विचार

लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत कांग्रेस के पास ऐसे बजटीय प्रावधानों के हथियार होंगे जो प्रदेश के लाखों लोगों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं, बशर्ते कांग्रेस इन्हें अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में कामयाब हो जाए...

सांड कभी इनसान नहीं हो सकता। लेकिन मुझे इस बात का सुकून है कि इनसान जब चाहे सांड हो सकता है। उसके सांड होने में सबसे बड़ी बाधा उसकी अक्ल की है। पर मुझे ख़ुशी है कि जनता ने अपना दिमाग़ सरकार के पास गिरवी रख दिया है। जनता सरकार से बेरोजग़ारी, भुखमरी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, फसलों के उत्पादन में आ रही कमी जैसे रोज़मर्रा के सवालों को छोडक़र सरकार की बनाई उस राम की भक्ति में हिलोरें मार रही है, जिसका मन्दिर उनकी समस्याओं के निवारण की तरह अधूरा पड़ा है। जिस तरह सरकार ने वनवासी राम को अधूरे मन्दिर में प्रतिष्ठि

हिमाचल प्रदेश सरकार का इस बार का बजट सरकारी नौकरियों की थोड़ी बहुत व्यवस्था करता है। शिक्षा विभाग तथा कुछ अन्य विभागों में हजारों की संख्या में युवाओं की भर्ती होगी, लेकिन समस्या यह है कि प्रदेश में लाखों की संख्या में युवा बेरोजगार हैं, इसलिए कुछ हजार सरकारी पदों को भरने मात्र से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। सभी युवाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार को प्राइवेट सेक्टर में नौक

भारत के द्वारा वर्ष 2023 में की गई जी-20 की सफल अध्यक्षता से नए आर्थिक लाभों की ऐसी अभूतपूर्व संभावनाएं मिली हैं जिससे इस वर्ष 2024 में भारत से निर्यात, भारत में विदेशी निवेश, भारत में विदेशी पर्यटन और भारत के डिजिटल विकास का नया क्षितिज सामने आते हुए दिखाई देगा। ग्लोबल सप्लाई

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नई खेल नीति बनाने की घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए बजट में ओलंपिक खेलों के स्वर्ण पदक विजेता की नगद ईनामी राशि को तीन करोड़ रुपए से पांच करोड़, रजत पदक की दो करोड़ रुपए को तीन करोड़ रुपए व कांस्य पदक विजेता के एक करोड़ रुपए को दो करोड़ तक बढ़ाया है। एशियन व राष्ट्रमण्डल खेलों के पदक विजेताओं के नगद इनाम में भारी बढ़ौतरी कर स्वर्ण पदक विजेता के पचास लाख रुपए को चार करोड़, रजत के तीस लाख रुप

यह लोकसभा चुनाव का मौसम है, लिहाजा प्रत्येक राजनीतिक घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। एक तरफ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं, दूसरी तरफ भाजपा का कुनबा विस्तृत होता जा रहा है। उसकी चुनावी चुनौती भी ‘अपराजेय’ लगती है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस भी बिखर रही है, जिसके नेता पार्टी छोड़ कर भाजपा या अन्य दलों में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस का राजनीतिक और वैचारिक घर टूट रहा है, यह अत्यंत

सुक्खू सरकार का बजट खुद से बात, खुद से मुलाकात और खुद से प्रण लेता हुआ सुर्खियां बटोर गया, भले ही हिमाचल के प्रश्र और प्रश्रों के आधार पर आर्थिक दिक्कतें परीक्षा ले रही हैं। प्रदेश जिसके कंधों पर 87 हजार करोड़ का ऋण हो तथा इसी साल राजकोषीय घाटा दस हजार करोड़ के पार हो, उसके बजट के सुखद पहलू लिखने कोई आसान नहीं। ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बजटीय प्रमाणिकता के साथ वादों और इरादों की झड़ी लगा रहे हैं, तो इसका व्यावहारिक पक्ष भी समझना होगा, फिर भी इसके गणित के बाहर ऐसा बहुत कुछ है, जिससे प्रदेश अपनी लोक कल्याणकारी नीतियों, विकास के दायित्व, किसानों-बागबानों के प्रति समर्पण, कर्मचारियों की अपेक्षाओं तथा जनप्रतिनिधियों

सोशल मीडिया पांव पर चलता नहीं, कंधे पर सवार हो जाता है। इसे कितने कंधे चाहिए, गिन नहीं पाता। आश्चर्य यह कि सोशल मीडिया के विचार, तर्क और लय किसी को भी बुद्धिहीन कर सकते हैं, फिर भी लोग इस माध्यम से अपनी बुद्धि को आजमाने का मौका नहीं चूकते। बुद्धिजीवी मुगालते में था कि वह सोशल मीडिया का चैंपियन बन जाएगा और दिमाग के खेल में सब पर भारी पड़ेगा। शुरुआत में ऐसा हुआ, लेकिन बुद्धिजीवी को शीघ्र ही मालूम हो गया कि यहां बुद्धि की कोई औकात नहीं, जो चल गया वही स्वीकार्य सामान है। सोशल मीडिया में विचार या संदेश एक उत्पाद है, जिसकी मार्केटिंग होती है। वैसे भी समाज अब एक उत्पाद ही तो है जिसे सोशल मीडिया के संदेश बना और पका रहे हैं। हर उत्पाद के लिए कीमत

भारतीय संविधान के अनुसार केंद्र एवं राज्य सरकारों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी गई हैं। इन जिम्मेदारियों को निभाने के लिए भारतीय संविधान विभिन्न वित्तीय संसाधनों को केंद्र तथा राज्यों को प्रदान करता है। संविधान केंद्र को सशक्त करने की बात करता है...