आस्था

अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरूपं सनातनम्। गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तकम्॥ 1 ॥ भक्तध्यानाय सेवायै नानारूपधरं वरम्। शुक्लरक्तपीतश्यामं युगानुक्रमणेन च॥ 2 ॥ शुक्लतेजःस्वरूपं च सत्ये सत्यस्वरूपिणम्। त्रेतायां कुंकमाकारं ज्वलन्तं ब्रह्मतेजसा॥ 3 ॥ द्वापारे पीतवर्णं च शोभितं पीतवाससा। कृष्णवर्णं कलौ कृष्णं परिपूर्णतमं प्रभूम्॥ 4 ॥ नवधाराधरोत्कृष्टश्यामसुन्दरविग्रहम्। नन्दैकनन्दनं वन्दे यशोदानन्दनं प्रभुम्॥ 5 ॥

यह मन की स्थिरता तब सिद्ध होती है जब जीव नित्य यज्ञ, हवन में बैठकर वेदमंत्रों से ईश्वर की स्तुति (गुणगान) करता है। तब वह परमेश्वर की महिमा, गुणों, सामर्थ्य, शक्ति, परमेश्वर के कर्म, स्वभाव को जान जाता है और यह समझ जाता है कि ईश्वर के अतिरिक्त अन्य कोई भी मेरी इस लोक एवं

यदि ध्यान से देखा जाए तो मनुष्य की पूरी जिंदगी शतरंज की बिसात बन कर रह गई है। जहां सब धोखाधड़ी चल रही है। हर व्यक्ति तर्कनिष्ठ दिखाई देता है। इसका कहना आज साधन और सुविधा जुटा ली जाए कल जी लेंगे। अब वास्तव में जो व्यक्ति किसी न किसी तरह केवल अपने जीने का

25 अक्तूबर रविवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, नवमी, पंचक प्रारंभ, दशहरा 26 अक्तूबर सोमवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, दशमी 27 अक्तूबर मंगलवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, एकादशी, पापांकुशा एकादशी 28 अक्तूबर बुधवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, द्वादशी, प्रदोष व्रत 29 अक्तूबर बृहस्पतिवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, त्रयोदशी 30 अक्तूबर शुक्रवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, चतुर्दशी, पंचक समाप्त 31 अक्तूबर शनिवार, कार्तिक, शुक्लपक्ष, पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती

गतांक से आगे… हमारे जैसी दानशील जाति संसार में नहीं है। इस देश में यदि भिखारी के पास भी मुट्ठी भर अन्न होगा तो वह उसमें से आधा दान कर देगा। यह दृश्य केवल भारतवर्ष में ही देखने को मिलेगा। हम यथेष्ट अन्न दान कर चुके, अब अन्य दो प्रकार के दान देने आगे बढ़ना

संसार में प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में हर क्षेत्र में सफल होना चाहता है, चाहे नौकरी हो या व्यापार, विद्यार्जन हो, परीक्षा प्रतियोगी हो, चाहे कोई कलाकार, संगीतकार, वैज्ञानिक, व्यवसायी हो या कृषक। लड़का हो या लड़की, विवाहित हो या अविवाहित, सभी सफलता चाहते हैं।  लेकिन सफलता ख्याली पुलाव पकाने वाले या कोरी कल्पनाओं में

नवरात्र देवी मां के सम्मान में भारत भर में मनाए जाने वाले पर्वों में से मुख्य पर्व है। यह उत्सव अमावस्या के पश्चात शुक्लपक्ष के प्रारंभ का भी प्रतीक है। यह एक विशेष पर्व है, जिसमें पारंपरिक पूजन, नृत्य व संगीत सब सम्मिलित रहते हैं। ‘नवरात्रि’ शब्द दो शब्दों से बना है ‘नव’ अर्थात ‘नौ’

हजारों सालों से जैन शाकाहारी रहे हैं। उनके सभी 24 गुरु योद्धा जाति से आते हैं और वो सब मांसाहारी थे। उन लोगों का क्या हुआ? ध्यान ने उनके पूरे नजरिये को बदल दिया। न केवल उनके हाथों से तलवार छूट गई, बल्कि उनका योद्धा वाला उग्र स्वभाव भी गायब हो गया। ध्यान ने उन्हें

कम्प्यूटर का  ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से आंखों को काफी नुकसान पहुंचता है। रोजाना 8 से 10 घंटे लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने से आंखों पर काफी दबाव पड़ता है, जिससे परेशानी महसूस हो सकती है। कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम के लक्षण हैं, धुंधला नजर आना, चीजें डबल नजर आना, आंखें लाल होना, आंखों