दखल

छोटी काशी ही प्रदेश की ऐसी जगह है, जहां तीन धर्मों का अध्यात्म और तीन विशेष समुदायों की संस्कृति ने एकसूत्र में समावेश किया है। इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि सांस्कृतिक राजधानी होने के बाद भी मंडी को वह सब कुछ नहीं मिल सका, जो  एक सांस्कृतिक राजधानी की पहचान बना सके। इसकी

रुचि जाने बिना हिमाचली अपने बच्चों को जबरन डाक्टर-इंजीनियर बनाने पर उतारू हैं। आर्ट्स-कॉमर्स से बच्चों को दूर रखकर जहां हजारों पेरेंट्स उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहे हैं, वहीं उनके सुनहरे करियर में भी रोड़ा बन रहे हैं। इसी गंभीर मसले पर हिमाचल को भेड़चाल से आगाह करता इस बार का दखल… दसवीं

हिमाचल की शान शिमला महज अपनी खूबसूरती के कारण स्मार्ट नहीं बन सकता। राजधानी को स्मार्ट सिटी का चोला पहनाने के लिए कई दिक्कतों से पार पाना होगा। मसलन, ट्रैफिक, ट्रांसपोर्ट सिस्टम, 24 घंटे बिजली-पानी, नई टाउनशिप व डे्रनेज सिस्टम से लेकर ऐसे कई आधुनिक तौर-तरीके अपनाने होंगे, जो असल में शिमला को स्मार्ट बना

यह अचानक है या एक लंबी परिपाटी का मुकाम कि मुख्यमंत्री ने दूसरी राजधानी का तमगा भी कांगड़ा जिला मुख्यालय को पहना दिया। हालांकि जिस तरह सरकार की व्यस्तता इस ओर निरंतर बढ़ रही थी और शीतकालीन प्रवास से शीतकालीन सत्र, सियासी अनिवार्यता बन गए, इसके आलोक में दूसरी राजधानी के शिलालेख, भविष्य को किस

हिमाचल प्रदेश में हर साल आग कहर बरपाती है। अग्निशमन विभाग हर हाल में आग पर काबू पाने की भरसक कोशिश करता है, पर कभी बहुत देर हो जाती है तो कभी पहाड़ के संकरे रास्ते मंजिल तक फायर ब्रिगेड को पहुंचने ही नहीं देते। इस बार दखल के जरिए फायर ब्रिगेड की हकीकत बता

बर्फबारी ने उन तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी, जिनमें प्रभावितों को समय पर राहत देने के दावे थे। आलम ऐसा था कि सड़कें बंद हो गईं।  स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। रोगी वाहनों तक की सुविधा लोगों को नहीं मिल सकी। अस्पताल में मरीज बिजली अव्यवस्था के कारण ठिठुरने को

हिमाचल को कुदरत ने ऐसा सौंदर्य बख्शा है, जो हर किसी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। हर साल आबादी से दोगुना यहां पहुंचने वाले सैलानी पहाड़ की खूबसूरती पर मुहर लगाते हैं। बेशक सैलानियों की आमद ज्यादा हैं पर वे एक या दो दिन रुकने के बाद लौट जाते हैं। दखल

प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब हिमाचल में और निखार लाने के लिए जरा से मेकअप की ही जरूरत है। मसलन ऐसे प्रोजेक्ट हों, जिनमें पर्यटक दिलचस्पी लें  और उनका ठहराव दो दिन से बढ़कर हफ्ते तक खर्च जाए। तभी हिमाचल में पर्यटन उद्योग को पंख लग सकते हैं… पर्यटक अभी तक वीकेंड मनाने ही शिमला या