विचार

यह किसान आंदोलन नहीं, हिंसक टकराव लगता है। चूंकि 2500 टै्रक्टर और अन्य निजी गाडिय़ां पंजाब से रवाना हुई थीं। वे दिल्ली जाने पर आमादा हैं। ऐसे में हालात हिंसक होना स्वाभाविक है। सुरक्षा बलों और पुलिस को ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागने पड़े, क्योंकि कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का दायित्व है। किसानों को खदेडऩा पड़ा, तो पलट कर उन्होंने जमकर पथराव किया। शंभु बॉर्डर पर इस टकराव में

खेल की चर्चा में हिमाचल का आना, एक सतत प्रयास का नतीजा है, जिसे पिछली कुछ सरकारों, खास तौर पर प्रेम कुमार धूमल के मुख्यमंत्रित्व काल से हम पनपता हुआ देख सकते हैं। यह इसलिए क्योंकि पहली बार व्यापक स्तर पर विभिन्न खेलों से संबंधित प्रशिक्षकों को उनकी सरकार ने नियुक्ति देकर एक माहौल बनाया था। बहरहाल वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी आगामी बजट के माध्यम से खेलों के प्रति अ

सरकार को लोकप्रियता पाने से दूर रहकर नए करों को लागू करना चाहिए, ताकि उसके खजाने में टैक्स से आवश्यक धनराशि आए। वहीं यह भी यकीनी बनाना होगा कि सभी व्यापारी ग्राहकों द्वारा खरीदी गईं वस्तुओं पर लागू वैट और जीएसटी को सही तरीके से सरकार के खाते में जमा करवाएं। सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचे, इसके लिए प्रचार-प्रसार की जरूरत है...

उन्होंने हमें अच्छी तरह समझा दिया है कि हमारा भला अपना किसी किस्म का अधिकार मांगने में नहीं है। हम तो पीढिय़ों से वंचित, पिछड़े हुए और भूखे नंगे लोग हैं। अकाल से लेकर भूचाल तक अपने सींकिया बदन पर सहते आए हैं। हमें इससे पहले कभी कुछ नहीं मिला, तो आज अपनी मेहनत के लिए मांगने, उसका पूरा मूल्य चाहने का यह शौक कैसे पाल लिया? अरे पालना ही था तो कोई इज्जतदार शौक पालते। तीतर बटेर लड़ाने

प्रधानमंत्री मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता में से एक किसानों का सशक्तिकरण है। किसानों को सशक्त बनाना व उनकी आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना प्रधानमंत्री की ग्रामीण भारत की बेहतरी के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता है, जो भारत की अधिकांश आबादी को सशक्त बनाने और किसान समुदायों के उत्थान के लिए समर्पित हैं। समावेशी विकास पर एक मजबूत ध्यान देने के साथ, उनकी नीतियों और कार्यक्रमों को ग्रामीण और शहरी भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और नीम-लेपित यूरिया उर्वरक को बढ़ावा देने जैसी पहलों को लागू करके, मोदी ने कृषि क्षेत्र

इस योजना का मकसद पवित्र है, लेकिन मंजिल को लेकर विवाद के कई घाट अली खड्ड के संगम पर बन गए हैं। जल आपूर्ति योजना के नाक में दम करना एक तरफ बिलासपुर जिला का न्याय है, तो दूसरी तरफ सार्वजनिक व्यय की तमाम मंजूरियां सोलन की प्यास बुझाना चाहती हैं। जाहिर है अली खड्ड पीछे कहीं से तो आती होगी और आगे भी जाती होगी। कितनी सदियां पूर्व अली खड्ड बनी या खड्ड अली हो गई, इसे न तो मौजूदा टकराव जानता है और न ही जल शक्ति विभाग के लक्ष्य जानते होंगे। यह मामला प्राकृतिक स्रोतों से जलापूर्ति को सुदृढ़ करने का है और एक राज्य की तस्वीर में आगे बढऩे का भी है। यह वही राज्य है जिसने भाखड़ा बांध परियोजना से उत्तर भारत के खेतों की हर जरूरत को पानी दिया, तो पौंग बांध के माध्यम से राजस्थान की रेत को हरियाली सौंप दी। हिमाचल की बड़ी बांध परियोजनाओं ने देश को सर्वस्व सौंपा है, तो रेणुका बांध अब दिल्ली की जनता को भरपूर पानी पिलाएगा। कहना न होगा कि जो राज्य देश की जनता के सुकून में अपने योगदान को हमेशा

देश में हर महीने तस्करी के जरिए करीब पांच टन सोना आ रहा है। वर्ष 2012-13 में सोने की तस्करी से जुड़े 870 मामले सामने आए थे और सौ करोड़ का सोना जब्त किया गया था। देश के सभी हवाई अड्डों पर तस्करी रोकने के लिए कस्टम विभाग है। इसके अलावा स्थानीय पुलिस भी चौकसी रखती है। देश के बंदरगाहों और समुद्री सीमा पर तस्करों पर निगाह रखने के लिए पुलिस के साथ जलसेना भी है। जिन सफेदपोश जमाखोरों का कालाधन विदेशों में जमा है, वे भी अपने कालेधन को सोने में बदलने लगे हैं। खाड़ी देशों और कालाधन से अर्थव्य

जब भी कहीं किसी को कोई भी पुरस्कार, तिरस्कार मिलता है, मेरी छाती पर पुरस्कार लोटने लगते जाते हैं। कारण, मैं लेखन प्रेमी कम पुरस्कार प्रेमी अधिक हूं। मैंने आज तक जो कुछ भी लिखा, पुरस्कार पाने की इच्छा से ही लिखा। पर पुरस्कार और मेरे बीच पता नहीं क्यों सैंतीस का आंकड़ा है। महीना पूर्व मुझे पुरस्कार न मिलने की वजह माने हुए पुरस्कारनिवेशी पंडित जी ने मेरे लेखन पर अफसरों की साढ़साती बताया, तबसे

हमारे देश में समय-समय पर कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। इनमें से कुछ त्योहार धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ प्रकृति के साथ भी संबंधित होते हैं। इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है वसंत पंचमी। इस त्योहार पर ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है। सृष्टि में माता सरस्वती की जरूरत ब्रह्मा और देवी-देवताओं को