भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सारांश यह है कि बीज आधारित बायो फ्यूल, गन्ने से बना इथेनाल, हाइड्रो पावर तथा यूरेनियम-आधारित परमाणु ऊर्जा हमारे लिए उपयुक्त नहीं है। कोयला अल्प समय में उपयोगी हो सकता है। देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए सौर ऊर्जा, सेलूलोज आधारित बायो फ्यूल और थोरियम-आधारित परमाणु

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं हाइड्रोपावर, सिंचाई एवं जलमार्ग से गंगा को पहुंचाए जा रहे नुकसान की पूर्ति कृत्रिम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स से नहीं की जा सकती, जैसे घी की कमी को रिफाइंड तेल से पूरा नहीं किया जा सकता है। गंगा अविरल बहेगी तो उसमें मछली पनपेगी और पानी स्वतः

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं संरक्षण से अकुशल उत्पादन सदा चलता रहेगा, यह जरूरी नहीं है। इतना सही है कि उद्यमियों द्वारा कुशल उत्पादन तब ही किया जाता है, जब उन्हें प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़े। लेकिन इस प्रतिस्पर्धा का वैश्विक होना जरूरी नहीं है। घरेलू प्रतिस्पर्धा से भी यह कुशलता

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं देश के हर किसान को एक निर्धारित रकम हर वर्ष नकद देनी चाहिए जैसे एलपीजी सबसिडी को उसके खाते में डाला जा रहा है। जितनी रकम सरकार द्वारा पानी के मूल्य एवं नकदी फसलों पर जीएसटी से वसूल की जाए, उससे ज्यादा रकम किसानों को सीधे

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं केंद्र की राजग सरकार के कार्यकाल में कई बड़ी उपलब्धियों के बावजूद ग्रोथ रेट में गिरावट आई है। वास्तव में अर्थव्यवस्था की गिरती हालत नोटबंदी एवं जीएसटी का सीधा परिणाम है। इसमें कोई संशय नहीं है कि इन कदमों से तमाम लोग टैक्स के दायरे में

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए ऊर्जा सुरक्षा स्थापित करना नितांत आवश्यक है। हमारे पास न कोयला है, न यूरेनियम है, न तेल है। नदियां पूजनीय हैं, लेकिन हमारे पास धूप और पहाड़ हैं। इनका जोड़ बना दें, तो हम अपने संसाधनों से ही

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं जीएसटी के द्वारा छोटे उद्योगों पर हुए प्रहार की बीमारी पूरी अर्थव्यवस्था में फैलेगी जैसे डेंगू की बीमारी फैलती है। बड़े उद्योगों को बाजार चाहिए। यह बाजार छोटे उद्यमों द्वारा बनता है। छोटे उद्योगों की बलि चढ़ाकर बड़े उद्योग उसके प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे। अर्थव्यवस्था

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं बैंक इस समय चारों तरफ से घिरे हुए हैं। देश की अर्थव्यवस्था का इंजन सेवा क्षेत्र हो गया है, जिसे ऋण की जरूरत कम है। बड़े उद्योग सीधे बांड के माध्यम से पूंजी उठा रहे हैं। छोटे उद्योग पस्त हैं और इनकी ऋण लेने की क्षमता

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं देश को वाटर इंजीनियरों के दुराग्रह से उबरना होगा। बाढ़ को अपनाना होगा। टिहरी और भाखड़ा को हटाना होगा। सड़कों और रेल लाइनों के नीचे बाढ़ के बहने के पर्याप्त पुल बनाने होंगे। बाढ़ के पानी को फैल कर बहने देना होगा। फरक्का को हटा कर