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अमरीकी बैंकों पर आए संकट का असर भारत के आईटी सेक्टर पर भी पड़ेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बैंकिंग क्राइसिस से भारत का 20 लाख करोड़ रुपए से अधिक का आईटी बिजनेस मुश्किल में है। बड़े बैंकों के डूबने से इस सेक्टर की कमाई पर असर पड़ेगा। वित्तीय संकट के दृष्टिगत देश के वित्त

विडंबना यह है कि अगर भारत किसी भी देश का पक्ष लेगा तो उसे भविष्य में दिक्कतें हो सकती हैं। इससे बचने का यही तरीका है कि भारत युद्ध से दूरी बनाए रखे। इस लड़ाई को रोकने के लिए पहल हो… युद्ध किसी भी देश के लिए लाभदायक सिद्ध नहीं होता है, बल्कि उससे मानवता

यह राव ही थे जिन्होंने वर्ष 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट के तहत भारतीयों को वास्तविक अधिकार देने के लिए ब्रिटिश सरकार को मनाया था। इस कानून ने भारतीयों को पहली बार अपनी प्रांतीय सरकारें बनाने की अनुमति दी, परंतु अंग्रेज उन्हें कोई संप्रभु अधिकार देने के प्रति अनिच्छुक थे। राव का तर्क था

सेना के वाहन पर यह आतंकी हमला ऐसे वक्त में हुआ जब कई सियासतदान ईद के जश्न में इफ्तार पार्टियों में मशगूल थे। देश आईपीएल के खुमार में डूबा है। इसलिए सेना के पांच जवानों का बलिदान न्यूज चैनलों की सुर्खियां नहीं बना। सशस्त्र सेनाएं किसी एक राज्य या सियासी दल की नहीं होती हैं।

भारत में वर्ष 2014 से लागू की गई डीबीटी योजना एक वरदान की तरह दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से डिजिटल समानता से समाज के सभी वर्गों की पहुंच डिजिटल प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ गई है। भारत में डीबीटी से कल्याणकारी योजनाओं के जरिए महिलाओं, बुजुर्गों और किसानों और कमजोर वर्ग के लोगों को

पार्टी ने अनुशासन में रहने के लिए कहा और अनुशासन में न रहने पर सख्ती की धमकियां भी दीं। लेकिन हाईकमान की ये धमकियां उन दिनों काम करती थीं जिन दिनों कांग्रेस के नेताओं को लगता था कि चुनाव में उनकी जीत सोनिया परिवार के कारण होती है। लेकिन अब मामला उल्ट गया लगता है।

युवा सेवाएं एवं खेल विभाग पंजीकृत पात्र खिलाडिय़ों को उनका जायज हक दे… वरिष्ठ राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में पदक विजेता बनने के लिए दस वर्षों से भी अधिक समय तक खिलाड़ी को एकाग्रता से कठिन परिश्रम करना पड़ता है। इसलिए वह पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक व आर्थिक मोर्चे पर भी पीछे रह जाता है। खिलाडिय़ों

ऐसे समय में जब कोरोना वायरस ने दुनिया को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, भारत सरकार ने साहस से काम लिया और फाइजर सरीखी विदेशी कंपनियों को ब्लैकमेल करने का अवसर नहीं दिया। भारत में ही निर्मित वैक्सीन ने करोड़ों भारतीयों की रक्षा की। यही नहीं, सरकार ने प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद और योग पर

देश के लिए बढ़ती जनसंख्या एक वरदान है या फिर एक अभिशाप है, यह हमारे लिए एक सवालिया निशान है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत इस साल के मध्य तक चीन को पीछे छोड़ दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। इस साल के मध्य तक भारत