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डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सरकार को चाहिए कि फसलों की खरीद के दाम को बढ़ाने के बजाय किसान को सीधे भूमि के आधार पर सबसिडी दे। वर्तमान में फूड कारपोरेशन दाल को ऊंचे दाम पर खरीदेगी तथा इसे सस्ते दाम पर बेचेगी। इस लेन-देन में फूड कारपोरेशन को लगा हुआ

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं निस्संदेह प्रधानमंत्री (तत्कालीन) इंदिरा गांधी अकालियों को खत्म करना चाहती थीं तथा भिंडरांवाला को चुनौती देते समय उन्हें इसका एक अवसर भी मिला। वास्तव में इसमें उससे कहीं अधिक था जो आंखों ने देखा। एक कहानी के अनुसार योजना कुछ माह बाद ही होने वाले 1894 के लोकसभा चुनाव

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं उन्होंने मजहब या रिलीजन शब्द की परिधि निश्चित करते हुए लिखा कि मजहब का अर्थ है-‘ईश्वर में विश्वास, आत्मा में विश्वास, ईश्वर की पूजा, आत्मा का सुधार, प्रार्थना इत्यादि करके ईश्वर को प्रसन्न रखना।’ इसके आगे अंबेडकर रिलीजन और धर्म के अंतर को स्पष्ट करते हैं। अंबेडकर

प्रो. एनके सिंह लेखक, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन हैं हमारे संविधान निर्माताओं को पंथनिरपेक्षता शब्द को संविधान में डालने की जरूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन बाद में जब वोट की राजनीति का विकास हुआ तो इसे एक आदर्श के रूप में संविधान में शामिल कर लिया गया। इंदिरा गांधी ने इस शब्द

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं राज्य में इस समय धर्मशाला व हमीरपुर में दो जगह सिंथेटिक ट्रैक बनकर तैयार हैं तथा बिलासपुर व शिलारू में निर्माणाधीन हैं। राज्य में इस समय कई एथलेटिक्स प्रशिक्षक व शारीरिक शिक्षक कई जगह किशोर व युवा धावकों व धाविकाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं… मानव विस्थापन की

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं यदि सिस्टम मजबूत हो, बेईमानी पर तुरंत सजा होती हो, तो ये लोग बेईमानी की कोशिश नहीं करते। लेकिन यदि वे यह देखें कि बेईमानी करने वाला फल-फूल रहा है, उसे कोई सजा नहीं मिल रही, बल्कि वह बेईमानी के बावजूद जीवन का ज्यादा आनंद ले

उपाध्याय जीवन पर्यंत हमारे संविधान के आलोचक रहे। वर्ष 1965 में उन्होंने अपने ‘एकात्म मानववाद’ (Integral Humanism) के सिद्धांतों के तहत इसे बदलने की अपनी योजना प्रस्तुत की। एक नए भारत, ‘धर्म राज्य’ के विषय में उनके विचार भाजपा द्वारा इसके आधिकारिक दर्शन के तौर पर अंगीकृत कर लिए गए। आज दिन तक पार्टी उपाध्याय

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं अमरीका एवं भारत की तुलना करें तो विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार साठ के दशक में भारत की अर्थिक विकास दर 3.4 फीसदी प्रति वर्ष थी, जबकि अमरीका की 4.3 फीसदी। सत्तर एवं अस्सी के दशक में तेल के मूल्यों में वृद्धि के बावजूद भारत

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालयन नीति अभियान पांच जून विश्व पर्यावरण दिवस एक बार फिर द्वार पर है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि पर्यावरणीय संकट में घिरी पृथ्वी के प्रति हमारे अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर्त्तव्य हैं। हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इस बात का ध्यान