मैगजीन

सनातन धर्म में भगवान ब्रह्मा जी की पूजा, उपासना उतनी प्रचलित नहीं है, जितनी अन्य देवी-देवताओं की है, लेकिन अमूर्त उपासना में ब्रह्मा जी की सर्वत्र पूजा होती है और सभी प्रकार के सर्वतोभद्र, लिंगतोभद्र तथा वास्तु आदि चक्रों में उनकी पूजा मुख्य स्थान में होती है। जहां तक मंदिरों की बात है, तो मंदिरों

* तलवार की धार उतनी तेज नहीं होती , जितनी जिह्वा की, इसलिए सोच-समझ कर बोलें * दूसरों पर अपनी गलतियों का दोष देना ही सबसे बड़ी कमजोरी है, जो आगे बढ़ने से रोकती है * समय सबको एक समान मिलता है, महान लोग इसका सदुपयोग करते हैं और आम लोग इसे यूं ही खर्च

बच्चे शारीरिक रूप से बहुत कमजोर होते हैं इसलिए उनका इम्यून सिस्टम भी व्यस्कों की तुलना में कमजोर ही होता है। यही कारण है कि मौसम का बदलाव, सर्द हवाएं और संक्रमण आदि की चपेट में बच्चे जल्दी आते हैं। जब बच्चे बीमार होते हैं, तो घरेलू नुस्खे अपनाने के बजाय तुरंत डाक्टर से संपर्क

श्रीराम शर्मा सुसंस्कारों के अभाव में मनुष्य का व्यक्तित्व गिरा हुआ ही बना रहता है। जिसका व्यक्तित्व निम्न श्रेणी का है, वह भले ही धन, विद्या, स्वास्थ्य, सौंदर्य, प्रतिभा आदि की दृष्टि से कितना ही बढ़ा-चढ़ा क्यों न हो, निम्न प्रकार का जीवन ही व्यतीत करेगा। उसे न तो स्वयं ही आंतरिक शांति मिलेगी और

पुनर्जन्म या पूर्वजन्म के बारे में विस्तार से जानकारी भारतीय धर्म में ही मिलती है। आध्यात्मिक रहस्य का यह सबसे बड़ा पहलू है। यहूदी, ईसाईयत, इस्लाम पुनर्जन्म के सिद्धांत को नहीं मानते, जबकि हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म मानते हैं… -गतांक से आगे… योग की सिद्धियां  : कहते हैं कि नियमित यम-नियम और योग के

सर्दी के मौसम में सुबह की धूप लेने का काफी बड़ा लाभ यह है कि ठंड के मौसम में शरीर को गरमाहट देती है और सर्दी से होने वाली अकड़न से बचाती है। धूप सेंकने के बाद आपकी कार्यक्षमता बढ़ती है और शरीर में लचीलापन और स्फूर्ति आती है… सदियों से सूर्य को जीवनदाता माना

हे सूतजी! हे सब पुराणो के सार को जानने वाले कालवयन के तथा जरासंध दोनों की तरफ से उत्पन्न हुए भय के कारण अपनी प्रजा का रक्षण करने के लिए श्रीकृष्ण ने समुद्र में एक उत्तम किला बनाया था। उस किले में द्वारका नाम का नगर बसाया। इस प्रकार हमने सुना है, तो हे सूतजी

देवीप्रसाद-जनक सदाचार-विधानकम। श्रावयेत शृणुयान्मर्त्यो महासंपत्तिसौख्यभाक। 82। जो देवी के प्रसादजनक सदाचार विधि को सुनता और सुनाता है, वह सब प्रकार से धनी और सुख का भागी होता है… -गतांक से आगे… देवीप्रसाद-जनक सदाचार-विधानकम। श्रावयेत शृणुयान्मर्त्यो महासंपत्तिसौख्यभाक। 82। जो देवी के प्रसादजनक सदाचार विधि को सुनता और सुनाता है, वह सब प्रकार से धनी और सुख

जेन कहानियां जेन गुरु ताकुन के पास एक ऊंचे ओहदे का सरकारी अधिकारी आया। दिन भर दफ्तर में बैठे-बैठे और लोगों की जी हजूरी सुनते-सुनते वह ऊब चुका था। उसने ताकुन से समय काटने की तरकीब पूछी। ताकुन ने एक कागज के टुकड़े पर आठ चीनी अक्षर लिख कर अधिकारी को पकड़ा दिए। चीनी चित्रलिपी