दखल

हिमाचल के लिए जीएसटी लागू करना फायदे का सौदा माना जा रहा है। प्रदेश को जो टैक्स अभी तक मिल रहा है,उसमें लगभग 25 से 30 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है। राज्य सरकार के अनुमान के मुताबिक उसे करीब 500 से 1000 करोड़ रुपए का मुनाफा होगा। जीएसटी से होने वाले नफे-नुकसान के

हिमाचल में साल-दर-साल सैलानियों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इस बार तो यह दो करोड़ को भी पार कर सकता है, लेकिन प्रदेश में आने वाले सैलानियों को क्या सुविधाएं मिलती हैं और उन्हें किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है व पर्यटकों के लिए क्या चाहिए… हर दिक्कत-सुविधा को बारीकी से दखल

प्रदेश में हर साल बरसात कहर बनकर  टूट पड़ती है। मूसलाधार बारिश-बादल फटने के अलावा भू-स्खलन से भी जान-माल का नुकसान होता है। बरसात से पहले हर बार प्रशासन तैयारियां करता है, लेकिन कुदरत के आगे सारे इंतजाम धराशायी हो जाते हैं। अभी बरसात सिर पर है तो मानसून से निपटने के लिए कितना तैयार

शांत देवभूमि में दिन-ब-दिन अपराध फन फैला रहा है। प्रदेश में माफिया इतना हावी होने लगा है कि कर्मचारियों की जान पर बन आई है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे कभी भी किसी भी कर्मचारी या अफसर पर हमला करने से नहीं चूकते। माफिया से निपटने में कितना सक्षम है हिमाचल,

महज 25 हजार की आबादी के लिए बसाए गए शिमला शहर में आज दो लाख के करीब जनता गुजर-बसर कर रही है। आबादी जिस रफ्तार से बढ़ी, उसी रफ्तार से  निगम शहर का विकास नहीं कर पाया, नतीजतन आए दिन लोगों को बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है… अंग्रजों ने शिमला को 25

सैलानी हिमाचल की खूबसूरत छटाओं के दीदार के लिए बड़े उत्साह से यहां पहुचते हैं, लेकिन जब उनका सामना ट्रैफिक जाम से होता है, तो सारा उत्साह काफूर हो जाता है… पहाड़ी राज्य हिमाचल की सड़कें वाहनों के बोझ से इन दिनों पूरी तरह से हांफ रही हैं। हिमाचल के अपने लाखों वाहनों के अलावा

मौसम माकूल, मगर सुविधाओं का टोटा हिमालय के आंचल में बसा हिमाचल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है। यहां की जलवायु हर खेल के लिए माकूल है। यहां के मौसम पर फिदा हो कर हर साल यहां कई नेशनल कैंप लगाए जाते हैं, लेकिन हिमाचल अपनी ही जलवायु की शक्ति से अंजान है,लिहाजा

काम की तलाश में बाहरी राज्यों से आए प्रवासी कामगारों ने हिमाचली शहरों में झुग्गियां जमा लीं। शहर के बीचोंबीच या सड़क किनारे बसी इनकी बस्तियां पहाड़ी राज्य की प्राकृतिक सुंदरता पर ग्रहण लगा रही है। प्रवासियों की हिमाचल आमद श्रम के नजरिए से तो महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इसने कई दिक्कतें भी पैदा कर दी

स्मार्ट सिटी धर्मशाला का समूचा विकास महज राजनीतिक कारणों के चलते ही हुआ है। यह सियासत ही थी कि कभी यहां हिमाचल भवन बना तो कभी कोई क्षेत्रीय कार्यालय। कभी विधानसभा परिसर अस्तित्व में आया तो कभी मिनी सचिवालय की इमारत बुलंद हुई। दूसरी राजधानी का दर्जा भी इसी फेहरिस्त में शामिल है। इस बार