आस्था

 नोमग्याल ने बतलाया – ‘इस मंत्र का उच्चारण अत्यंत धीमे स्वर में होना चाहिए।’ मैं सहमत हो गया। पद्मचक्र हाथ में घूम रहा था। जिसी अत्यंत प्रसन्नता के साथ होंठों पर मुस्कान लिए देख रही थी। उसके पतले होंठों पर शिशु-सी मुस्कान उसे और सुंदर बना रही थी। पद्मचक्र हर समय लामा साधुओं के हाथ

 बाबा हरदेव अध्यात्म की यात्रा अज्ञात की यात्रा है। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें आश्वासन होते ही नहीं और यदि भूलवश किसी प्रकार के आश्वासन दिए जाएंगे, तो यह यात्रा बाधित हो जाएगी क्योंकि आश्वासन से अपेक्षा पैदा हो जाती है और जहां अपेक्षा है वहां वासना है और जहां वासना है वहां प्रार्थना

परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) के एक ब्राह्मण थे। उन्हें विष्णु का छठा अवतार भी कहा जाता है। पौराणिक वृत्तांतों के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा संपन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इंद्र के वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के आवेशावतार थे।

*                       जो धैर्यवान नहीं, उसका न वर्तमान है न भविष्य *                       अपनी स्वयं की क्षमता पर काम करो, दूसरों पर निर्भर मत रहो *                       उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता *           

ओशो संवाद का मतलब होता है कि दूसरे को खुले मन से समझने का प्रयास करना। सत्य तक पहुंचने के लिए एक-दूसरे का हाथ थाम लेना, राह ढूंढ़ने में एक-दूसरे की मदद करना संवाद है। यह मित्रता है, सत्य पाने के लिए साथ-साथ चलना, सत्य पाने में एक-दूसरे की मदद करना। अभी किसी के पास

धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। अतः इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता प्रकृति शक्ति की, अतः चेतना और प्रकृति का मिलन होने

स्कंद षष्ठी का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। तिथितत्त्व ने चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी कहा है। यह व्रत संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाते हैं। स्कंदपुराण

तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 21 नवंबर से मुरजपम एवं लक्षदीपम पर्व का आयोजन शुरू हो गया है, जो कि 15 जनवरी तक चलेगा। मकर संक्रांति पर 1 लाख दीपक जलाकर इसका समापन किया जाएगा। यह सदियों पुराना अनुष्ठान है, जो हर 6 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। 56 दिनों

नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी महान आध्यात्मिक चिंतक तथा गंभीर धर्म साधक थे। सन् 1621 वैशाख माह में आपका जन्म पिता श्री हरगोबिंद जी तथा माता बीबी नानकी के घर हुआ था। आपकी आध्यात्मिक रुचियां एवं वैरागी प्रवृत्ति बचपन से ही प्रफुल्लित होने लगी थीं। आप संत स्वभाव के थे, परंतु आप में