आस्था

जेन साधक तांगेन जेन गुरु सेंगई के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। जब वे बीस वर्ष के हो गए, तो आगे की शिक्षा के लिए अन्यत्र जाना चाहा। सेंगई उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे। वे जब भी पूछने जाते, सेंगई उनके सिर पर हल्की सी चपत दे मारते। अंततः तांगेन ने

मनुष्य की चेतन सत्ता में मूलतः वह क्षमता मौजूद है, जिसके सहारे वह अपने स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीरों का समुचित उपयोग कर सके। यह क्षमता उसने खो दी है। वह प्रसुप्त, विस्मृत एवं उपेक्षित गर्त में पड़ी रहती है। किसी काम नहीं आती। इसके बिना प्रगति रथ किसी भी दिशा में महत्त्वपूर्ण यात्रा नहीं

दुर्योधन के प्रति कर्ण के स्नेह के कारण, यद्यपि अनिच्छुक रूप से, उसने अपने प्रिय मित्र के पांडवों के प्रति सभी कुकर्मों में उसका साथ दिया। कर्ण को पांडवों के प्रति दुर्योधन की दुर्भावनापूर्ण योजनाओं का ज्ञान था। उसे यह भी ज्ञान था कि असत के लिए सत से टकराने के कारण उसका पतन भी

अं – गजराज (हाथी) आदि वन्य जीवों को वश में करने वाला अः – मृत्युनाशक।  क : विष बीज है। ख : स्तंभन बीज है। ग : गणपति बीज है। घ : स्तंभन बीज है। ड. : असुर बीज है। च : चंद्रमा बीज है। छ : लाभ बीज है। यह मृत्युनाशक है। ज :

सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते हुए

सद्गुरु  जग्गी वासुदेव आप को कर्मों को सुलझाने में असल में कोई प्रयास नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि जब आप अपने कर्मों के साथ खेल रहे हैं, तो आप ऐसी चीज के साथ खेल रहे हैं, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। यह मन का एक जाल है। बीते हुए समय का कोई अस्तित्व नहीं है पर

सेब का सिरका और शहर के फायदे सेब का सिरका और शहद का इस्तेमाल काफी वर्षों से कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के रूप में किया जा रहा है, इनमें कई तरह के पोषक तत्त्व और एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला

श्रीश्री रवि शंकर जीवन में अनिश्चितता को देखो, यही सत्य है। जरा पीछे घूमकर दृष्टि डालो, अब तक तुमने जो कुछ भी किया वह स्वप्न की तरह लगेगा। भविष्य में तुम चाहे कुछ भी करो, शहर को महापौर बना? तुम कई बार रोए-रोए हो, क्रोधित हो, बहुत बार लड़ाई-झगड़ा किए हो, तो क्या? सब कुछ

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… थोड़ा समय भी न बीतने पाया था कि तभी एक आदमी ने उनके हाथ में एक पत्र लाकर दिया। उनहोंने देखा त्रिगुणातीतानंद जाते वक्त  वह पत्र लिखकर रख गए थे उसमें लिखा था, स्वामी जी, हम पैदल वृदांवन की ओर जा रहे हैं। यहां रहना हमारे लिए अब कठिन हो