आस्था

श्रीराम शर्मा प्रतीक उपासना की पार्थिव पूजा के कितने ही कर्मकांडों का प्रचलन है। तीर्थयात्रा, देवदर्शन, स्तवन, पाठ, षोडशोपचार, परिक्रमा, अभिषेक शोभायात्रा, श्रद्धांजलि, रात्रि-जागरण, कीर्तन आदि अनेकों विधियां विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों में अपने-अपने ढंग से विनिर्मित और प्रचलित है। इससे आगे का अगला स्तर वह है जिसमें उपकरणों का प्रयोग न्यूनतम होता है और

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… इन कारणों से वे कैलिफोर्निया के स्नेहियों से विदा लेकर जून में वहां से लौटे। वह सात महीने वहां रहे। न्यूयार्क में स्वामी जी वेदांत समीति के भवन में ठहरे और प्रति रविवार को गीता का व्याख्यान देने लगे। भगिनी निवेदिता भी इन्हीं दिनों न्यूयार्क आ पहुंची। वेदांत समीति के

 बाबा हरदेव एक व्यक्ति है जो हिंदी, अंग्रजी और पंजाबी तीनों भाषाएं जानता है और वह एक समय में केवल हिंदी भाषा का ही प्रयोग कर रहा हो, तो इस अवस्था में अंग्रेजी और पंजाबी दोनों भाषाओं की जानकारी अथवा ज्ञान उस व्यक्ति के मन की गहराई में पड़ा हुआ है और समय आने पर

श्रीश्री रवि शंकर वस्तुओं के प्रति तुम्हारी लालसा तुम्हारे मन से अधिक आवश्यक है। तुम्हारी बुद्धि, बुद्धिमता मन से परे है। यदि तुम केवल मन के अनुसार चलोगे, तो तुम डांवांडोल स्थिति में रहोगे। जो वस्तु मन की इस प्रकृति को मिटा सकती है, वह है अनुशासन… ज्यादा जरूरी क्या है वस्तुएं, इंद्रियां, मन या

लोग जहां गतिहीन जीवनशैली में जीवन जीने को मजबूर हैं, इससे उनके स्वास्थ्य को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं स्ट्रेस भी कई बीमारियों को बढ़ा रही है। पर हाल ही में आए शोध ने एक नई परेशानी की ओर इशारा किया है। ये परेशानी पैक्ड फूड्स को खाने से जुड़ी हुई है। दरअसल कोरोना

आयुर्वेद के नियम हजारों सालों से अपना महत्त्व इसीलिए बनाए हुए हैं, क्योंकि इसमें दवाओं से ज्यादा स्वस्थ जीवनशैली को महत्त्व दिया गया है। आयुर्वेद का मानना है कि व्यक्ति सही आहार और सही जीवनशैली अपनाए, तो हमेशा स्वस्थ और निरोगी रह सकता है। इसीलिए आयुर्वेद में हर मौसम के अनुरूप जीवनशैली और खान-पान के

हर बार से अलग इस साल बरसात के सीजन में डेंगू के फैलने की उम्मीद कम की जा रही थी। क्योंकि कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते ज्यादातर लोग अपनी सेहत को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। साफ सफाई और हाइजिन के साथ ही ज्यादातर लोगों का फोकस हेल्दी डाइट लेने पर है। ताकि

आप भले ही माने न माने हमारे घुटने शरीर के सबसे बड़े जोड़ होते हैं। ये कई गतिशील भागों से मिलकर बने होते हैं, जो हमें विभिन्न दैनिक गतिविधियों जैसे दौड़ना, हिलना, कूदना या स्क्वाट करने में मदद करते हैं। इनके बिना आप चलने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। विविध रूप से

आंखों की फोकसिंग मस्सल्स डैमेज हो जाने के कारण आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके कारण चश्मा लगाने की जरूरत पड़ती है। आंखों में मौजूद फोकसिंग मस्सल्स  के डैमेज होने के कई कारण होते हैं। समय रहते अगर सही उपाय अपनाया जाए, तो इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं