संपादकीय

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का मानना है कि सरकार बेरोजगारी जैसी सभी सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान नहीं कर सकती। जब बेरोजगारी की बात उठती है, तो समाधान की तुलना में अंदाजा लगाना आसान होता है। वह अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन और मानव विकास संस्थान की ‘भारत रोजगार रपट 2024’ को पेश किए जाने के अवसर पर बोल रहे थे। यदि बेरोजगारी सरकार का कोई सरोकार नहीं है, तो देश के जीडीपी के आंकड़े और आर्थिक विकास दर कैसे तय की जाती है। क्या जीडीपी भारत के हवा-पानी का ही कोई संकलन है? जीडीपी देश के नागरिकों के रोजगार, उनके संसाधन और अंश

तीनों हुए बदनाम, गुरु, शिष्य और शिक्षण परिसर। केंद्रीय विश्वविद्यालय के शाहपुर परिसर की अस्थायी हुकूमत में एक प्रोफेसर ने अपने चरित्र की चाबुक से बहुत कुछ घायल कर दिया। अध्ययन व अनुसंधान के बीच छात्रा से हुए दुष्कर्म की परिभाषा में सारा माहौल आक्रोशित है, तो निलंबन की कार्रवाई से अनुशासन की गवाही दी जा रही है। आज भी बिखरा है तेरे अध्ययन का मिजाज, तूने इमारतों में केवल अस्त व्यस्तता भर ली। क्या पीएचडी के नए फार्मूले से ईजाज हो रही हैं शरारतें या केंद्रीय विश्वविद्या

पौधे फिर से जमीन से, उखड़े अपनी जमीर पर। कौन किसको झटका दे गया, कौन दे रहा और कौन दे पाएगा, इसको लेकर हिमाचल की राजनीति को खुद पर संशय है। भाजपा लगातार कांग्रेस को हैरान करने के सामथ्र्य में, अधिकांश भाजपाइयों को परेशान करने की

पाकिस्तान में दो वारदातें ऐसी हुई हैं, जिनका निशाना चीनी नागरिकों की तरफ लगता है। पाकिस्तान की सुरक्षा समस्याएं एक बार फिर बदतर होती जा रही हैं। एक घटना बीते सोमवार को हुई, जब ‘बलोच मुक्ति सेना’ के चरमपंथियों ने पाकिस्तान के नौसेना बेस ‘पीएनएस सिद्धिक’ में घुसने की कोशिश की। यह खबर जानबूझ कर छिपा दी गई, अलबत्ता इसके फलितार्थ बेहद गंभीर हो सकते थे। यह हमलानुमा प्रयास ग्वादर बंदरगाह क्षेत्र पर किए गए हमले के करीब एक सप्ताह बाद किया गया। हालांकि सुरक्षा बलों ने ह

देश-प्रदेश की तस्वीर में हम चंद नेताओं पर अपनी तकदीर का फैसला करना चाहते हैं और यही हमारी लोकतांत्रिक आस्था के स्वरूप को निर्धारित कर रहा है। सवाल जनता के विश्वास से परे हालात पर टिके हैं, इसलिए राजनीतिक सर्कस में भी हम प्रतिभा देखने की गुस्ताखी कर बैठते हैं। जनता राष्ट्रीय स्तर से हिमाचल तक केवल चलाई जा रही है और उम्मीदों तथा संभावनाओं के प्रश्न चुनाव दर चुनाव आगे सरकाए जा रहे हैं। ऐसे में जनता या अपने मतदान के भरोसे पर देश की सुनहरी तस्वीर के प्रति आशावान है या विकल्पों की कमी उसे मजबूरीवश आगे धकेल रही है। इस बीच दिव्य हिमाचल के साप्ताहिक प्रश्न के जवा

सिर्फ केजरीवाल की गिरफ्तारी के आधार पर इस निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा जा सकता कि 2024 के आम चुनाव ‘विपक्ष-मुक्त’ हैं अथवा चुनावी रण समतल नहीं है। केजरीवाल के मुद्दे पर तो संयुक्त विपक्ष की रैली का आह्वान किया गया है, लेकिन हेमंत सोरेन भी झारखंड के चुने हुए मुख्यमंत्री थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें इस्तीफा देने को बाध्य किया था। सोरेन की मासूमियत पर विपक्ष ने इतना शोर नहीं मचाया, जितना केजरीवाल को लेकर प्रलाप किया जा रहा है कि एक पदासीन मुख्यमंत्री

हम उम्मीद करें कि ईएफटीए के बाद अब भारत के द्वारा ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमरीका, इजरायल, भारत, गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि

बीते दिनों केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने कुछ संदिग्ध और सवालिया न्यूज वेब पोर्टल, निजी न्यूज चैनलों पर पाबंदी लगाई थी। आरोप पुराने ही थे कि वे ‘फेक न्यूज’, ‘भ्रामक सामग्री’ और ‘झूठी खबरें’ परोस रहे थे। सरकार इसे ‘आपराधिक कृत्य’ मानती है। बीते एक अंतराल से ऐसी पाबंदियां ही चस्पा नहीं की गईं, बल्कि कुछ पत्रकारों, संपादकों, प्रकाशकों को भी, कड़ी कानूनी धाराओं में, जेल भी भेजा गया है। बहरहाल वे मामले अदालतों के विचाराधीन हैं। बेशक फेक न्यूज लंबे समय से एक गंभी

अवांछित घटनाक्रम की वांछित राजनीति ने अब हिमाचल की नीयत में अस्थिर सरकारों का खोट भर दिया है। अस्थिरता न होती तो जनादेश की ताकत से राज्यसभा में कांग्रेस का एक और सांसद प्रवेश कर गया होता, मगर इस ताजपोशी के सबूत खूंखार हो रहे हैं। कांग्रेस की जेब जहां लुटी है वहां जनादेश की दौलत भी लुटी है, लेकिन हम दोनों पाटों में सियासत का पुण्य-पाप नहीं चुन सक