आस्था

श्रीराम शर्मा साधना चाहे घर पर की जाए अथवा एकांतवास में रहकर, मनःस्थिति का परिष्कार उसका प्रधान लक्ष्य होना चाहिए। साधना का अर्थ यह नहीं कि अपने को नितांत एकाकी अनुभव कर वर्तमान तथा भावी जीवन को नहीं, मुक्ति मोक्ष को, परलोक को लक्ष्य मानकर चला जाए। साधना विधि में चिंतन क्या है, आने वाले

उसे कुछ भी समझ में न आने से इधर से उधर दौड़ा-दौड़ करने लगी। भयंकर किलकारियों के साथ दर्द भरी हुई आवाजों से रक्षा की पुकार के अति नादों को सुनकर समाधि में स्थित ऋषि-मुनियों की समाधि छूट गई। अपने-अपने आसन के ऊपर से उठकर स्वस्थ हुए उन ऋषियों ने जब प्रलयकाल के समान पवन

 इन दिनों तापमान सातवें आसमान पर है और गर्मी भी रिकार्ड तोड़ पड़ रही है। आलम यह है कि तपती दोपहर में लोग अपने-अपने घरों और दफ्तरों में निकलने से बच रहे हैं, लेकिन कुछ की मजबूरी ही ऐसी है कि यदि धूप में जलेंगे नहीं, तो घर के चूल्हे शांत पड़ जाएंगे। प्रायः ऐसे

कद्दू बहुत सारे पौष्टिक गुणों से भरपूर है। कद्दू विटामिन डी, विटामिन ए, विटामिन सी और ई के अलावा बीटा कैरोटिन का बहुत अच्छा स्रोत है। कद्दू में कॉपर, आयरन और फास्फोरस भी होता है। इसलिए कद्दू सेहत के लिए बहुत गुणकारी होता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कद्दू ही नहीं, बल्कि

नारद मुनि हिंदू शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माने गए हैं। ये भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते हैं। ये स्वयं वैष्णव हैं और वैष्णवों के परमाचार्य तथा मार्गदर्शक हैं। ये प्रत्येक युग में भगवान की भक्ति और उनकी महिमा का विस्तार करते हुए लोक-कल्याण

-गतांक से आगे… सिद्धिदात्री रत्नगर्भा रत्नगर्भाश्रया परा। दैत्यहंत्री स्वेष्टदात्री मङ्गलैकसुविग्रहा।। 56।। पुरुषांतर्गता चैव समाधिस्था तपस्विनी। दिविस्थिता त्रिणेत्रा च सर्वेन्द्रियमनाधृतिः।। 57।। सर्वभूतहृदिस्था च तथा संसारतारिणी। वेद्या ब्रह्मविवेद्या च महालीला प्रकीर्तिता।। 58।। ब्राह्मणिबृहती ब्राह्मी ब्रह्मभूताऽघहारिणी। हिरण्मयी महादात्री संसारपरिवर्तिका।। 59।। सुमालिनी सुरूपा च भास्विनी धारिणी तथा। उन्मूलिनी सर्वसभा सर्वप्रत्ययसाक्षिणी।। 60।। सुसौम्या चंद्रवदना ताण्डवासक्तमानसा। सत्त्वशुद्धिकरी शुद्धा मलत्रयविनाशिनी।। 61।। जगत्त्त्रयी

भगवान गणेश का यह मंदिर कई कारणों से अपने आप में अनूठा और अद्भुत है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता जा रहा है। आंध्रप्रदेश के चित्तूर में बाहुदा नदी के बीचोंबीच बने इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति विराजमान है… भगवान गणपति के

छिन्नमस्तिका माता के दरबार में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं। छिन्नमस्तिका  देवी को चिंतपूर्णी भी कहा जाता है। उनके इस रूप की चर्चा शिव पुराण और मार्कंडेय पुराण में भी देखने को मिलती है। देवी चंडी ने राक्षसों का संहार कर देवताओं को विजय दिलाई थी। छिन्नमस्तिका जयंती के दिन व्रत रखकर

कालाष्टमी अथवा काला अष्टमी का हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान इसे मनाया जाता है। कालभैरव के भक्त वर्ष की सभी कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास करते हैं। सबसे मुख्य कालाष्टमी, जिसे कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता