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प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार जब उन्होंने अपने संडे मॉर्निंग टॉक शो ‘मन की बात’ की शुरुआत की तब कई अभिजात्यों ने मजाक उड़ाया और सोचा कि यह कपिल के हंसी-मजाकिया शो की तरह होगा, एक कॉमेडी या राजनीतिक चैट की तरह। उन्होंने दो प्रमुख चिंताओं का प्रदर्शन किया, एक यह कि वे दिन-प्रतिदिन

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार कम्प्यूटर का आविष्कार एक बड़ा मील का पत्थर था, फिर इंटरनेट ने इसमें एक और क्रांति ला दी। इसी तरह गूगल के जादुई प्रभाव ने भी हमारे कामकाज को बहुत आसान बना दिया है। गूगल को ज्यादातर लोग विश्व का सर्वाधिक उन्नत सर्च इंजन ही मानते हैं जो हमें हमारी मनचाही

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान तेजी से गिर रहा है, मैन्युफेक्चरिंग एवं सेवा क्षेत्र बढ़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है कि विश्व में कृषि उत्पादों की मांग सीमित है। विश्व की जनसंख्या में मामूली वृद्धि हो रही है, तदनुसार खाद्य पदार्थों की खपत में भी मामूली ही वृद्धि हो

कंचन शर्मा लेखिका, शिमला से हैं यह जानना बहुत आवश्यक है कि यह वायरस कहीं भी मौजूद हो सकता है। जहां हाथ लगने पर यह हमसे चिपक सकता है और फिर हाथों के जरिए मुंह, आंखों के रास्ते शरीर में प्रवेश पा सकता है। इसलिए अत्यावश्यक है कि बार-बार अपने हाथों को धोया जाए और

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार अपनी खोई भारतीय नागरिकता वापस पाने के लिए प्रयासरत यह हिंदू-सिख समाज मोटे तौर पर दलित हिंदू समाज है, जो 1947 से पाकिस्तान- बांग्लादेश में फंसा हुआ है और वहां की सरकारों ने न उस समय उनको भारत में आने दिया था और न अब आने दे रही है।

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार अफजल को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराया और राष्ट्रपति ने क्षमा देने से इनकार किया। यह भारतीय नागरिक को न्याय देने का सर्वोच्च न्यायालय का मंच था, लेकिन अलगाववादियों ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया। यदि लोकतंत्र में बहुमत का नियम चलता है, तो उन्होंने इसे स्वीकार

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक महाराजा लक्ष्मण सेन स्मारक महाविद्यालय के प्रशिक्षण केंद्र की नर्सरी से मुक्केबाजी प्रशिक्षक नरेश कुमार के प्रशिक्षण में अपनी ट्रेनिंग का श्री गणेश कर भिवानी व राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविरों से होते हुए संसार के सबसे बड़े खेल महाकुंभ तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। पिता स्वर्गीय भगत

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार हमारे देश में ज्यादातर अध्यापकों की अपनी शिक्षा भी किताबी है, स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी का पाठ्यक्रम भी किताबी है और विद्यार्थियों की ज्यादातर शिक्षा किताबों तक सीमित रहती है। यह जानना रुचिकर होगा कि सन् 1969 में शिक्षा जगत में एक प्रयोग किया गया जिसमें यह पता लगाया गया कि किन

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक नोटबंदी के कारण प्रॉपर्टी के दाम गिर गए। उनके लिए 900 करोड़ रुपए में बचे हुए फ्लैटों को बेचना असंभव हो गया। अर्थव्यवस्था की मंदी के कारण भी बाजार में प्रॉपर्टी के दाम गिर गए। वे इन फ्लैटों को बेच नहीं सके। बेच न पाने के कारण इन्हें प्रोजेक्ट को पूरा