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चूंकि देश ने वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य रखा है, इस लक्ष्य को पाने के लिए आगामी 24 वर्षों तक लगातार करीब 7 से 8 फीसदी की दर से बढऩे के लिए राजकोषीय स्तर को संतोषप्रद बनाए रखना होगा। ऐसे में हम उम्मीद करें कि रिजर्व बैंक के द्वारा वित्त वर्ष 2022-23

2022 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अकाली दल ने भाजपा से अपने संबंध तोड़ लिए। इसलिए भाजपा ने यह चुनाव अपने बलबूते पर लड़ा। वैसे उसने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, जिन्होंने चुनाव से कुछ समय पहले ही सोनिया कांग्रेस छोड़ कर पंजाब लोक कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बना

मत कोसिए मौसम को, नदियों को, पहाड़ों को, सावन भादो को…अपने भीतर झांकिए, पश्चाताप कीजिए, सोचिए हम अपने बच्चों को क्या और कौन से संस्कार दे रहे हैं, आप इजाद कर लीजिए पहाड़ों और नदियों को गायब करने की अत्याधुनिक मशीनें, तरकीबें, खूब धन कमा लीजिए, परंतु उस प्रकृति के आगे, उसकी क्रूरता के समक्ष

लालच बढ़ता चलता है तो जमाखोरी भी बढ़ती है, लेकिन साथ-साथ डर भी बढ़ता जाता है कि हमारी सुविधाएं छिन न जाएं, जिससे और लालच बढ़ता है, और जमाखोरी बढ़ती है और परिणामस्वरूप तनाव बढ़ता है। इस प्रकार हम एक अंतहीन चूहादौड़ का हिस्सा बनकर अपने ही बनाए जाल में फंस जाते हैं और जीवन

हालांकि इस विषय पर चर्चा तो सरकारी क्षेत्रों में चलती रहती है, वर्तमान सरकार में भी नीति आयोग द्वारा हिमालयी क्षेत्र में विकास की दिशा तय करने के लिए रीजनल कौंसिल का गठन किया गया है, किंतु अभी तक इस संस्था की कोई गतिविधि सामने नहीं आई है। अब समय है कि सब नींद से

स्कूली शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों के अंदर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने की और मौलिक अभिव्यक्ति की प्रवृत्ति तथा सौंदर्यबोध की समझ को विकसित कर सके। स्कूली शिक्षा एक ऐसी पूंजी है जिसको हर कोई पाना चाहता है। बच्चों के माता-पिता के अंदर एक आस होती है, जो पढ़ा-लिखाकर उनके बच्चों को आगे

हिमाचल प्रदेश में पिछले एक दशक से प्राकृतिक आपदाएं बड़ी तीव्र गति से बढ़ रही हैं। इसके कुछ कारणों का भी पता लगाना समय की सबसे बड़ी मांग बनता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में दो वर्षों में भूस्खलन के मामलों में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है। राज्य में 2020 में भूस्खलन के

चीन के नेतृत्व वाले बीआरआई और चीन के प्रभुत्व वाली विकास रणनीति 2030 पर भारत की अस्वीकृति ने भारत की अडिगता प्रदर्शित की है… आजकल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक बार फिर चर्चा में है। गौरतलब है कि शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्राध्यक्षों का एक ऑनलाइन शिखर सम्मेलन 4 जुलाई 2023 को आयोजित किया गया

जमीन को बढ़ाना हमारे बस में नहीं है, परंतु हम जनसंख्या को नियंत्रित करने का काम जरूर कर सकते हैं। हम इस पृथ्वी पर किराएदार की तरह हैं। इस पर आने वाली पीढ़ी का भी इतना ही अधिकार है जितना हमारे पूर्वजों का था और हमारा है। क्या हम अपने बच्चों को जनसंख्या से त्रस्त