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अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं पंडित जॉन अली अब ज़िला कलेक्टर हो गए थे, लेकिन इतने साल की नौकरी में उन्हें पता लग चुका था कि ऐसे सिस्टम के कालचक्र में बड़े से बड़ा बल्लम होने के बावजूद अपने हाथ कुछ भी नहीं है। सिस्टम बड़ी चीज़ है। सप्तपदी के बाद जिस तरह आपको

डा. जयंतीलाल भंडारी विख्यात अर्थशास्त्री गौरतलब है कि एक ओर भारतीय अर्थव्यवस्था की चमकीली विशेषताएं और दूसरी ओर चीन की आर्थिक प्रतिकूलताएं भी भारत को चीन के साथ आर्थिक मुकाबला करने में ताकत देते हुए दिखाई दे रही हैं। चाहे चीन की अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था से करीब पांच गुना बड़ी है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था भी

प्रताप सिंह पटियाल लेखक बिलासपुर से हैं 1962 में अरुणाचल तथा लद्दाख आदि क्षेत्रों में हमला करके चीन ने बुद्ध की धरती को युद्ध में तब्दील करके अपनी इस नीति का पुख्ता प्रमाण भारत को भी दे दिया था। यहीं से दोनों देशों की अदावत की पटकथा शुरू हुई थी। चीन तथा तिब्बत की लगभग

कर्म सिंह ठाकुर लेखक सुंदरनगर से हैं पिछले दिनों केरल में एक हथिनी तथा हिमाचल के बिलासपुर में एक गाय से हुई क्रूरता के बाद सुंदरनगर से संबंध रखने वाले 12 वर्षीय आर्यन की खबर विभिन्न तरह के टीवी चैनलों और समाचार पत्रों में प्रकाशित होने से दिल को बड़ा सुकून मिला। यह 12 वर्षीय

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार पाकिस्तान अपनी इस प्रशासनिक इकाई में गिलगित और बलतीस्तान को शामिल नहीं करता था। इसलिए इस पूरी बहस में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गिलगित-बलतीस्तान छिपा रहता था। यह चीन और पाकिस्तान, दोनों को ही अपने हितों के अनुकूल लगता था। लेकिन लद्दाख अलग राज्य बन जाने से, जिसमें गिलगित-बलतीस्तान भी शामिल

हंसराज ठाकुर लेखक मंडी से हैं शतरंज के खेल में प्रदेश से अभी तक कोई भी खिलाड़ी चैस मास्टर, फीडे मास्टर, इंटरनेशनल मास्टर या ग्रैंड मास्टर नहीं बन पाया है क्योंकि इस छोटे से प्रदेश में सशक्त शतरंज संघ नहीं होने की वजह से ओपन स्पर्धाओं में भी कोचिंग संस्थान व प्रशिक्षण के अभाव में

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार भारत अर्थव्यवस्था, विज्ञान और अंतरिक्ष के लिहाज से एक शक्तिशाली ताकत है जो चंद्रमा पर उतरकर अपना प्रदर्शन कर चुका है। आज भारत की ताकत केवल यही नहीं है कि वह प्रौद्योगिकी व आर्थिक क्षेत्र में उभरती ताकत है, बल्कि यह भी कि उसे सहयोगी और मित्रों के रूप

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक क्या सरकार पंजाब, गुजरात आदि राज्यों की तरह उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षकों को यहां लगातार कई वर्षों के लिए अनुबंधित कर  हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को राज्य में ही प्रशिक्षण सुविधा दिलाकर खेल प्रतिभा का पलायन रोक नहीं सकती है? इससे प्रदेश में खेल वातावरण बनेगा तो हर

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार एक भूल से सीख लेकर किसी दूसरी भूल से दूर रहने में ही बुद्धिमानी है। हम हमेशा से यह पाठ पढ़ते आए हैं कि लालच बुरी बला है। कई बार हमारी महत्त्वाकांक्षा लालच में बदल जाती है। महत्त्वाकांक्षी होना गलत नहीं है, किसी भी चीज की अति होना गलत है। जब