पाठकों के पत्र

(मानसी जोशी (ई-मेल के मार्फत)) आम आदमी पार्टी की महिला नेता एवं दिल्ली विधानसभा सदस्य अलका लांबा ने गोमाता के खिलाफ घिनौनी टिप्पणी कर अपनी ओछी सोच दिखा दी है। केंद्र ने जीएसटी की नई रचना स्पष्ट की है। इसमें महिलाओं के लिए उपयुक्त सेनिटरी पैड पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगाया है।

(अर्पिता पाठक (ई-मेल के मार्फत) ) मुस्लिम बहुल सऊदी अरब में योग को खेल का दर्जा मिला है। योग का विरोध करने वाले भारत के कट्टरपंथी इस देश से काफी कुछ सीख सकते हैं। योग के महत्त्व का जिन्होंने अनुभव किया है, वे योग को अपनाने और प्रचार करने के लिए अपने स्तर पर प्रयास

(रूप सिंह नेगी, सोलन ) इसे विडंबना क्यों न माना जाए कि कोटखाई  इलाके की बिटिया को न तो पुलिस, न  सीबीआई, न  आक्रोश रैलियां, न कथित थाना जलाने वाली भीड़ और न ही राजनीतिक रोटियां सेंकने वालों को अभी तक न्याय दिलाने में कामयाबी मिली है। इस पूरे मामले का एक पहेली बनते जाना

अब तंबू लिए लपेट (डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) ईवीएम में बंद है, अब उनकी तकदीर, रोज-रोज धुकधुक बढ़ी, कौन धराए धीर। एक महीना काटना, एक साल की जेल, दिल की धड़कन इस कद्र, हो न जाए फेल। नोट लुटे, दंगल उठे, तंबू लिए लपेट, भ्रष्टों को क्या फर्क है, जो हैं धन्नासेठ। नींद

(जीडी शर्मा, छत्तर, नूरपुर ) संस्कारों का सूखा सिर्फ बेटों में ही नहीं, बल्कि बेटियों में भी देखने को मिल जाता है। बेशक इनकी संख्या समाज में थोड़ी ही है, लेकिन फिर भी कई बेटियां ऐसी मिल जाएंगी, जो सामाजिक या पारिवारिक मर्यादाओं को लांघकर कदाचार में लिप्त हो जाती हैं। हैरानी यह कि कई

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टिहरा ) अति किसी भी चीज की नुकसानदायक होती है। स्मार्टफोन से दुनिया तो मुट्ठी में हो गई है, लेकिन कुछ लोगों ने इसका दुरुपयोग करके अपना दिमाग खराब कर रखा है। कुछ लोगों ने अपने छोटे बच्चों को स्मार्टफोन देकर अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारने का काम कर लिया

(सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल ) जिस देश-समाज में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग खुद को सुरक्षित महसूस करते हों, उसे विकसित और सभ्य समाज का एक सूचक माना जा सकता है। आज हमारे समाज में जिस तरह का माहौल पैदा हो रहा है, उसमें उल्लेखित एक भी पक्ष खुद को महफूज नहीं मानता। हर

(जयेश राणे, मुंबई, महाराष्ट्र ) गुलाम कश्मीर पर नेशनल कान्फ्रेंस के प्रमुख नेता फारूक अब्दुल्ला के बयान का अभिनेता ऋषि कपूर ने समर्थन किया है। समझ नहीं आता कि ऐसे तथाकथित बुद्धिजीवियों के दिमाग में कौन सा भूसा भर चुका है कि वे देश के हित और अहित के बारे में भी नहीं सोच पा

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा) हाल ही में नीति आयोग ने 2022 तक भारत के गरीबी मुक्त होने का दावा किया है। यह अनुमान सच होगा या नहीं यह तो भविष्य ही तय करेगा, लेकिन इस अवसर पर गरीबी मिटाने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों की पोल तो खोली ही जानी चाहिए। सबसे पहले