कम्पीटीशन रिव्यू

एआर रहमान   जन्मदिन 6 जनवरी रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1966 को मद्रास, भारत में हुआ था। इनके पिता का नाम आरके शेखर और माता का नाम कस्तूरी है। इनका बचपन का नाम दिलीप कुमार था, जो बाद में इस्लाम धर्म अपनाने के कारण एआर रहमान हो गया। बचपन 8 वर्ष की आयु में

छायी घटाएं छम छम नाचे, गोपियन को लुभाए।। **** शाम होते जब तन थक जाए, निंदिया रानी लगी बुलाने। मन बावरा दर-दर भटके, चली फिर कहां कहां घुमाने।। **** पल में आए पल में जाए, तपन-शीतल का एहसास कराए। **** वह क्या है जो होता तो सबके पास है किसी के पास कम तो किसी

* कथकली किस राज्य का नृत्य है : केरल * कारगिल युद्ध के समय पाकिस्तान का प्रधानमंत्री कौन था : नवाज शरीफ * कावेरी नदी कहां बहती है : दक्षिण में * किसे गरीब नवाज खां कहा जाता है : मुईनुददीन चिश्ती को * कीकलि नामक लोकनृत्य किस राज्य में प्रसिद्ध है : हरियाणा *

सब दोस्तों ने प्रण लिया कि हम आज के बाद मम्मी पापा का दिल नहीं दुखाएंगे, न ही उनको पढ़ाई की कोई शिकायत आने देंगे। सबसे अहम बात हम बाहर की कोई भी चीज नहीं खाएंगे, जिससे कि आने वाले समय में हमारी सेहत को नुकसान पहुंचे… मम्मी आज मुझे नए कपड़े देना क्योंकि आज

टीम की अध्यक्षता कर रहे डा. हर्षवर्धन के अनुसार इन औजारों की जांच होगी। यहां पूर्व में भी कपि मानव के अवशेष मिले हैं। इसी महत्त्व को देखते हुए भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण केंद्र देहरादून ने राष्ट्रीय परियोजना के रूप में शिवालिक उत्खनन परियोजना की संकल्पना की है…  गतांक से आगे टीम की अध्यक्षता कर

सतलुज घाटी में कई प्रकार की वनस्पति व वन्य जीव पाए जाते हैं। सतलुज नदी के किनारे अवस्थित गांव खेती व उद्यानों की सिंचाई के लिए व्यापक स्तर पर सतलुज नदी के पानी का प्रयोग करते हैं। इस घाटी में और कई छोटी-बड़ी खड्डे हैं, जो संपूर्ण सतलुज घाटी के लिए जीवन दायिनी है। सतलुज

प्रवासी भारतीय दिवस या अनिवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी, को पूरे भारत में मनाया जाता है। 9 जनवरी, 1915 को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अंततः दुनिया भर में प्रवासी भारतीयों और औपनिवेशिक शासन के तहत लोगों के लिए

हिमाचल के पश्चिमी एवं पूर्वी छोरों पर मुड़े हुए घुटने की भांति तीखे मोड़ दिखाई पड़ते हैं। जिन्हें क्रमशः कश्मीर एवं असम ‘सिनटैक्सिस कहते हैं।’ इन्हीं मोड़ों से पश्चिम की ओर हिंदुकुश सुलेमान तथा पूरब की ओर पटकोई- नागा पहाडि़यां उत्तर- दक्षिण दिशा ग्रहण करती हैं…  गतांक से आगे हिमालय के उद्भव, संरचना तथा उच्चावच

हिमाचल प्रदेश अनेक जातियों का मिश्रण है। कोल, किन्नर, किरात, खश, नाग आदि वे जातियां हैं जो हिमाचल में आर्यों से पूर्व निवास करती थीं। आर्यों के बाद यहां पर शक, हूण, गुज्जर, भोट, ब्राह्मण, राजपूत, क्षत्रिय, वैश्य, घिरथ, कोली तथा सूद आदि जातियां अस्तित्व में आईं। आर्यों के बाद की जातियां तो आज हिमाचल