विचार

भाजपा के ‘संकल्प-पत्र’ में कुछ भी नयापन नहीं है। योजनाओं का या तो विस्तार किया गया है अथवा राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई है। भाजपा पूरी तरह प्रधानमंत्री मोदी के रिकॉर्ड और लोकप्रियता के भरोसे है। प्रत्यक्ष रेवडिय़ों अथवा मुफ्तखोरी का कोई भी संकल्प नहीं किया गया है। देश के 80 करोड़ से अधिक गरीबों के लिए 5 किलो ‘मुफ्त अनाज’ की योजना 2029 तक जारी रहेगी। यह देश आकलन करेगा कि वह इसे ‘मुफ्तखोरी’ की जमात में रखता है अथवा इसे सामाजिक-रा

बहुत वर्ष नहीं हुए जब तत्कालीन धूमल सरकार ने देश के पहले हिमालयी राज्य को पॉलिथीन मुक्त करने का बीड़ा उठाया और इस क्रांतिकारी कदम ने एक इतिहास लिख दिया, लेकिन इस व्यवस्था की बाद की सरकारें रक्षा न कर सकीं। पड़ोसी राज्यों की संगत में धीरे-धीरे लौट आया पॉलिथीन, क्योंकि पहाड़ के नियम तो सरकारें बदलते ही दफन हो जाते हैं। सर्वप्रथम जनता ही इनका शिकार करती है, जबकि प्रशासन को अब ऐसे कार्यों की फुसर्त ही कहां। आश्चर्य यह कि इस बीच स्वच्छता अभियान चले। गांव-गांव में

डिपाजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन एक्ट में सरकार ने जो बदलाव किया है, उसमें जमाकर्ता को बैंक डूबने की स्थिति में बहुत बड़ी राहत मिली है...

भारत सारी दुनिया में देवभूमि के लिए प्रसिद्ध है। हमारा देश ही मात्र एक ऐसा देश है, जहां पर नवरात्र मनाए जाते हैं और कन्या पूजन होता है। लेकिन जब इसी देश में कन्या भ्रूण हत्या सामाजिक बुराई की खबरें सुनने को मिलती हैं, तो हर सभ्य और भारत की संस्कृति का अनुसरण करने वाला व्यक्ति यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या भारत वही है जहां पर नवरात्र में कन्या

अफस्पा रुखसत करने के बजाय आतंक के कारण चार दशकों से अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनकर तर्क-ए-वतन का दंश झेल रहे कश्मीर के मूल निवासियों की सुध लेनी चाहिए। कश्मीर में टारगेट कीलिंग का सिलसिला जारी है...

देश की नई पीढ़ी के लिए अधिक से अधिक करियर के मौके जुटाने के लिए एक ओर सरकार के द्वारा डिजिटल शिक्षा के रास्ते में दिखाई दे रही कमियों को दूर करना होगा, वहीं दूसरी ओर नई पीढ़ी के द्वारा करियर में आगे बढऩे और रोजगार में आने के बाद भी काम करते हुए लगातार बदलती हुई रोजगार की दुनिया के अनुरूप नए स्किल्स सीखने होंगे...

देश की राजनीति में अपराजेय चेहरों के बीच द्वंद्व अब नए हालात पैदा कर रहा है। विचारधाराओं से ऊपर नेताओं की ब्रांडिंग का ही असर है कि क्षेत्रीय क्षत्रप भी दीवारों के पीछे अपने-अपने दुर्गों की रक्षा कर रहे हैं।

इस युग में भगवान की कृपा से भी अधिक दयालु हो सकता है किसी आईपीएल मैच का फ्री पास। आईपीएल का एक फ्री टिकट, चुनाव के टिकट से कहीं अधिक प्रगाढ़ रिश्तों का प्रतीक और समाज में स्टेटस सिंबल का प्रहरी हो सकता है।

कहावत है कि पूरा विश्व ही एक कुटुम्ब जैसा है। यह दौर शांति, स्थिरता और सहयोग का है, लिहाजा युद्ध की गुंजाइश नगण्य है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने तमाम मान्यताओं को झुठला दिया है।