरे विषय पर चर्चा

प्रो. मनोज डोगरा लेखक हमीरपुर से हैं यह बदलाव भारत को एक शिक्षित भारत के रूप में परिवर्तित कर देगा। भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक बात जो सबसे ज्यादा खटकती है, वह यह है कि भारत की शिक्षा में व्यावहारिक शिक्षा का अभाव है। विद्यार्थियों को ऐसा ज्ञान दिया जाता है जो उनके जीवन

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक टिहरी हाइड्रो डिवेलपमेंट कारपोरेशन ने जब टिहरी बांध बनाया था तो उस समय आशा थी कि यह झील तीन सौ वर्ष में गाद से भरेगी। कारपोरेशन द्वारा ही हाल में कराए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि झील 140 से 170 वर्ष में ही पूरी तरह गाद से

नरेश  कुमार लेखक बैजनाथ से हैं मेरे जीवन में एक और अध्याय जुड़ गया। आज मेरे शरीर में अच्छी संख्या में एंटी बॉडीज उत्पन्न हो गए हैं और मुझे खुशी है कि मैं अब एक संभावित प्लाज्मा डोनर बन गया हूं। यह इस बात का सबूत है कि साथ मिलकर हम महामारी से बच सकते

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री गौरतलब है कि देश में वर्ष 2000 से शुरू हुई सेज की अवधारणा का मकसद निर्यात आधारित इकाइयों को विशेष प्रोत्साहन देना है। निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को गति देने और रोजगार के अवसर बढ़ाना भी सेज का प्रमुख उद्देश्य है। सेज के तहत निर्यात आधारित उद्योगों को

राजेंद्र मोहन शर्मा सेवानिवृत्त डीआईजी अंत में जब मुकद्दमा फेल हो जाता है तो उसका ठीकरा पुलिस के सिर पर ही फोड़ दिया जाता है। गवाहों का दर्द यहां पर ही समाप्त नहीं होता, न्यायालयों में उनके बैठने की उचित व्यवस्था नहीं होती तथा वे बेचारे धूप-छाया में भटकते फिरते देखे जा सकते हैं। अंग्रेजों

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार यह इन्हीं संघर्षों का परिणाम था कि पांच सौ साल के बाद भारतीयों ने बाबर की भारत विजय के इस ग़ज़ट नोटिफिकेशन को डीनोटिफाई कर दिया। समस्त भारतीयों की ओर से नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त 2020 को उस स्थान पर एक बार फिर राम जी के घर-मंदिर को

कृष्ण चंद्र महादेविया वरिष्ठ साहित्यकार अपने उत्पादन को मंडी तक ले जाने में कठिनाइयों का सामना करने वाले किसानों के सब्र का बांध कभी भी टूट सकता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कृषि, पशुपालन, बागबानी, सब्जी उत्पादन, मौन-मत्स्य पालन, लघु ग्राम उद्योग, लघु औषधि उत्पादन, परंपरागत अन्न तिलहन आदि उत्पादन बेरोजगारी दूर करने