आस्था

-गतांक से आगे… गोपाड़्गनावृतोनन्तो वृन्दावनसमाश्रयः। वेणुवादरतः श्रेष्ठो देवानां हितकारकः।। 136।। बालक्रीड़ासमासक्तो नवनीतस्यं तस्करः। गोपालकामिनीजारश्चोरजारशिखामणिः।। 137।। परंज्योतिः पराकाशः परावासः परिस्फुटः। अष्टादशाक्षरो मन्त्रो व्यापको लोकपावनः।। 138।। सप्तकोटिमहामन्त्रशेखरो देवशेखरः। विज्ञानज्ञानसन्धानस्तेजोराशिर्जगत्पतिः।। 139।। भक्तलोकप्रसन्नात्मा भक्तमन्दारविग्रहः। भक्तदारिद्रयदमनो भक्तानां प्रीतिदायकः।। 140।। भक्ताधीनमनाः पूज्यो भक्तलोकशिवंकरः। भक्ताभीष्टप्रदः सर्वभक्ताघौघनिकृन्तनः।। 141।। अपारकरुणासिन्धुर्भगवान भक्ततत्परः। अपारकरुणासिन्धुर्भगवान भक्ततत्परः।। 142।। इति श्रीराधिकानाथसहस्त्रं नाम कीर्तितम। स्मरणात्पापराशीनां खण्डनं मृत्युनाशनम।। 143।। वैष्णवानां प्रियकरं

निर्जला एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष तौर पर मनाया जाता है। हिंदुओं में वर्ष में चौबीस एकादशियां आती हैं, किंतु इन सब एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी सबसे बढ़कर फल देने वाली समझी जाती है, क्योंकि इस एक एकादशी का व्रत रखने से वर्ष भर की एकादशियों के व्रत का फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत संयम साध्य है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों पक्षों की एकादशी में अन्न खाना वर्जित है...

विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। यह पर्व हिंदू धर्म को मानने वालों का मुख्य पर्व है। विनायक चतुर्थी को गणेशोत्सव के रूप में सारे विश्व में हर्षोल्लास व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भारत में इसकी धूम यूं तो सभी प्रदेशों में होती है, परंतु विशेष रूप से यह महाराष्ट्र

-गतांक से आगे… उपेन्द्रः इन्द्रावरजो वामनो बलिबन्धनः। गजेन्द्रवरदः स्वामी सर्वदेवनमस्कृतः।। 126।। शेषपर्यड़्कशयनो वैनतेयरथो जयी। अव्याहतबलैश्वर्यसम्पन्नः पूर्णमानसः।। 127।। योगेश्वरेश्वरः साक्षी क्षेत्रज्ञो ज्ञानदायकः। योगिहृत्पड़्कजावासो योगमायासमन्वितः।। 128।। नादबिन्दुकलातीतश्चतुर्वर्गफलप्रदः। सुषुम्नामार्गसंचारी सन्देहस्यान्तरस्थितः।। 129।। देहेन्द्रियमनः प्राणसाक्षी चेतःप्रसादकः। सूक्ष्मः सर्वगतो देहीज्ञानदर्पणगोचरः।। 130।। तत्त्वत्रयात्मकोव्यक्तः कुण्डलीसमुपाश्रितः। ब्रह्मण्यः सर्वधर्मज्ञः शान्तो दान्तो गतक्लमः।। 131।। श्रीनिवासः सदानन्दी विश्वमूर्तिर्महाप्रभुः। सहस्त्रशीर्षा पुरुषः सहस्त्राक्षः सहस्त्रपातः।। 132।। समस्तभुवनाधारः समस्तप्राणरक्षकः। समस्तसर्वभावज्ञो गोपिकाप्राणरक्षकः।।

दुर्गाष्टमी का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी व्रत किया जाता है, इसे मासिक दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। इस दौरान श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और उनके लिए पूरे दिन का व्रत करते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी, जिसे महाष्टमी कहा जाता है, आश्विन

वैसे तो हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है, क्योंकि यहां अनेक देवी-देवताओं के मंदिर स्थापित हैं।  ऐसा ही एक देवस्थल सिरमौर मुख्यालय लाइन से करीब सात किलोमीटर दूर काला अंब रोड के समीप है, जिसे पौड़ीवाला के नाम से जाना जाता है। पौड़ीवाला मेन रोड से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बलिदान दिवस 26 मई गुरुगद्दी पर बैठते ही गुरु जी ने अपने पिता द्वारा आरंभ किए सभी कार्यों को जिम्मेदारी से पूर्ण करने का कार्य शुरू कर दिया। आपने सिखों को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक व सामाजिक  कार्यों में लगाने के लिए प्रेरित किया तथा इसे धर्म का अंग बना दिया… गुरु अर्जुन

हमारे देश में रहस्यों से भरे मंदिरों की कमी नहीं है। ऐसा ही एक मंदिर है दक्षिण भारत में, जिसके रहस्य को सुलझाने में ब्रिटिश भी हार गए। यह मंदिर पुरातन काल से आज तक लोगों के लिए उत्सुकता का विषय है। बता दें कि यह मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… स्वामी जी आधी रात तक उनके साथ विचार विमर्श करते रहे। अगले दिन प्रातः कोलंबो के पब्लिक हॉल में वेदांत पर एक लंबा भाषण दिया। 11 जनवरी को कोलंबो से कंडी को प्रस्थान लिया और वहां का कार्यक्रम पूरा करके जाफना को चल दिए रास्ते में ऐतिहासिक महत्त्व के नगर