भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं फसल बीमा एक सही योजना है, परंतु इसका लाभ उन परिस्थितियों में है, जब फसल पर प्राकृतिक आपदा आ जाए। किसान की मुख्य समस्या दामों के गिरने की है। सरकार की नीतियों में इस समस्या का समाधान नहीं है। मेरे अनुसार सरकार द्वारा

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं शराब के सेवन से कष्ट को केवल कुछ समय तक राहत मिलती है। किसी भी समस्या का स्थायी समाधान शराब पीना नहीं है। दुर्भाग्य है कि हिंदू एवं ईसाई धर्मगुरु इस विषय पर मौन बने रहते हैं। देश में शराबबंदी को सफलतापूर्वक लागू करना है, तो

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं वर्तमान परिस्थिति में पाकिस्तान के जमींदार, उद्यमी परिवार तथा सेना सभी संतुष्ट हैं। असंतुष्ट केवल वहां की जनता है। अतः हमें पाकिस्तान की जनता को अपने साथ लेना चाहिए। इस कार्य मे गैर सरकारी संगठन हमारे सहायक हो सकते हैं। भारत को चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय डोनरों

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं ) हमें मुक्त व्यापार के मूल सिद्धांत पर पुनर्विचार करना चाहिए। डब्ल्यूटीओ 1995 में लागू हुआ था। तब सोचा गया था कि यह व्यवस्था सभी के लिए लाभदायक सिद्ध होगी। बीते 20 वर्षों में स्पष्ट हो गया है कि मुक्त व्यापार फेल है, चूंकि इसमें

डा. भरत झुनझुनवाला डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं वास्तविकता यह है कि सरकारी कालेजों की हालत ज्यादा खस्ता है। इन्हें प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पड़ता। छात्रों से वसूल की जाने वाली फीस कम होने से आवेदक पर्याप्त संख्या में मिल जाते हैं, परंतु अध्यापकों की पठन-पाठन में रुचि नहीं होती

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं हिंदू धर्म कहता है कि अंतर्मन की आवाज सुनो। योग और ध्यान के माध्यम से अपनी अंदरूनी वृत्ति को पहचानो और मन को सांसारिक खिंचावों से हटाकर अंतर्मन की ओर ले जाओ। बौद्ध धर्म मध्यम मार्ग को बढ़ावा देता है। विज्ञापन में बहने के स्थान पर

डा. भरत झुनझुनवाला (लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं) राज्यों में जल बंटवारे संबंधी विवाद सुलझ नहीं पा रहे हैं, चूंकि अब तक राज्यों में पानी के न्यायपूर्ण वितरण का कोई भी समुचित सिद्धांत उपलब्ध ही नहीं है। इस समस्या का हल है कि पानी को राज्यों के बीच नीलाम किया जाए। जो राज्य पानी

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं ) हमारे देश में अमरीका, चीन तथा अन्य देशों में बने सस्ते माल का भारी मात्रा में आयात हो रहा है। चीन के सस्ते माल के सामने हमारे तमाम कारखानों ने घुटने टेक दिए हैं। ऐसे में यदि हम भी आयात करों को बढ़ा देते

डा. भरत झुनझुनवाला ( लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं ) अपने पुराने ऐश्वर्य के महिमामंडन, अपनी आंतरिक जनता का दमन और बाहरी जनता को जोड़ने में असफलता के कारण हम गुलाम हुए थे। हमारे सामने चुनौती रोम जैसे हश्र से बचने की है। मात्र मध्यम वर्ग के प्रसन्न होने से हमारी सभ्यता सफल नहीं